उम्मीदों का वर्ष हो 2021

वर्ष 2020 देशवासियों सहित समूचे विश्व में अपनी दुखद यादे छोड गया है. वर्ष 2021 में एक उम्मीद अवश्य जाग रही है कि इन 2020 की काली छाया काफी हद तक नष्ट हो जायेगी. वर्ष 2020 जहां अपने कोरोना के संक्रमण के लिए लोगोें के मन में डर बैठा गया है. वहीं पर 2021 में कोरोना पर वैक्सीन आने की पूरी संभावना हो गई है. डब्ल्यूएचओ की मान्यता मिलते ही टीकाकरण आरंभ हो जायेगा. इस दष्टि से देखा जाए तो वर्ष 2020 जहां समस्याओं का कारण बना वही वर्ष 2021 समस्याओं के निराकरण का श्रेय हासिल कर सकता है. हालाकि इस बीच कोरोना नये रूप में आने की जानकारी भी आ गई है. ब्रिटेन में कोरोना का यह नया रूप अपना क्षेत्र विस्तारित कर रहा है. कहा जाता है कि इस नये रूप में कोरोना के संक्रमण का खतरा 75 फीसदी और बढ गया है. लेकिन सरकार ने जिस तरह के इंतजाम किए है. उससे यह लगता है कि इस नई महामारी के फैलने का खतरा नहीं रहेगा. केवल वैक्सीन का प्रभाव ही सर्वत्र नजर आयेगा. कोरोना के संक्रमण ने जिस तरह 2020 में अपना उत्पात मचाया. उसे देखते हुए लोगों के मन में भय अभी भी कायम है. क्योंकि नये रूप में कोरोना के आगमन से यह डर और बढ गया है. लेकिन यह भी स्पष्ट है कि सरकार विदेश से आए नागरिको की जांच कर उनमें कोरोना के नये रूप की पृष्टि करे व संंक्रमण को वही रोकने की दिशा में योग्य प्रबंध करे.
वर्ष 2020 में एक ओर समस्या सामने आयी है. किसान आंदोलन यह विगत 35 दिनों से जारी है. 30 दिसंबर को इस बारे में किसान एवं सरकार के बीच वार्ता भी हुई जिसमें आधी मांगों को मान्य किया गया है. शेष मांगों पर विचार किया जा रहा है. आगामी 4 जनवरी को सरकार और किसान के बीच फिर से वार्ता होगी. तब संभव है योग्य निर्णय लिया जायेगा. हालाकि सरकार यह कह चुकी है कि वह किसी भी हाल में कृषि कानूनो को वापस नहीं लेगी. किसानों की जिद है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले. इस चक्र में अभी किसान आंदोलन अटका हुआ है. इस समस्या का आनेवाले वर्ष में निदान हो सकता है. यह हर कोई मान रहा है. क्योंकि सरकार ने आधी मांगे स्वीकार कर किसानों की उम्मीदे जगाई है. हालाकि होना यह चाहिए था कि कुछ कदम किसान आगे बढते तथा कदम सरकार आगे आकर समस्या के निराकरण की दिशा में कदम उठाती. बहरहाल 4 जनवरी को फिर से किसान एवं सरकार के बीच चर्चा होगी. इस चर्चा में किसान आंदोलन का हल निकलेगा. यह उम्मीद की जा सकती है.क्योकि सरकार भी चाहती है किसान आंदोलन समाप्त हो. लेकिन किसान जिस तरह जिद में है उससे यह लगता है कि अभी किसानों के लिए नया वर्ष दूर है.
बीते वर्ष में पडोसी देशों से देश के संबंध ठीक नहीं है. चीन एक ओर जहां अपने विस्तारवादी रवैये का उपयोग कर अपना क्षेत्र बढाने की खटपट कर रहा है वहीं पाकिस्तान भी आये दिन नई-नई खुरापात कर लोगों को उकसा रहा है. अब तक उसने कई बार युध्द विराम को भंग किया है. इतना ही नहीं पाकिस्तान आतंकियों की खेफ भारत में भेजने की तैयारी कर रहा है. भारत में भी आतंक वादियों के मनसुबे नष्ट करने के लिए तत्पर हो गया है. कई बार सर्जीकल स्ट्राइक के जरिये पाकिस्तान का मनोबल तोडने की कोशिश की है. निश्चित रूप से भारत ने इस बार अपनी शक्ति का भी प्रदर्शन किया है. प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में देश को सभी दृष्टि से मजबूत बनाने की कोशिश जारी है. लोगों को भी इस बारे में आगे आना होगा. आवश्यक नियमों का पालन कर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयास करने होगे. इसके लिए सरकार को भी चाहिए कि वह योग्य नीतिया तय करे. ताकि नये वर्ष में लोगों को उम्मीदों का आधार मिले व नागरिक स्वावलंबी होने के लिए कदम बढाए.
कुल मिलाकर वर्ष 2020 में अनेक समस्याएं दे गया है. खासकर कोरोना के संक्रमण के कारण देश में जहां लॉकडाउन जारी करना पडा वहीं पर अनेक लोगों के रोजगार भी छीन गये. इस हालत मेंं द ेदेश के अनेक नागरिक आज भी समस्याओं में उलझे हुए है. इस पर बढती महंगाई लोगों के लिए चिंता का कारण बनी हुई है. खाद्य तेल में भारी उछाल देखा जा रहा है . ऐसे में सामान्य व्यक्ति का जीवन जटिल हो गया है. क्योंकि व्यापार भी पहले की तरह योग्य उठाव नहीं ले पा रहा है. क्योंकि कोरोना संक्रमण के नये नये रूप को देखते हुए लोगों में भय कायम है. ऐसे में आम नागरिक के सामने समस्या कायम है वह कुछ नया नहीं कर पा रहा है. हालाकि कोरोना ने हर किसी को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र दिया है. अनेक लोगों ने इस बात को महसूस किया है कि संकटकाल में जीवनावश्यक वस्तुओं के सहारे ही जीवनयापन किया जा सकता है. ऐसे में लोगों में मितव्ययिता बढी है. पहले जिस तरह अनाज आदि का नुकसान होता था अब उसे लोग बचा रहे है. निश्चित रूप से हर किसी को आत्मनिर्भर होने की दिशा मिलेगी व आनेवाला वर्ष लोगों के लिए नई उम्मीदे ला सकता है. जरूरी है कि लोग वर्ष 2020 के भय से अपने आप को मुक्त समझे व नये वर्ष में संकल्प के साथ अपने कार्य को दिशा दे. खासकर किसी पर निर्भर रहने की बजाय स्वयं आत्मनिर्भर होने की कोशिश करे. यदि हर किसी के मन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य कायम हो तो भविष्य मेंं पूरा देश आत्मनिर्भर हो सकता है तथा विकास की दिशा में देश कूच कर सकता है.