संपादकीय

बर्ड फ्लू का संक्रमण

अमरावती जिले में भले ही अभी तक बर्ड फ्लू सदृश्य स्थिति सामने नहीं आयी है. लेकिन प्रशासन ने आरंभ से ही उपाय योजना शुरू कर दी है. हालाकि इससे पूर्व भी जिले में कई बार बर्ड फ्लू जैसी स्थितियां निर्माण हुई है. लेकिन उसका विशेष प्रभाव कही नजर नहीं आया. वर्तमान में भी बड र् फ्लू के संक्रमण की आशंका बढ रही है. लेकिन प्रशासन ने भी इससे निपटने के लिए तैयारी आरंभ कर दी है. किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूर्व तैयारी होना आवश्यक है. इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने कार्रवाई आरंभ कर दी है. 14 तहसील स्तरीय रेपिड रिस्पाँस टीम निर्माण की गई है व उन्हें नियमित जांच के निर्देश दिए गये है. बेशक जिले में अभी बर्ड फ्लू सदृश्य स्थिति नही है. लेकिन धारणी तहसील के दिया में तीन कौवे तथा तीन अन्य पक्षी मृत पाए गये. उनकी मृत्यु का कारण जांचने के लिए पक्षियों को पुणे स्थित, राजस्तरीय रोग अन्वेशन विभाग को सौंप दिया गया है. इसी तरह महानगर पालिका ने सोमवार को पक्षी विक्रेताओं को कुछ उपाय व सावधानी के निर्देश दिए है. बर्ड फ्लू यह विषाणु स्थलांतरित पक्षियोें में पाया गया है. जिससे पुणे सोलापुर नवेगांव बांध, परभणी से पक्षी लाने व स्थलांतरित करने के बारे में सावधानी बरतने को कहा गया है. इस कार्य में सफाई का भी महत्व है. जिसके चलते पक्षियों के पिंजरे, बर्तन आदि को स्वच्छ रखने का निर्देश भी प्रशाासन ने दिया है. जिले में भले ही अभी इस बीमारी का प्रादुर्भाव नजर नहीं आ रहा है. लेकिन देश के 10 राज्यों में इस बीमारी की पृष्टि की गई है. आरंभ में 7 राज्यों में संक्रमण होने की बात घोषित की गई थी. किंतु सोमवार को महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तराखंड में यह संकट निर्माण होने लगा है. जिससे राज्य के सभी जिलो को सजग हो जाना आवश्यक है. बीमारी इससे पूर्व सिर उठाए है. इस पर आक्रमक भूमिका अपनानी होगी. स्वास्थ्य जांच के लिए विशेष कदम उठाए जाना आवश्यक है.
बर्ड फ्लू का संक्रमण इससे पूर्व भी कई बार हुआ है. लेकिन बर्ड फ्लू में इस बार विशेषता यह है कि वह कोरोना बीमारी के बीच घुसपैठ कर रहा है . कोरोना का विषाणु अस्तित्व में है. ऐसे में इस बीमारी का फैलना प्रशासन के लिए चिंता का कारण बन सकता है. बर्ड फ्लू का पहला मामला 25 दिसंबर 2020 को राजस्थान के झालवाल में सामने आया है . इस राज्य में अब तक 2 हजार 950 पक्षियों की मृत्यु हुई है. इसी तरह रविवार को 428 पक्षी मृत पाए गये राजस्थान के माधवपुर, पालीदौसा तथा जैसल मेल जिले में कौवा, मोर व संबंधित पक्षियों का भी मामला सामने आया है. इसके चलते देश के संबंधित 10 राज्य में पक्षी बाजार प्राणी संग्रहालय प्रबंधन को रोज अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार के संबंधित विभाग को रोजाना रिपोर्ट भेजने के निर्देश भी दिए गये है.
हर वर्ष देश में कोई न कोई बीमारी अपने व्यापक रूप में आती है. जिसके कारण देश में हाहाकार मच जाता है. विगत वर्ष मार्च से ही कोरोना का संक्रमण आरंभ हो गया था. आज इस बीमारी से पीडित हजारों लोग है. यदि कोरोना पर आरंभ से नियंत्रण किया जाता तो उसका स्वरूप भयावह नही होता. वर्तमान मेें अनेक बीमारियों के कारण पर्यावरण का संतुलन भी है. वातावरण में अनेक बदलाव आने के कारण जनस्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगा है. इसलिए जरूरी है कि हर कोई अपनी दिनचर्या में सुधार लाए. क्योंकि बीमारी से बचाव के लिए योग्य दिनचर्या ही विशेष प्रभाव रखती है. इसके साथ ही लोगों को अपनी परिसर की स्वच्छता भी रखना अनिवार्य है अन्यथा जीवाणु के माध्यम से यह बीमारी ओर घेर सकती है. इसके लिए प्रशासन द्बारा सुझाए गये दिशा निर्देशों का पालन होना चाहिए. यदि बीमारी की आशंका भी है तो प्रशासन को तत्पर होकर अपना काम आरंभ करना जरूरी है.
कुल मिलाकर कोरोना का संकट अभी टला नहीं है. ऐसे में बर्ड फ्लू नाम की यह बीमारी भी अपने पैर पसारने लगी है. करीब 10 राज्य में इस बीमारी की पृष्टि हुई है . जरूरी है कि जनसामान्य अपने आपको संक्रमण से बचाए. आम तौर पर यह बीमारी पक्षियों के माध्यम से होती है. ऐसे में पक्षियों के संपर्क में न आना पडे. इस तरह की सावधानी बरतना आवश्यक है. हालाकि प्रशासन न बर्ड फ्लू की जांच के लिए 14 दल तैयार किए है. ये हर गांव में जाकर जांच करेंगे. नागरिको को भी चाहिए कि वे इस तरह की बीमारी की जांच स्वयं स्फूर्त होकर कराए. क्योकि जांच न होने के कारण यदि कोई इस बीमारी का शिकार होता है तो उसके लिए तत्काल चिकित्सा सेवा भी होना चाहिए. निश्चित रूप से कोरोना काल में बर्ड फ्लू का संक्रमण घातक हो सकता है . अत: प्रशासन सहित नागरिको को भी इस बीमारी से बचाव के लिए योग्य कदम उठाना चाहिए.

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