छठी कक्षा के केवल 53 प्रतिशत छात्र जानते है 10 तक पहाडे

शिक्षा नीति में सुधार की आवश्यकता

नई दिल्ली/दि.9– शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मन्स असेसमेंट, रिव्ह्यू अँड अ‍ॅनालिसीस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट अर्थात परख पीएआरएकेएच द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, कक्षा छठी के केवल 53 प्रतिशत छात्र 10 तक के पहाडे सुना सकते हैं, जबकि कक्षा तीसरीं के 55 प्रतिशत छात्र 99 तक की संख्याओं को चढते या उतरते क्रम में रख सकते है.
‘परख’ (पूर्व में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण – एनएएस) के अंतर्गत 36 राज्य और 781 केंद्र शासित प्रदेशों, 21,15,022 जिलों के तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के 74,229 स्कूलों के छात्रों का मूल्यांकन किया गया. इसमें यह भी स्पष्ट हुआ कि तीसरी कक्षा के केवल 58 लाख छात्र ही दो अंकों की संख्याओं का जोड-घटाव कर सकते हैं. इसके लिए तीसरी कक्षा के 1,15,022 छात्रों का मूल्यांकन किया गया. जबकि तीसरी और नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने केंद्रीय सरकारी स्कूलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, वहीं छठी कक्षा के विद्यार्थी सभी विषयों में पिछड गए.
* शहरी-ग्रामीण अंतर
शहरी क्षेत्रों में छठी कक्षा के विद्यार्थियों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों ने भाषा और गणित में अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों ने भाषा और गणित में अच्छा प्रदर्शन किया.
* शिक्षा नीतियों में सुधार की जरूरत
निष्कर्ष में कहा गया है कि शिक्षा में इस अंतर को दूर करने के लिए नीतिगत सुधारों और अतिरिक्त शैक्षिक सहायता की आवश्यकता है. शिक्षा सचिव संजय कुमार ने बताया कि एक बहु-स्तरीय रणनीतिक योजना तैयार की जा रही है. परीक्षा एजेंसी को छात्रों की आंकलन क्षमता को बढाने के लिए परख संस्था को राष्ट्रीय मूल्यांकन के लिए मार्गदर्शक तत्व तय करने का काम सौंपा गया है.
* रिपोर्ट में क्या है?
-तीसरी कक्षा के केवल 58 प्रतिशत छात्र ही दो अंकों की संख्याओं को जोड और घटा सकते हैं.
-छठी कक्षा के आधे से अधिक विद्यार्थियों को पहाडा या बुनियादी अंकगणित समझ नहीं आता.
-छठी कक्षा के छात्रों ने गणित में सबसे कम अंक प्राप्त किए. केवल औसत 46 प्रतिशत.
* केंद्र सरकार के स्कूलों में कक्षा 9 वीं के छात्रों ने सभी विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. छठी कक्षा के मामले में, सरकारी अनुदानित शालाओं में गणित के अंक कम हैं.

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