नागपुर/दि.27– पत्नी का पालन-पोषण करने की प्राथमिक जिम्मेदारी पति की है. इसलिए भले ही वह कमाऊंपूत पुत्र के साथ रहती है. फिर भी उसे गुजारा भत्ता देना बंधनकारक है, यह निर्णय नागपुर खंडपीठ ने एक प्रकरण में दिया. हाईकोर्ट ने पति के अनेक तर्क ठुकरा दिए.
न्या. गोविंद सानप की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई. पति की तरफ से वकील ने कोर्ट में कहा कि, बेटा सयाना होकर नौकरी कर रहा है. उसे मासिक 25 हजार रुपए वेतन मिल रहा है. पत्नी बेटे के साथ रहती है. इसलिए पति ने दावा किया कि वह गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि यह सब तर्कहीन बातें हैं. पति अपनी जिम्मेदारी से नहीं छूट सकता. नागपुर निवासी दंपति को परिवार न्यायालय ने 30 जून 2005 को 500 रुपए मासिक गुजारा भत्ता मंजूर किया था.
कोर्ट ने पत्नी की बात मान्य की कि 500 रुपए में गुजारा नहीं हो सकता क्योंकि जरुरी वस्तुओं के दाम काफी बढ गए हैं. कोर्ट ने 4 हजार रुपए मासिक देना योग्य रहेगा, ऐसा कहा. पति केरोसी आपूर्तिकर्ता है. हर माह 25 हजार रुपए कमाता है, उसे गुजारा भत्ता देना होगा.