ओबीसी समाज के 15 लोग कर चुके आत्महत्या, हमें मुँह दबाकर लात-घूंसे सहने पड़ रहे
मराठा आरक्षण के खिलाफ भुजबल ने दी तीखी प्रतिक्रिया

बीड/दि.10- ओबीसी आरक्षण के मामले में जारी विवाद और सरकार द्वारा जारी जीआर (गजट) के खिलाफ चल रहे आंदोलनों पर महाराष्ट्र के नेता छगन भुजबल ने कड़ा बयान दिया. भुजबल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर अब तक लगभग 14-15 आत्महत्याएँ हुई हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों का मत स्पष्ट है, हमें हमारे आरक्षण पर चोट आई है. भुजबल ने आगे कहा कि ओबीसी कोई एक जाति नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक वर्ग (प्रवर्ग) है और यदि मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल कर दिया गया तो इससे मराठ्याओं को लाभ होगा या ओबीसी को, इस पर सवाल उठ रहे हैं. उनका कहना था, यदि आप ज्यादा लोगों को (गलत मार्ग पर) जोड़ते हैं तो फिर धक्का कैसे नहीं लगेगा?
भुजबल ने मनोज जारांगे के संबंध में भी तीखी टिप्पणी की और कहा कि मनोज जारांगे उनके बारे में गलत बातें कहते हैं, इसलिए वे उत्तर दे रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ स्थानों पर हाके और वाघमारे पर हमले हुए हैं, परन्तु उनका संगठन इस तरह का व्यवहार नहीं करता. वे सरकार से कह रहे हैं कि उनका समाज गरीब है और उनके पास राजनीतिक ताकत नहीं है, इसलिए उन्हें चुप रहकर लाठी-डंडे सहन करने पड़ते हैं. उन्होंने अन्य ओबीसी नेताओं पर भी सवाल उठाए कि वे आगे क्यों नहीं आ रहे, मुझे मालूम नहीं पर मैं लड़ रहा हूँ.
यह मोर्चा बीड जिले के महात्मा फुले समता परिषद द्वारा आयोजित किया जा रहा है. भुजबल ने कहा कि उनकी सभा मराठा समाज को लक्ष्य नहीं बनाएगी और अब तक उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया. नागपुर में आज एक बड़ा ओबीसी रैली/मोर्चा निकाला जा रहा है. इस मोर्चे की मुख्य माँग है कि 2002 में बने हैदराबाद गैज़ेटियर और मराठा गैज़ेटियर सम्बंधी जीआर को रद्द किया जाए. मोर्चा यशवंत स्टेडियम के पास से शुरू होकर लगभग 2-2.5 किलोमीटर चलकर संविधान चौक पर एक सभा में बदलेगा. इस मार्च में विभिन्न ओबीसी संगठन और विदर्भ के कई जिलों से हजारों ओबीसी कार्यकर्ता शामिल हैं. कांग्रेस नेता विजय वडेट्टिवर ने इस मोर्चा में सक्रिय भूमिका ली है, परन्तु मोर्चा ओबीसी समाज के कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में निकाले जाने का जुलूस बताया गया है. भुजबल ने यह भी कहा कि इस मोर्चे के माध्यम से ओबीसी समाज की माँगें सरकार तक पहुँचाने का प्रयत्न किया जा रहा है.





