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राजदेव बाबा पीते है भक्तों की दी बीड़ी

श्रद्धा है या अंधश्रद्धा

  • श्रद्धावश भक्त पिलाते सिगरेट,तंबाखू और गुटखा

परतवाड़ा/मेलघाट दि. १६ – आदिवासी अंचल की चिखलदरा तहसील के अतिदुर्गम खोंगड़ा गाँव के करीब बसे राजदेव बाबा अब आदिवासियों के साथ ही पर्यटकों के भी आकर्षण और श्रद्धा का स्थान बन चुके है.मेलघाट के अतिसंरक्षित क्षेत्र में कोही फाटे से आगे लेकिन खोंगड़ा से 6 किमी पहले बाबा का देवस्थान लगता है.इस देवता के मुहं में हमेशा बीड़ी या सिगरेट लगी रहती.आदिवासी भाइयों की ओर से आते-जाते इन्हें बीड़ी-सिगरेट पिलाई जाती है,यह उनकी अपनी श्रद्धा है,लेकिन अब शहर के सट्टा बाजार के शौकीन लोग भी बाबा के दरबार मे हाजरी लगाते देखे जा रहे.बाबा सचमुच में बीड़ी पीते क्या?यह आज भी खोज का विषय है,किंतु यह भी एक सच है कि बाबा के आजूबाजू में एक से ज्यादा बीड़ी नजर नही आती..ना ही कोई तंबाखू की पूडी. सिर्फ एक बीड़ी या सिगरेट ही मुहं में दिखाई देती है.बिलकुल शांत और घने जंगल मे बाबा की स्थली है.पूर्ण एकांत में उन्होंने अपना दरबार सजा रखा, बाजू में ही व्याघ्र प्रकल्प का चेकपोस्ट है.कई सट्टे के शौकीन लोग यहां ताश की छोटे साइज की गढ्ढी लेकर भी आते है.इस ताश में से गुलाम,बेगम और बादशाह को निकाल कर फेंक देते.फिर पूरी ताश ही बाबा के हवाले कर दी जाती.बाबा के आदेश पर आगे अमल किया जाता.
अमरावतीं जिले में मेलघाट के चिखलदरा को महत्व का स्थान प्राप्त है.मेलघाट में लोगो को विभिन्न प्रकार के वन्यजीव देखने को मिलते है.देश के पहले दस व्याघ्र प्रकल्प में मेलघाट की गणना होती है.मेलघाट की प्राकृति, यहां का सौंदर्य, यहां की जनजातियां सब कुछ अप्रतिम लगता.ऐतिहासिक गाविलगढ़ और नरनाला किले भी इसी परिसर में देखने को मिलते.आदिम अंचल से होकर बहती सिपना,गड़गा, ताप्ती,पूर्णा,वाण और डोलार  नदियां आपको आकर्षित करती है.इस प्रकार अनेक खूबियों से सुसज्जित मेलघाट में अब पर्यटकों के नई आशा बन चुके है बीड़ीवाले बाबा..!आकोट से धारणी मार्ग के बीच बाबा की मूर्ति है.बाबा के बिल्कुल ही पीछे वनविभाग का वायरलेस सेंटर भी है.आदिवासी भाइयों के लिए ये राजदेव बाबा है, पर्यटकों और शौकीनों के लिए ये बीडीवाले बाबा के रूप में सुख्यात हो चुके.
अपना कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पूर्व आदिवासियो द्वारा बाबा के दरबार मे प्रार्थना,पूजा-अर्चना की जाती.ये सब कुछ परंपरागत होते आ रहा.ये लोग बाबा को तंबाखू,बीड़ी,सिगरेट,शराब का नैवेद्य भी अर्पित करते है.विवाह की पहली पत्रिका भी बाबा को दी जाती.राजदेव बाबा के मुहं में हमेशा बीड़ी-सिगरेट नजर आती..कमाल की बात यह है कि उनकी प्रतिमा के नीचे दूसरी कोई बीड़ी-सिगरेट दिखाई नही देती. प्रस्तुत प्रतिनिधि ने इस बात को उनकी प्रतिमा के पास ही बहोत गौर से देखा.वहां पर अन्य कुछ भी नजर नही आया.हा, कुछ गुटखे के पाउच जरूर दिखे लेकिन बीड़ी-सिगरेट नही दिखाई दिए.
अब शहरी लोगो मे अपने स्वार्थ के लिए राजदेव बाबा का आकर्षण बढ़ने लगा है.ऐसे लोग सिर्फ अपने लालच की खातिर बाबा के दर्शन करने आ रहे.इसमें कुछ लोगो को तंत्र-मंत्र की भी जानकारी होती है.ये सभी अपने -अपने खास उद्देश्य से राजदेव बाबा को बीड़ी-सिगरेट पिलाने मेलघाट में आ रहे.वन्यजीव,वन्य अभ्यारण्य के अलावा अब राजदेव उर्फ बीड़ीवाले बाबा भी मेलघाट में मशहूर हो चुके है.

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