हरिसाल व तारूबांदा में बाघ के मुक्त संचार से आदिवासियों में दहशत

गंभीरता से उपाय योजना करने की हो रही मांग

धारणी/ दि.30 – हरिसाल व तारूबांदा स्थित गुगामल वन्यजीव विभाग के 10 गांवों में फिलहाल बाघ की दहशत फैली हुई है. चिखली फाटा से रोरा तक अनेक प्रवासियों ने बाघ को बडे आराम से इविनिंग वाक करते देखा है और इसका वीडियो वायरल होने से खतरा बढा हुआ है. हरिसाल के मन्ना की जान जाने के बाद भी बाघ प्रकल्प की ओर से गंभीरता से उपाययोजना नहीं की गई है. हरिसाल से चौराकुंड और हरिसाल से रोरा तथा चिखली फाटा से केसपुर, भिरोजा केला तक पट्टेदार बाघ का मुक्त संचार शुरू रहने से आदिवासी दहशत में है. किंतु हरिसाल व तारूबांदा के कर्मचारी बडे आराम से कागजों पर उपाययोजना कर रहे है. जंगल में जगह-जगह पर ‘बाघ संक्रमण क्षेत्र, इस क्षेत्र में बाघ का अस्तित्व है, जंगल में प्रवेश न करें’, ऐसे फलक लगाए गए है. मन्ना की जान जाने और 10 पालतू जानवरों का शिकार होने के बाद ही बाघ प्रकल्प को इस जंगल में बाघ होनी की जानकारी मिली, ऐसा कहना गलत नहीं होगा.
हरिसाल व तारूबांदा में वन्यप्राणियों से नागरिकों की रक्षा के लिए कोई उपाययोजना नहीं की गई है. इसके अलावा वन्यप्राणियों को नियंत्रित करने के लिए कर्मचारी प्रशिक्षित भी नहीं है. हरिसाल व चौराकुंड और हरिसाल से रोरा तक की सडक फिलहाल खतरनाक है. यातायात अधिक होने से दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता. चिखली रोरा, चौराकुंड, वनमालुर, चौपन, खोकमार, तथा तांगडा पहुंचने के लिए लोगों का इस एकमात्र मार्ग का उपयोग करा पडता है. जिससे किसी भी समय बडी घटना हो सकती है. हरिसाल व तारूबांदा के जंगल में बाघिन अपने शावकों के साथ घूम रही है. ऐसे अनेक वीडियो वायरल हो रहे है. रात में बंगले में रहकर नागरिकों तथा वन्यप्राणियों की रक्षा करना असंभव है, लेकिन यह बात अधिकारियों को समझ नहीं आ रही है.

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