वह शेर हमारे जंगल का नहीं
आदिवासी बंधुओं का मेलघाट के बाघ पर भरोसा

चिखलदरा/दि.10 – बाघ द्बारा मेलघाट के आदिवासियों पर किए गए हमले के बाद भी आदिवासी बंधुओं का मेलघाट के बाघ पर विश्वास है. वह शेर हमारे जंगल का नहीं है, मेलघाट के जंगल का शेर हमला नहीं करता, मेलघाट के शेर का आमना-सामना होने के बाद भी वह मुंह नही लगता. बाहर से लाकर छोडा हुआ यह शेर है, ऐसी विश्वास पूर्वक बात राजदेव बाबा परिसर की घटना के बाद आदिवासी बंधुओं ने व्यक्त की है.
मेलघाट के स्थानीय कोरकू आदिवासी बंधु और बाघ के बीच अपनेपन का रिश्ता है. वह बाघ का ‘कुला मामा’ ऐसा बडे सम्मान से उल्लेख करते है. कोरकू लोकगीत में भी कुला मामा का संदर्भ पाया जाता है, यहां विशेष है.
* पुलिस में शिकायत
राजदेवबाबा सर्कल में बाघ के हमले में प्रेम नामक वनमजदूर की मृत्यु हो गई. इस घटना निमित्त मृतक की पत्नी निर्मला प्रेम कासदेकर ने धारणी थाने में 8 सितंबर को व्याघ्र प्रकल्प प्रशासन के विरोध में शिकायत दर्ज की. 2 सितंबर को हमले के समय वनपाल अथवा वनरक्षक उपस्थित नहीं थे. प्रशिक्षण न रहने के बावजूद प्रेम कासदेकर को जंगल में गश्त पर भेजा गया और ऑन ड्यूटी बाघ के हमले में उसकी मृत्यु होने की बात निर्मला कासदेकर ने अपनी शिकायत में कहीं है.
* नरभक्षी बाघ को तत्काल कैद करें
नरभक्षी बाघ को तत्काल कैद करों, उसें मेलघाट के बाहर ले जाओं, गांव-गांव में वनविभाग के विशेष दल तैनात कर नागरिकों की सुरक्षा की उचित व्यवस्था की जाए.
– केवलराम काले, विधायक,
मेलघाट.
* उस बाघ को स्थलांतरीत करें
राजदेव बाबा और कुलंगणा में शिकार करनेवाला बाघ एक ही है. उसे पकडकर दूसरी तरफ स्थलांतरीत करो. मेलघाट के जंगल का बाघ हमला नहीं करता. यह निश्चित रूप से बाहर का बाघ होना चाहिए.
– राजकुमार पटेल, पूर्व विधायक,
मेलघाट.





