दर्यापुर कांग्रेस में आंतरिक विवाद गरमा गया
एक ही वार्ड में दो लोगों को एबी फॉर्म?

* प्रभाग नंबर 2 में कांग्रेस प्रत्याशी का आवेदन अवैध
दर्यापुर/दि.19 – नगर परिषद आम चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल होने के बाद मंगलवार को छंटनी प्रक्रिया पूरी हो गई. इस बीच, एक ही प्रभाग में दो लोगों को एबी फॉर्म दिए जाने को लेकर कांग्रेस में आंतरिक विवाद चरम पर पहुंच गया है. नगर पालिका चुनाव के लिए नामांकनों की जांच प्रक्रिया में, वार्ड क्रमांक 2 में कांग्रेस प्रत्याशी देवीदास काले का नामांकन अवैध घोषित कर दिया गया है. इस मामले में, चुनाव निर्णय अधिकारी दादासाहेब दराडे और सहायक चुनाव निर्णय अधिकारी डॉ. रवींद्र कुमार कानडजेे ने पुष्टि की है कि सबसे पहले आवेदन जमा करने वाला उम्मीदवार पात्र है और नियमों के अनुसार काले का नामांकन अवैध घोषित कर दिया गया है.
कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार सूची में, प्रभाग क्रमांक 2 में सबसे वरिष्ठ देवीदास काले को उम्मीदवार घोषित किया गया था. पार्टी ने उन्हें एबी फॉर्म भी दिया, और तदनुसार, काले ने नामाप्र प्रवर्ग से अपना नामांकन दाखिल किया. हालांकि, जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि कांग्रेस पार्टी ने उसी वार्ड में इंद्रजीत अजीत देशमुख को भी एबी फॉर्म दिया था. इसके कारण, उम्मीदवार देवीदास काले का आवेदन अमान्य हो गया है, और इसे लेकर शहर में तीखी बहस और प्रतिक्रियाएं हो रही हैं. चूंंकि दर्यापुर नगर पालिका में कुल 25 नगरसेवक चुने जाने थे, इसलिए कांग्रेस पार्टी ने सभी 25 अधिकृत उम्मीदवारों को एबी फॉर्म वितरित किए थे. तदनुसार, सभी ने अपने आवेदन दाखिल किए, लेकिन फिर से जिला-स्तरीय वरिष्ठों ने, अपने करीबी होने का दावा करते हुए, उसी प्रभाग में एक और एबी फॉर्म देकर उनका समर्थन किया. इसके कारण आंतरिक कलह सामने आ गई, और अधिकृत उम्मीदवार घोषित किए गए देवीदास काले का आवेदन अवैध हो गया है.
एक ईमानदार कार्यकर्ता को एबी फॉर्म देने के बाद, क्या उसी प्रभाग में किसी अन्य उम्मीदवार को फिर से एबी फॉर्म देने की आवश्यकता है? यह सवाल कई कार्यकर्ताओं द्वारा उठाया जा रहा है. यह दोहरा फैसला किसका दबाव है? कांग्रेस के भीतर इस समय ऐसी चर्चाएं चल रही हैं. इससे नाराजगी व्यक्त की जा रही है और कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास डगमगा रहा है. कांग्रेस की विचारधारा पर चलने वाले और जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को न्याय न मिलने से कई कार्यकर्ता आहत हुए हैं, और जो भ्रम और असंतोष की लहर पैदा हुई है, उसका सीधा असर अब चुनावी समीकरणों पर पड सकता है.
नगराध्यक्ष पद के लिए 7 आवेदन कायम
नगराध्यक्ष पद के लिए कुल सात आवेदन दाखिल किए गए थे. छंटनी में सभी सातों आवेदन वैध पाए गए हैं. जबकि नगर सेवक पद के लिए दाखिल कुल 139 में से 12 नामांकन पत्र अवैध घोषित किए गए हैं. इसमें वॉर्ड क्रमांक 2 अ से शांतनु अनिल बोरेकर, पवन भानुदास काठोले, देवीदास विट्ठलराव काले के आवेदन अवैधन घोषित किए गए. साथ ही, वॉर्ड क्रमांक 4 ब से मुजफ्फर खा मुकद्दर खा, वॉर्ड 5 ब से मरछिया अदनान फिदा मोहम्मद, वॉर्ड क्र. 7 ब से शीला प्रमोद रवाले, वार्ड क्रमांक 8 क से शेख युनुस शेख जहागीर, वार्ड क्रमांक 10 ब से तृषाल प्रभाकरराव कडू, वार्ड क्रमांक 11 अ से आशीष केशवराव हिवसे, वार्ड क्रमांक 12 ब से अलका प्रमोद साखरे, पल्लवी प्रफुल सांगलुदकर, पल्लवी प्रफुल सांगलुदकर ऐसे तीन आवेदन अवैध घोषित किए गए.
एक ईमानदार कार्यकर्ता के साथ अन्याय
एक ऐसे कार्यकर्ता के लिए यह दोधारी तलवार है जो अपना जीवन गरीबों और जरूरतमंदों के लिए समर्पित करता है. इससे कांग्रेस की दोहरी राजनीति उजागर होती है. क्षेत्र के एक ईमानदार, गरीबों के लिए काम करने वाले और कांग्रेस की विचारधारा पर दृढता से काम करने वाले कार्यकर्ता के साथ अन्याय हुआ है. वरिष्ठ पदाधिकारियों के फैसले से निर्माण हुई असमंजस और नाराजगी की लहर अब चुनावी समीकरणों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगी. पार्टी को पहले किसी ईमानदार कार्यकर्ता को एबी फॉर्म देना चाहिए और फिर उसी वार्ड में क्या किसी अन्य उम्मीदवार को दोबारा एबी फॉर्म देना जरूरी है? यह सवाल कार्यकर्ताओं के बीच काफी जोरों पर उठ रहा है. सवालों का यह सिलसिला चुनावों में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खडी कर सकता है. माना जा रहा है कि अगर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सही समय पर अपना मन नहीं बदला, तो अंदरूनी कलह का सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड सकता है.





