मालखेड में उत्साह से चल रहा अंबादेवी का नवरात्रौत्सव

भाविक श्रद्धालुओं की मंदिर में उमड रही अच्छी-खासी भीड

अमरावती /दि.27 – चांदुर रेलवे तहसील अंतर्गत भानामती नदी के किनारे बसे निसर्गरम्य मालखेड गांव स्थित ग्रामदैवत अंबा माता व शिव शंकर मंदिर में इस समय बडे हर्षोल्लास के साथ नवरात्रौत्सव मनाया जा रहा है. इस वर्ष नवरात्रौत्सव के अखंड ज्योत सप्ताह में करीब 700 घटों की स्थापना कर यह धार्मिक उत्सव बेहद भक्तिमय वातावरण के बीच चल रहा है. जहां पर रोजाना सुबह-शाम होनेवाली महाआरती में सैकडों भाविक श्रद्धालु उपस्थित रहकर दर्शन कर रहे है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विदर्भ प्रदेश के राजा वृषभदेव को 10 पुत्र थे. जिसमें से एक का नाम केतुमाल था. राजधानी के परिसर में दसों पुत्रों को निवासस्थान दिए गए थे. जिसमें से केतुमाल के नाम पर जो बस्ती स्थापित हुई थी, उसे शुरुआती दौर में मालकेतू कहा जाता था. कालांतर में इसी नाम का अपभ्रंश मालखेड हो गया. श्रीमद् भागवत व देवी भागवत ग्रंथों में भी मालकेतू बस्ती का उल्लेख पाया जाता है. राजा वृषभदेव के पुत्र केतुमाल ने भानामती नदी के किनारे अंबा माता की बडे भक्तिभाव के साथ आराधना की थी. जिसकी उपासना से प्रसन्न होकर अंबा माता के प्रकट होने की आख्यायिका है. भक्तों की मनोकामना पूरी हो, इस हेतु देवी यहां पर अपने स्वयंभू स्वरुप में विराजमान हुई, ऐसा माना जाता है. जिसके चलते मालखेड क्षेत्र की ग्रामदैवत के तौर पर अंबादेवी की पहचान है. सातारा जिले में स्थित कई गांव-खेडों में रहनेवाले लोगों की कुलदैवत भी मालखेडवासिनी अंबा माता ही है. जिसके चलते यहां पर पूरे सालभर भाविक-श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी आवाजाही रहती है.

* सन 1997 से शुरु हुई अखंड ज्योत की परंपरा
मालखेड स्थित अंबा माता मंदिर में सन 1997 से अखंड ज्योत स्थापना की परंपरा शुरु हुई, जो तब से लेकर अब तक लगातार चली आ रही है. जिसके तहत इस वर्ष नवरात्रौत्सव हेतु मंदिर में 700 घटों की स्थापना की गई है और साल-दरसाल घटों की संख्या बढती ही जा रही है. रोजाना सुबह-शाम होनेवाली महाआरती के दौरान भजन, कीर्तन व देवी स्त्रोत पठन के चलते पूरा मंदिर परिसर भक्तिरस से सराबोर हो जाता है.

* व्यवस्थापन व सेवाभाव
इस मंदिर की सेवा हेतु महंत शिवानंद पुरी महाराज विगत 31 वर्षों से अहोरात्र कार्यरत है. वे श्री पंच दशनाम जुना आखाडा के सचिव के तौर पर भी जिम्मेदारी संभालते है. उनके कार्यकाल दौरान मंदिर का जिर्णोद्धार होने के साथ ही विकास भी हुआ, ऐसा क्षेत्रवासियों का कहना है. साथ ही मंदिर संस्थान के विश्वस्त अशोकराव देशमुख भी मंदिर के सौंदर्यीकरण एवं यहां पर सुविधाओं की उपलब्धता हेतु सतत परिश्रम कर रहे है.

* वैशिष्ट्यपूर्ण स्थान
मंदिर से लगकर बहनेवाली दक्षिणवाहिनी भानामती नदी को बेहद पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि, इस नदी के किनारे की गई पूजा-अर्चना बहुत जल्द फलीत होती है. खास बात यह है कि, मंदिर के पास से ही मुंबई-नागपुर रेल मार्ग गुजरता है. जिसके चलते रेलगाडी से ही अंबादेवी मंदिर के परकोट, शिखर व कलश के दर्शन भाविकों को होते है. मंदिर परिसर में पिपल व इमली के हरेभरे पेड है. साथ ही मंदिर के किनारे भानामती नदी का पात्र और खेतों की पगडंडीयां है, इसके चलते यह पूरा परिसर निसर्गरम्य दिखाई पडता है.

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