मुंबई/दि.९ – किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ यदि कोई शिकायत है, उसकी जांच किये बिना ही उस अधिकारी का अगर तबादला कर दिया जाता है, तो यह उस अधिकारी के लिए सजा की तरह ही है. इस आशय का महत्वपूर्ण निर्णय मुंबई मैट की चेयनमैन मृदुला भाटकर ने विगत ६ अक्तूबर को सुनाया. राजेश गोपाल लांडे द्वारा दायर की गई याचिका पर उपरोक्त निर्णय दिया गया है. लांडे मूलत: वित्त व लेखा विभाग के सहसंचालक है और उनकी नियुक्ती महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद अंतर्गत समग्र शिक्षा अभियान मुंबई में थी. तीन विधायकों द्वारा की गई शिकायत के चलते उनका तबादला किया गया था. जबकि वे तबादले हेतु पात्र नहीं थे. ऐसे में उन्होंने अपने ट्रान्सफर को एड. अरविन्द बांदिवडेकर के मार्फत मुंबई मैट में चुनौती दी. इस समय याचिकाकर्ता की ओर से सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया गया. जिसमें कहा गया कि, यदि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ कोई शिकायत है तो, उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए. साथ ही उसकी विभाग अंतर्गत जांच और चार्जशिट हुई है अथवा नहीं, इसे भी अनिवार्य तौर पर देखा जाना चाहिए. इन तमाम बातों के बिना किया गया तबादला संबंधित कर्मचारी के लिए सजा के बराबर है, ऐसा मैट द्वारा स्पष्ट किया गया है. इसके साथ ही लांडे का तबादला और २४ जून को जारी किया गया कार्यमुक्ति आदेश रद्द कर उन्हें तुरंत अपने पुराने पद पर काम करने का निर्देश दिया गया.