संपादकीय

लापरवाह स्वास्थ्य कर्मी

यवतमाल जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पोलियो डोज दिए जाते समय 12 बालको को सैनिटाइजर पिलाए जाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई. इस घटना में सभी बालक बीमार हो गये उन पर उपचार जारी है. यह बात सुनकर ही आश्चर्य लगता है कि जिस पोलियों उन्मूलन अभियान के लिए समूचा प्रशासन लगातार कई वर्षो से सक्रिय है तथा प्रशासन की इस कार्य गति को देखते हुए जनसामान्य भी पोलियो डोज को लेकर जागृत हो चुके है वे स्वयं स्फूर्त होकर अपने पाल्यों को डोज दिए जानेवाले स्थल पर लाकर बालको को डोज देने की प्रक्रिया को पूर्ण कर रहे है. इतना ही नहीं पास पडोस के नागरिक को भी प्रोत्साहित कर रहे है. आरंभिक दौर में जब यह अभियान शुरू हुआ था तब लोगों को इस अभियान के बारे में समझाना पडा. बडे-बडे विज्ञापन के माध्यम से इस बात को सामने लाया गया. जब यह अभियान गति पकड चुका है तब उसमें हुई लापरवाही जन सामान्य के विश्वास को प्रभावित कर रही है. यवतमाल में इसी तरह भीषण लापरवाही सामने आयी. जहां पोलियो डोज की जगह सैनिटाइजर का सेवन कराया गया. यह बात बालको के लिए घातक साबित हुई है. सभी बालको पर उपचार जारी है. निश्चित रूप से इस कार्य में व्यापक लापरवाही बरती गई है. क्योकि कोई पालक नहीं चाहता कि उसके पाल्य किसी दवा के आड में गलत दवाई का शिकार हो जाए. सैनिटाइजर व पोलियो डोज में भारी अंतर है. पोलियो का डोज एक या दो बूंद ड्राप के माध्यम से दिया जाता है. जबकि सैनिटाइजर का छिडकाव होता है. खासकर सैनिटाइजर में गंध होती है. जिस समय डोज दिया जा रहा था क्या उस समय किसी को गंध महसूस नहीं हुई. कहा जा रहा है कि सभी कर्मचारी अपने मोबाइल देखने में ही व्यस्त थे. जिसके कारण यह घटना हुई.
अस्पतालों में लापरवाही कोई नई बात नहीं है. इससे पूर्व भी भंडारा जिले में अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में आग लग गई है. जिसमें कई बालक घायल हो गये. जिस समय यह आग की घटना सामने आयी थी. उस समय इस मामले को लेकर भी भारी हंगामा हुआ. जिसमे संबंधित प्रशासन ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की है. इसी तरह आए दिन अस्पतालों में लापरवाही की घटनाए सामने आती. कुछ वर्ष पूर्व एक व्यक्ति के जिस पैर का ऑपरेशन होना चाहिए था. वह न करते हुए दूसरे पैर का ऑपरेशन किया गया. यह माना जा सकता है कि अनेक लोग इन लापरवाहियों के कारण स्वास्थ्य सेवा को बदनाम कर रहे है. जबकि स्वास्थ्य विभाग में हर किसी की जरूरत को पूरा करता आया है. कई बार ऐसे मरीज मिल जाते है. जो कुछ कर पाने में असमर्थ रहते है. उन्हें योग्य सेवा देकर उन्हे स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराना यह समय की मांग है. इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी और बढ जाती है. सैनिटाइजर मामले में डॉक्टर सहित इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. लेकिन इतनी कार्रवाई पर्याप्त नहीं मानी जा सकती. क्योंकि इस घटनाक्रम से कुछ बालको की जान भी जा सकती है. ऐसे में जो लोग इस घटना में लिप्त पाए जाते है. उनके खिलाफ फौजदारी मामला भी दर्ज किया जाना चाहिए.
अस्पताल में आनेवाला हर व्यक्ति यह उम्मीद लेकर आता है कि यहां उसे स्वास्थ्य लाभ मिलेगा. लेकिन पाया गया है कि सरकारी अस्पतालों में भारी लापरवाहिया बरती जाती है. जिसके कारण मरीजों का ऐसे सरकारी अस्पतालों में आने का मन नहीं करता. जब तक उसके पास संसाधन है तब तक वह निजी अस्पतालों में ही उपचार करवाता है. जरूरी है कि सरकारी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही न हो. यदि कोई लापरवाही करता भी है तो उसके खिलाफ कडी कार्रवाई होनी चाहिए. यवतमाल की घटना में भले ही बालक बीमार हो गये. लेकिन यह घटना किसी के लिए जानलेवा साबित नहीं हुई. इस हालत में जो लोग स्वास्थ्य सेवाओं से जुडे है उनका दायित्व है कि वे अपने कार्यो के प्रति पूरी तरह समर्पित रहे. यदि लापरवाही बरती जाती है तो उनके खिलाफ कडी कार्रवाई की जानी चाहिए. भंडारा में भी इसी तरह लापरवाही बरती गई थी. जिससे अस्पताल में आग लग गई थी तथा अनेक बालक झुलस गये. यह घटना भी लोगों के मन को आहत करनेवाली थी. इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हो इसके लिए किसी भी अभियान को छेडते वक्त अधिकारियों को योग्य ध्यान देना चाहिए. अन्यथा ऐसी घटनाओं से लोगों के मन मे सरकारी अस्पतालों के प्रति अविश्वास निर्माण न हो.

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