मेलघाट में 65 नवजात शिशुओं की मौत पर हाईकार्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार
4 विभागों के प्रधान सचिवों को किया तलब

मुंबई /दि.13 – महाराष्ट्र राज्य के आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण से 65 नवजात शिशुओं की मोैत पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कडी फटकार लगाई हैं. कोर्ट ने सरकार के बेहद लापरवाह रवैये पर सवाल उठाते हुए कहां कि यह भयावह स्थिति हैं. सरकार को चिंतीत होना चाहिए.कोर्ट ने 4 विभागों के प्रधान सचिवों को तलब करते पूछा, आपकी चिंता आखिर कहां हैं?
न्यायाधीश रेवती मोहिटे डेरे और संदेश पाटिल की खंडपीठ ने कहां कि जून 2025 से अब तक मेलघाट में शुन्य से छह महिने की उम्र के 65 शिशुओें की मौत हो चुकी हैं.अदालत ने इस स्थिति कों भयावह बताया और कहां कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर विफलता कोे दिखाता हैं.2006 से जांरी आदेशो के बाद भी हालांत जस के तस हैं. आदलल उन जनहित यााचिकाओें पर सुनवाई कर रहीं थी. जिनमें मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण से बच्चो, गर्भवती महिलाओं ओर स्तनपान कराने वाली माताओं की मौत पर चिंता जताई गई थी.
हाईकोर्ट ने कहां कि 2006 से इस मामले पर आदेश जांरी हो रहे हैं. लेकिन सरकार की रिपोर्ट ओर जमीनी सच्चाई मेें भारी अंतर हैं. बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहां, यह बताता हैं कि सरकार का रवैया कितना गंभीर हैें. आपका नजरिया बेहद कैजुअल (लापरवाह) हैं. यह बेहद दुखद स्थिति हैं. कि सार्वजनिक स्वास्थ्य जैेसे विषयो को इतने हल्के में लिया जा रहा हैं.
प्रधान सचिवों को कोर्ट मेंं पेश होने का आदेश
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के स्वस्थ्य, आदिवासी विकास, महिला एवं बाल विकास, खेल और वित्त विभाग के प्रधान सचिवोेंं को 24 नवंबर कों कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया हैं. कोर्ट ने चारों विभागो से इस संबंध में शपथपत्र (एफिडेविट) दायर करने को भी कहां हैं.
इसमें अब तक उठाए गए कदमो का विवरण देना होगा.डॉक्टरोे को प्रोत्साहन देने और जवाबदेही तय करने की सलाह: बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह भी सुझाव दिया है कि मेलघाट जैसे दुर्गम और आदिवासी इलको मेें तैनात डॉक्टरोें को अधिक वेतन दिया जाना चहिए. ताकि उन्हें वहा काम करने की प्रेरणा मिले न्यायालय ने कहां कुछ जवाबदेही तय करनी होगी. ऐसी जगहों पर काम करने के लिए डॉक्टरों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए हैं वरना हालात कभी नहीं सुधरेंगे.





