संपादकीय

शिक्षा से वंचित बालक

कोरोना संक्रमण के कारण एज्युकेशन सिस्टम में भारी बदलाव आया हैे एक वर्ष से अधिक समय से कोरोना संक्रमण का दौर जारी है. इस दौरान अनेक बच्चों ने स्कूल को देखा ही नहीं है. डिजिटल डिवाइस ही पढ़ाई का एकमात्र जरिया है. लेकिन ऐसे में चोकानेवाला सच यह है कि देश के 26 राज्यों के 2.69 करोड स्कूली छात्रों के पास लॅपटॉप या मोबाइल नहीं है. केन्द्रीय शिक्षामंंत्री धमेन्द्र प्रधान के अनुसार सबसे खराब स्थिति बिहार की है. यहां 1.43 करोड़ विद्यार्थियों के पास डिजिटल डिवाइस नहीं है. झारखंड के मामले में यह आंकडा 35.32 लाख है. जबकि कर्नाटक में 31.31 लाख, असम में 31.6 लाख, उत्तराखंड में 21 लाख छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस नहीं है. किसी भी राष्ट्र या क्षेत्र में शिक्षा की विशेष भूमिका होती है. जिसे देखते हुए सरकार ने शिक्षा की निधि में भारी बढोतरी की है तथा शिक्षा का क्रम सुचारू हो भी गया था. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण शिक्षा संस्थानों मेें ताले लटक गये है. परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों को जो शिक्षा मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल पा रही है. ऑनलाईन शिक्षा के लिए पर्याप्त संसाधनों का होना जरूरी है. अनेक विद्यार्थियों के पास इन संसाधनों का अभाव है. यही कारण है कि ऑनलाईन शिक्षा का सीमित वर्ग को ही लाभ मिल रहा है.
सरकार की ओर से अनेक प्रयास किए जा रहे है. लेकिन जिस तरह संसाधनों का अभाव है उसे देखते हुए लॉकडाउन के इस दौर में अनेक विद्यार्थी शिक्षा से वंचित रह रहे है. यह भी सच है कि जो भी शिक्षा शिक्षको के मार्गदर्शन में कक्षा में होती है वह ज्यादा प्रभावी रहती है. विद्यार्थी की एकाग्रता उसे शिक्षा की द़ृष्टि से सक्षम बना देती है. ऑनलाईन शिक्षा लेनेवाले विद्यार्थी एकाग्रता प्राप्त नहीं कर सकते है. क्योंकि घरेलू वातावरण में कहीं न कहीं विद्यार्थियों का ध्यान बटता है. इसके कारण उनकी शिक्षा ढंग से नहीं हो पा रही है. जरूरी है कि सरकार कोरोना संक्रमण के कारण जो विद्यार्थी शिक्षा से वंचित रह गये है. उन्हे शिक्षित करने की फिर से कार्रवाई होनी चाहिए.
बहरहाल अनेक क्षेत्रों में उपकरणों का अभाव है तथा सरकार की ओर से इस दिशा में योग्य नीति तय करनी चाहिए. यदि कोरोना संक्रमण का खतरा टल रहा हो तो विद्यार्थियों को शाला में प्रवेश देकर शिक्षा आरंभ करनी चाहिए. देश के विभिन्न राज्यों में 2.69 करोड बच्चे शिक्षा से वंचित है. यह वंचित होना अपने आप में चिंतनीय है. क्योंकि शिक्षा का एक समय होता है, एक उम्र होती है. जब विद्यार्थी शिक्षा हासिल कर सकता है. यह समय निकलने के बाद उसे कठिनाई होती है. इसलिए सरकार को चाहिए कि वह सभी शालाओं में उपयुक्त साधन उपलब्ध कराए. जब तक शालाएं आरंभ नहीं होती तब तक विद्यार्थियों को कम दरों में मोबाइल आदि उपलब्ध कराए जाए.
कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण के बाद व्यापार उद्योग प्रभावित हुए है. उसी तरह विद्यार्थियों की शिक्षा भी प्रभावित हुई है. अनेक विद्यार्थी आज शिक्षा लाभ से वंचित है. उन्हें शिक्षा के प्रवाह में जोडने के लिए शाला प्रबंध से लेकर हर किसी को भरपूर प्रयास करना होगा. यदि शालाए आरंभ हो जाती है तो विद्यार्थियों की समस्या पूरी तरह समाप्त हो सकती है. जरूरी है कि प्रशासन विद्यार्थियों की शिक्षा पर ध्यान दे. ताकि भविष्य में विद्यार्थी शिक्षा का जो अनुशेष बढ रहा है. उसे दूर कर सके.

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