संपादकीय

सड़कों पर भींख मांगते नौनिहाल

मुंबई हाईकोर्ट ने सड़कों पर भीख मांगनेवाले बच्चों व महिलाओं के पुनर्वास संबंधी उठाए गये कदमों के विषय को लेकर गुरूवार को राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है. निश्चित रूप से राज्य के अनेक शहरों में विभिन्न चौराहो पर अनेक मासूम बालक भीख मांगते हुए दिखाई देते है. बालको की यह दशा अत्यंत दयनीय रहती है. इस हालत में यह जरूरी है कि नौनिहालों पर भीख मांगने की नौबत क्यों आयी है. इसका जवाब खोजना आवश्यक है. हर शहरों में यह नजारा देखा जा सकता है. इस बात को लेकर अनेक लोगों का मन भी द्रवित हो जाता है तथा भावावेश में आकर वे बालको को भीख दे देते है. मासूम बालको के माध्यम से भीख भरपूर मिलती है. यह अनुमान आम तौर पर भिखारी परिवारों का रहता है. इसलिए कई बार वे बालको को भूखा प्यासा रखकर भी भीख मंगवाते है. इससे हर शहरों में नौनिहालों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. यह बात अब अदालत से भी छिपी नहीं हैे. इसके कारण अदालत ने राज्य सरकार को हलफनामा पेश करने को कहा है. बेशक लॉकडाऊन व कोरोना संकट के कारण अनेक लोगों की आर्थिक हालत कमजोर हो गई है. घर का उदर पोषण कैसे करे.परिणामस्वरूप घर के बालको को भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता है. हालाकि भीख मांगनेवालों के खिलाफ कार्रवाई हो.यह आरंभ से ही कहा जा रहा है. इसके लिए कुछ प्रावधान भी बनाए गये है.

लेकिन पाया जाता है कि ऐसे प्रावधानों के अमल में ढिलाई बरती जाती है. जिससे भीख मांगने का सिलसिला अभी भी जारी है. खासकर इस कार्य में महिला व बालको का ज्यादा समावेश दिखाई देता है. महिला बालको के लिए यह चुनौतीवाला समय है. घर में अनाज का दाना न रहने पर भीख ही एकमात्र आधार रहता है. जिसके कारण अनेक भिखारी लॉकडाऊन के बाद बढ़ गये है. क्योंकि लॉकडाऊन के चलते अनेक लोगों की आर्थिक हालत समाप्त हो चुकी है.

कोरोना संक्रमण के कारण अनेक लोगों की जमा पूंजी भी समाप्त हो चुकी है. इसलिए उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.
बालको से भीख मंगवाने की क्रूरता इस बात से नजर आती है कि वे तपती धूप में अनेक बालक सड़कों पर खड़े होकर भीख मांगते है. इसमें अधिकांश बालको के शरीर पर वस्त्र भी नहीं रहते. तपती धूप में वे रूके वाहनों के पास पहुंचकर भीख जमा करते है. कई जगह पाया गया है कि इन बाल भिखारियों के प्रति न तो उनके संरक्षक सक्रिय रहते है न ही प्रशासन. तपती धूप हो, बरसात हो या अन्य कोई मौसम अनेक बालको को सड़कों पर भीख मांगते हुए देखा जा सकता है. अनेक बार यह मामले भी सामने आए है कि विभिन्न क्षेत्र से बालको का अपहरण कर बालको को जबरन भीख मांगने को मजबूर किया जाता है. इस बारे में कई बार समाचार पत्रों ेंएवं अन्य प्रसार माध्यमों के जरिए समाचार भी प्रकाशित हुए है.

नौनिहालों को अगवा कर उसे भीख मांगने के लिए प्रताडि़त करने के कई मामले सामने आए है, ऐसे में जरूरी है कि इस बात की भी जांच की जाए कि सड़को पर जो बालक भीख मांग रहे है वे किसी भिखारी परिवार से जुड़ा है या उसका अपहरण किया गया है व उसे भीख मांगने के लिए मजबूर किया गया है क्या? यह सब सवाल तभी संभव है जब सरकार सड़क पर भीख मांगनेवालो का सर्वेक्षण करे. बाल्यावस्था यह भविष्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहती है. इस उम्र में शिक्षा-दीक्षा हासिल करने की बजाय केवल भीख मांगकर गुजारा करना पड़े यह बालको के साथ अन्याय है. बालको के प्रति वैसे भी सरकार संवेदनशील रहती है. आज जब अनेक सड़कों पर अधफटे वस्त्र पहने बालक भीख मांगते हुए दिखाई देते है तो लोगों के मन पसीज होते है. वे भिखारियों को पैसे देकर उन्हें राहत पहुंचाने की कोशिश करते है. लेकिन यह कृति बालको के लिए घातक साबित होती है.इससे बेहतर यही है कि नौनिहालो को नगद भीख देने की बजाय कुछ खाने की वस्तु दी जाए जिससे उनका उदर पोषण होगा व भीख के पैसे पर उनके परिजनों द्वारा अन्याय करने की नौबत नही आयेगी. पाया गया है कि बाल भिखारियों के पैसे पर कुछ लोग अपनी अय्याशी का सामान जमा करते है. जिसका कोई भी लाभ बालको को नहीं मिलता. कई बार उन नौनिहालो को भरपेट भोजन भी प्राप्त नहीं होता. इस हालत में जरूरी है कि बालको को पैसे देने की बजाय कुछ खाद्य पदार्थ दिया जाए.

सड़को पर भीख मांगनेवालों के लिए पुनर्वास केन्द्र आरंभ करने की मांग की जाती है. अदालत ने भी इस बारे में राज्य सरकार से पूछा है. अब सरकार का दायित्व है कि वह सड़कों पर भीख मांगनेवालों के लिए पुनर्वास केन्द्र बनाए तथा उन्हें शिक्षा सहित अन्य सुविधाए दी जा सके. जरूरी है कि शहरों में बढ़ती बाल भिखारियों की संख्या रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए. यदि ऐसा किया जाता है तो जो बालक भीख मांगकर अपना जीवन नष्ट कर रहे है उन्हें योग्य जीवन जीने का अवसर मिल सके. कुल मिलाकर अदालत ने भी सड़कों पर भीख मांगनेवालो की पीड़ा को समझा है तथा उनके पुनर्वास के लिए राज्य सरकार से तलब किया है. अब सरकार क्या उत्तर देती है. इस पर अगला कदम निर्भर है.

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