मुंबई/ दि.२० – बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने डॉक्टरों पर मरीजों के परिजनों व्दारा किए जाने वाले हमले से सुरक्षा देने को लेकर गंभीर नहीं है. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार की ओर से दायर एक पन्ने के हलफनामे को देखने के बाद यह बात कही. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से डॉक्टरों पर किए गए हमले को लेकर दर्ज एफआईआर की जानकारी मंगाई थी. इसके साथ ही सरकार को स्पष्ट करने को कहा था कि उसने डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में कौन से कदम उठाए हैं? लेेकिन सरकार की ओर से दायर हलफनामे में सिर्फ सामान्य बाते कही गई हैं. महाराष्ट्र मेडिकेयर सर्विस, इंस्टिट्युशन एक्ट की प्रति जोडी गई है. हलफनामे में कहा गया हेै कि राज्य में डॉक्टरों पर हमले को लेकर 436 मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन इन मामलों का कोई ब्योरा नहीं दिया गया था. खंडपीठ ने कहा कि यह हैरानी पूर्ण बात है कि इस मामले में एक पन्ने का हलफनामा दायर किया गया है. इस मामले में ऐसा प्रतित होता है कि राज्य सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है. यह बेहद निराशाजनक है. खंडपीठ ने अब राज्य के स्वास्थ्य विभाग के उपसचिव को इस बारे में हलफनामा दायर करने को कहा है.