प्रत्यक्ष प्रचार थमा, सोशल मीडिया पर प्रचार की धूम
वॉट्सएप ग्रुप व ब्रॉडकास्टिंग लिस्ट के जरिए जमकर चल रहा प्रचार
* निर्वाचन विभाग कर रहा ‘मॉनिटरिंग’, सायबर पुलिस की चल रही ‘ई-पेट्रोलिंग’
अमरावती/दि.25– कल 26 अप्रैल को होने जा रहे लोकसभा चुनाव के मतदान हेतु गत रोज 24 अप्रैल की शाम नियमानुसार सभी पार्टियों व प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार खत्म हो गया. लेकिन अब मतदाताओं के बीच चुनाव प्रचार करने हेतु सोशल मीडिया साइट्स का प्रयोग किया जा रहा है. जिसके तहत वॉट्सएप, फेसबुक व एक्स (ट्विटर) का जमकर सहारा लिया जा रहा है. जिसके चलते इस बार के लोकसभा चुनाव में डिजीटल एवं सोशल मीडिया को सभी प्रत्याशियों द्वारा अच्छा खासा महत्व दिया जा रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए निर्वाचन विभाग ने सोशल मीडिया पर प्रत्याशियों द्वारा किये जा रहे प्रचार की ओर बेहद बारीक ध्यान रखने का दावा किया है. साथ ही साइबर पुलिस ने भी ‘ई-पेट्रोलिंग’ करने की बात कही है. लेकिन हकीकत में वॉट्सएप सहित फेसबुक व ट्विटर पर चलने वाले प्रचार पर ध्यान रखने के लिए पुलिस एवं प्रशासन के पास आवश्यक व्यवस्था ही उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते वॉट्सएप के सैकडों ग्रुप एवं ब्रॉडकास्टिंग लिस्ट के जरिए होने वाले प्रचार पर नियंत्रण कैसे रखा जाये, यह सवाल उपस्थित हो गया है.
ऐसे में कहा जा सकता है कि, भले ही 24 अप्रैल की शाम 6 बजे खुलेआम प्रचार का दौर खत्म हो गया है. लेकिन इसके बावजूद भी मतदान होने तक सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार की जमकर धामधूम चलती रहेगी. ऐसे में हजारों-लाखों वॉट्सएप अकाउंट धारकों एवं उनके ग्रुप व ब्रॉडकास्टिंग लिस्ट के जरिए चलने वाले प्रचार की ओर निर्वाचन विभाग द्वारा कैसे ध्यान रखा जा रहा होगा. यह सोचा जा सकता है.
ज्ञात रहे कि, निर्वाचन आयोग ने चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा सोशल मीडिया के जरिए किये जाने वाले प्रचार की ओर अपना पूरा ध्यान रहने की बात कही थी. जिसे लेकर सोशल मीडिया पर किये जाने वाले प्रचार पर होने वाले खर्च के आंकडे भी प्रत्याशियों द्वारा निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश किये गये है. विविध वेबसाइट के साथ ही वॉट्सएप सहित अन्य सोशल प्लेटफाम पर सबसे अधिक प्रचार होता दिखाई दे रहा है. इस जरिए बेहद कम खर्च में एक ही समय पर अधिक से अधिक उम्मीदवारों तक पहुंचना संभव रहने के चलते लगभग सभी उम्मीदवारों द्वारा डिजीटल माध्यम व सोशल मीडिया के जरिए प्रचार करने पर जोर दे रहे है. जिसके लिए उम्मीदवारों के सोशल मीडिया हैंडलर एवं कार्यकर्ताओं के विविध ग्रुप तैयार किये गये है. जिनके जरिए रोजाना ही शहर के लाखों लोगों तक विविध ग्र्रुप के माध्यम से संदेश पहुंचाये जा रहे है.
वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया के जरिए होने वाले प्रचार पर ध्यान रखने हेतु विशेष समिति स्थापित की है. परंतु वॉट्सएप पर भेजे जाने वाले संदेशों पर नजर रखना और उनकी पडताल करना काफी हद तक मुश्किल है. साथ ही प्रत्याशियों के सभी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए हर एक व्यक्ति के वॉट्सएप की जांच करना भी संभव नहीं है. ऐसे में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल द्वारा केवल आपत्तिजनक पोस्ट को ही देखा जा रहा है.
* ‘एण्ड टू एण्ड इन्क्रिप्टेड’ की वजह से मर्यादा
फेसबुक व एक्स जैसे सोशल मीडिया साइट्स पर की गई पोस्ट को किसी भी व्यक्ति द्वारा देखा जा सकता है. परंतु वॉट्सएप पर भेजे जाने वाले संदेशों को देखना व उनकी पडताल करना बेहद असंभव है, क्योंकि वॉट्सएप पर व्यक्तिगत संदेश व कॉल को ‘एण्ड टू एण्ड इन्क्रिप्शन’ के जरिए संरक्षित किया गया होता है. यानि संदेश भेजने वाले व्यक्ति और जिस व्यक्ति को संदेश भेजा जा रहा है, उन दो लोगों के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा इस संदेश को देखा नहीं जा सकता है. सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल भी एफबी व एक्स सहित वॉट्सएप ग्रुप पर वायरल होने वाले संदेश पर ही प्रतिबंध लगा सकते है, लेकिन ‘वन टू वन’ भेजे जाने वाले संदेशों पर किसी भी अन्य व्यक्ति या एजेंसी द्वारा नजर रखना पूरी तरह से असंभव बात है.
* इस वजह से सोशल प्रचार रहेगा शुरु
यदि किसी प्रत्याशी के नाम पर एक से अधिक सिमकार्ड व स्मार्ट फोन है, तो वह एक ही समय कई वॉट्सएप ग्रुप व ब्रॉडकास्टिंग लिस्ट तैयार कर सकता है. ऐसी स्थिति में मतदान वाले दिन प्रचार जारी रहने के बावजूद भी उसे ट्रैप करना संभव नहीं हो सकेगा. यदि किसी ग्रुप पर कोई संदेश आता है, तो वह संदेश किसके जरिए भेजा गया है, यह पता लगाया जा सकता है. परंतु व्यक्तिगत क्रमांकों की ट्रैकिंग करना बिल्कुल भी संभव नहीं है.