संपादकीय

लापरवाहो पर हो कार्रवाई

भंडारा जिला अस्पताल में लगी आग में 10 नवजातो की मृत्यु के मामले की जांच की रिपोर्ट मिलने के बाद दुर्घटना के लिए जिम्मेदार जिला शल्य चिकित्सक डॉ. प्रमोद खंडाते, वैद्यकीय अधिकारी अर्चना मेश्राम को निलंबित किया गया है. अतिरिक्त जिला शल्य चिकित्सक डॉ. सुनीता बडे का आनन फानन में तबादला कर दिया गया है. निचित रूप से इस प्रशासन द्बारा इस दिशा में उठाया गया कदम काफी महत्वपूर्ण है. लेकिन जिस लापरवाही के कारण अस्पताल के बालक वार्ड में आग की घटना हुई. इस लापरवाही के लिए केवल निलंबन ही पर्याप्त नहीं है. दोषियों के खिलाफ कडी कार्यवाही की जानी चाहिए तभी इस आग में झुलसे परिवारों को न्याय मिल सकेगा. इसलिए जरूरी है कि इस अग्निकांड के लिए जो लोग दोषी पाए जाते है. उनके खिलाफ भी कडी से कडी कार्रवाई की जानी चाहिए. क्योंकि आग की इस घटना से करीब 10 बालको की मृत्यु हुई. इसके चलते बहुत जरूरी है कि दोषियो के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर कडी कार्रवाई की जाए. क्योंकि सरकारी कार्यो में पाया जाता है कि लापरवाही के कारण कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडता है, ऐसे में जरूरी है कि दोषियों पर कडी कार्रवाई की जाए.
सरकारी अस्पतालों में लापरवाही कोई नई बात नहीं है . अनेक जगह पाया गया है कि सरकारी अस्पतालों में सामान्य नागरिको के प्रति हर दम उदासीन रवैया अपनाया जाता है. इससे पूर्व अनेक घटनाए देशभर के सरकारी अस्पतालों में होती रही है. विगत दिनों एक मामला सामने आया था कि रूग्ण के दूसरे पैर में चोट लगी थी. लेकिन ऑपरेशन दूसरे पैर का किया गया. इसी तरह कई बार मरीजों को समय पर सुविधा न मिलने के कारण उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पडा. यही कारण है कि नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा रहने के बाद भी आम नागरिक निजी अस्पताल की भी सेवाए लेता है. क्योंकि उसे पता है कि सरकारी अस्पताल में उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जायेगा. यदि दिया भी गया तो वह केवल औपचारिक रहेगा. इससे जनसामान्य को कोई लाभ नहीं मिलता. अस्पताल के कर्मचारी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण सामान्य नागरिको को भी इंसाफ नहीं मिल पाता. इसके चलते लापरवाह अधिकारी, कर्मचारी कोई सबक नहीं लेते. सामान्य नागरिको के लिए बना जिला अस्पताल कष्ट का घर बन जाता है. भंडारा में बालको के वार्ड में आग लगने की घटना के मामले में निलंबन की कार्रवाई तो की गई है. लेकिन दोषियों को सजा देने की दिशा में कोई कार्य आगे नहीं बढ पाया है. जरूरी है कि लापरवाही चाहे जो भी करे उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. अस्पताल में अग्निशमन जैसी आवश्यक सुविधा क न होना यह अत्यंत शोकांतिका है. वर्तमान में जिस तरह लापरवाही की घटना सामने आयी है. उसमें यह पाया गया है कि अग्नि संबंधी कोई भी उपकरण वहां उपलब्ध नही था.
कुल मिलाकर भंडारा के जिला अस्पताल में जो घटना हुई वह चिंता बढाने वाली है. खासकर इस अग्निकांड में झुलसे बालको के कारण उनके परिवार पर किस तरह पीडा का वातावरण रहा है. यह पीडित व्यक्ति ही बता सकता है. नौनिहालों दुनिया देखने की अभी शुरूआत ही की थी. उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पडा. इसके चलते सरकार को चाहिए कि आग में झुलसे बालको के परिजनों को योग्य सहायता राशि दी जाए. हालाकि आग की घटना के बाद जांच के लिए जो समिति गठित की गई थी. उसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है. जिसके आधार पर निलंबन की कार्रवाईया की गई है.
भविष्य में इस तरह की घटनाए न हो. संपूर्ण प्रशासन को ध्यान देना जरूरी है. हर घटनाए कोई न कोई सबक दे जाती है. इस अग्निकांड की व्यापक जांच होना आवश्यक है. इस बात को ध्यान रखते हुए अन्य जिले मे भी पुलिस एवं अन्य विभाग के लोगो के साथ चिकित्सको से भी चर्चा की जा रही है व सभी को अग्नि रोकने संबंधी उपकरण रखने के निर्देश दिए जा रहे है. उपकरण भले ही आग रोक सकते है . लेकिन इसके लिए कार्यरत अधिकारी को सजग रहना भी जरूरी है. यदि उनकी ओर से लापरवाही होती है तो निश्चित रूप से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसकी सावधानी आवश्यक है.

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