तिथि के अनुसार मनाया नागपंचमी का त्यौहार
राजस्थानी समाज की महिलाओ ने किया परंपरा का पालन

वरूड/दि.16– स्थानीय राजस्थानी समाज की महिलाओ ने परंपरा का पालन करते हुए मंगलवार को सावन महिने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के अनुसार खेत मेे जाकर (बांबी) दीमग का घर जहां सांपो का बसेरा होता है. वहां नागदेवता की पूजा कर बडे ही उत्साह के साथ नागपंचमी का त्यौहार मनाया.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार मंगलवार को सावन महिने की शुक्ल पक्ष की तिथि थी प्राचीन कथा के अनुसार यज्ञ की आग को ठंडा करने के लिए आस्तिक मुनी ने उसमें दुध डाल दिया था इसी वजह से नागपंचमी पर नागदेवता को दुध चढाने की परंपरा शुरू हुई गरूड पुराण के अनुसार इस दिन नागदेवता की पूजा करने से शुभ समाचारो की प्राप्ति होती है नागपंचमी का त्योैहार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और इसका हिदू धर्म में बडा महत्व हेै. इस दिन नागो की पुजा कि जाती है जो भगवान शिव के आभूषण माने जाते है.
नागपंचमी का पर्व भगवान शिव, माता पार्वती और नागदेवताओं को समर्पित है. नागपंचमी के दिन महिलाए खेत मे जाकर (बांबी) दीमग का घर जहा सांपो का बसेरा होता है. वहां नागदेवता की पूजा करती है कुछ महिलाए इस दिन व्रत भी रखती है.और नागदेवता के मंत्रो का जाप करती है. मान्यता है कि नागो ने आस्तिक मुनी से कहां था कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेंगा उसे कभी भी नाग दंश का भय नही रहेंगा. तभी से पंचमी तिथि के दिन नागो की पूजा की जाने लगी है.
मान्यता है कि यही से नागपंचमी पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का अहंकार तोडा था. यह भी मान्यता है की नागपंचमी के दिन भोजन कक्ष में तवा नही चढाया जाता है. नागपंचमी पर्व मनाने के लिए पहले दिन ही महिलाए भोजन तैयार कर वहीं भोजन नागपंचमी के दिन खेत में जाकर (बांबी) दीमग के घर की पूजा कर नागदेवता को अर्पित करती है शहर में मंगलवार को राजस्थानी समाज की महिलाओं ने परंपरागत नागपंचमी का पर्व खेत मे जाकर दीमग के घर (बांबी) का पूजन कर उत्साह के साथ मनाया.





