पहले पार्टी में शब्दों को कीमत थी, अब कोई नहीं पूछता – शिंदे
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मन में अलग ही दर्द
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अब असहनीय होने लगी है वेदनाएं
सोलापुर/दि.1 – कांग्रेस पार्टी में पहले विचारमंथन हुआ करता था और अगर कोई नीति गलत बन गई है, तो उसमें संशोधन भी किया जाता था, लेकिन अब कोई पूछता ही नहीं है और वैचारिक परंपरा भी लगभग खत्म हो गई है. ऐसे में हम इस वक्त कहा है. कभी-कभी यह सवाल मन में पैदा होता है. पहले पार्टी में शब्दों की कीमत हुआ करती थी, अब वह कीमत है या नहीं, यह पता नहीं है. इस आशय के शब्दों में पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने अपना दर्द बयान करते हुए कांग्रेस की मौजूदा कार्यप्रणाली को उजागर किया. खुले तौर पर व्यक्त की गई इस नाराजी का राजनीतिक क्षेत्र में अलग-अलग अर्थ निकाला जा रहा है.
पुणे जिले के इंदापुर तहसील में कांग्रेस प्रवक्ता रत्नाकर महाजन के अमृत महोत्सवी कार्यक्रम के अवसर पर पूर्व मंत्री सुशिलकुमार शिंदे ने उपरोक्त विचार व्यक्त किया. इस अवसर पर कांग्रेस से भाजपा में गये हर्षवर्धन पाटील भी उपस्थित थे, यह विशेष उल्लेखनीय है. इस समय शिंदे ने कहा कि, पार्टी प्रवक्ता रत्नाकर महाजन वरिष्ठ नेता है और उन्हें राज्यसभा में लिया जाये, इस हेतु वे पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपना शब्द डालने हेतु तैयार है. किंतु पार्टी में अब उनके शब्द की कोई कीमत है अथवा नहीं, यह खुद उन्हें भी पता नहीं है.
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शंकरराव पाटील का दिया संदर्भ
इस समय कांग्रेस छोड भाजपा में चले गये हर्षवर्धन पाटील की ओर देखते हुए कहा कि, शंकरराव बाजीराव पाटील के समय (वर्ष 1974-75) पार्टी में वैचारिक शिबिर हुआ करती थी. ऐसे ही शिबिरों की जरूरत और शब्दों की कीमत उन्हें अच्छे से पता थी. इन शिबिरों के जरिये विचारमंथन हुआ करता था, जो अब नहीं होता. जिसका हमे काफी दु:ख है और आज हम कहां आकर खडे हो गये है, यह देखना भी काफी मुश्किल और तकलीफदेह हो चला है.
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पटोले का किया था स्वागत, निशाना दिल्ली की ओर!
शिंदे द्वारा दिये गये वक्तव्य की इस समय राजनीतिक क्षेत्र में जबर्दस्त चर्चा है. इसी व्यासपीठ पर भाजपा में जा चुके हर्षवर्धन पाटील भी उपस्थित थे. जिसके चलते इस वक्तव्य को कुछ अलग ढंग से भी देखा जा रहा है. बता दें कि, इस समय कांग्रेस द्वारा शिवसेना व राष्ट्रवादी से अलग रहकर स्वतंत्र तौर पर स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं का चुनाव लडने की तैयारी की जा रही है. जिसके लिए सुशिलकुमार शिंदे ने पार्टी प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले का इस साहसिक निर्णय के लिए अभिनंदन और स्वागत भी किया था. ऐसे में चर्चा चल रही है कि, कांग्रेस की नीतियों को लेकर उन्होंने पार्टी के दिल्ली निवासी नेताओं पर निशाना साधा है.