मुख्यमंत्री साहब किसानों की बिजली समस्याओं पर ध्यान दें
शासन की उदासीनता के चलते तालुका के किसानों पर संकट
मोर्शी/दि.16– सुखा दुष्काल ग्रस्त जोन बने मोर्शी तालुका में इस वर्ष जिस तरह चाहिए थी, उस तरह की बारिश नहीं हो पाने तथा वापसी की बारिश के रुठने से तहसील के किसानों की खेती फसल का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है तथा फसलों को उचित भाव ने मिलने के कारण तहसील के किसान काफी उदास हो चुके है. आसमानी संकट का सामना करते हुए खरीप हंगाम खत्म हुआ. अब रब्बी हंगाम शुरु हुआ है. रब्बी फसल के उत्तपन्न अच्छी तरह हो सिके लिए किसान रात-बेरात भागदौड कर रहे है. कारखानों में जिस तरह विद्युत विभाग 24 घंटे विद्युत आपूर्ति करता है. वैसे ही दुनिया के अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों को बिजली आपूर्ति किया जाए. ऐसी मांग राष्ट्रवादी कॉग्रेस पार्टी के तालुका उपाध्यक्ष रुपेश वालके व किसानों ने राज्य के मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, देवेन्द्र फडणवीस, कृषी मंत्री धनंजय मुंडे, उर्जा मंत्री, पालकमंत्री चंद्रकांत पाटील को निवेदन के मार्फत की है.
निवेदन में कहा गया कि ऐन हंगाम के समय लोडशेडिंग में बदलाव, लोडशेडिंग के समय में बढोत्तरी की गयी है. जिसके साथ कृषिपंप सहित घरगुती बिजली के बढे हुए बीले के कारण किसान परेशानी में आ गए है. बिजली बील भरे नहीं तो बिजली आपूर्ति काट दी जाएगी. जिसके कारण पानी के अभाव में फसल आंखो के सामने खराब होने का डर किसानों को बना हुआ है.किसानों के पास पैसे रहे न रहे इसके बावजूद भरने के सिवाए कोई कोई पर्याय नहीं बचता. चुनावी काल में किसानों को 24 घटें बिजली देना छोडे उलटे लोडशेडिंग शुरू कर दी गयी है. वर्तमान कालवधी में बढोत्तरी की गयी है. किसान कर्ज में डुबने के बावजूद भी बढे हुए बिजली बील देकर किसानों को और परेशान किया जा रहा है. बिजली बील में अलग अलग आकार लगाकर बिलों को बढाया जा रहा है. अनेक किसान कैसे बील बढ कर आ रहा यह समझ नहीं पा रहे है. सिर्फ बिजली खंडीत न हो इस डर से वे गलती से बढे हुए आ रहे बीलों को भर रहे है. वर्ष में एक बार अनामत रक्कम का बील आ रहे है. किसानों के बिजली खंडीत किया न जाए इसके लिए रकम भरने के सिवाय किसानों को आगे रास्ता नहीं. बिजली बील में आने वाले स्थिर आकार, वीज आकार, वीज शुल्क, अन्य आकार जैसे नियमों को लगाकर कैसे बिलों को बढा सकते है. बिजली विभाग सिर्फ यही देखती है.जिस पर सरकार भी अनदेखी कर रही है. आज भी किसानों के कृषीपंप मीटर शोपीस जैसे पडे है. कभी भी इन मीटरों की रीडिंग नहीं ली जाती है. जिसके कारण बिजली का कम इस्तेमाल होने के बावजूद भी किसानों को बिजली बील बढा कर आ रहे है. ऐसा आरोप राकांपा के तालुका उपाध्यक्ष रुपेश वालके ने लगाया.
*कृषी पंपो को सिर्फ 8 घंटे बिजली
तकनीकी घोटाला के कारण किसानों को ज्यादा बिजली इस्तेमाल नही आने के लिए मीटर रीडिंग लिया नहीं जाता है, ऐसा लग रहा है. कम दाब में बिजली आपूर्ति यह वर्तमान में गंभीर प्रश्न है. कम बिजली दाब में कृषी पंप चलाने के कारण कृषी पंप जल रहे है. जिसके कारण किसानों को काफी नुकसान झेलना पड रहा है. हुए नुकसान की कभी भी भरपाई नहीं दी जाती. अगर सरकार सचमुच में किसानों को खुश व सुखी करना चाहती है तो सबसे पहले सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए बिजली समस्या दुर करें.
रुपेश वालके, तालुका अध्यक्ष राष्ट्रवादी कॉग्रेस पार्टी मोर्शी.