कोरोना संक्रमण : जनजागृति भी जरुरी
राजधानी दिल्ली सहित देश के विभिन्न प्रांतों में कोरोना संक्रमण फिर से आरंभ हो गया है. राजधानी दिल्ली में तो इस बीमारी ने भारी कहर बरपना आरंभ कर दिया है. एक दिन में ५ हजार से अधिक संक्रमित पाये जा रहे है. जबकि पिछले २४ घंटों में मरने वालों की संख्या ११८ रही है. इससे एक दिन पूर्व १३१ मरीजों ने दम तोडा था. इसी तरह अहमदाबाद में भी कोरोना का संक्रमण चरम पर है. यहां पर सरकार की ओर से रात का कफ्र्यू आरंभ किया गया है. कुछ स्थानों पर तो ५७ घंटों का लॉकडाउन भी जारी है. जाहीर है अनेक स्थानों पर कोरोना के बढते संक्रमण ने प्रशासन की नींद उडा दी है. अब अधिकारियों द्बारा इस बीमारी को रोकने के लिए या इस पर नियंत्रण के लिए भारी दौड-भाग की जा रही है, लेकिन बीमारी अपने चरम पर कायम है. रोजाना मरीजों की बढती संख्या के कारण अनेक स्थानों पर लॉकडाउन जैसे स्थितियां निर्माण हो गई है. दीपावली से पूर्व यह बीमारी कुछ हद तक नियंत्रण में आ गई थी. जिसके कारण अनलॉक की प्रक्रिया के तहत अनेक प्रतिष्ठानों को आरंभ करने की अनुमति दी गई थी. बस सेवाएं भी पूर्ववत होने लगी थी. लेकिन कुछ दिनों से इस बीमारी ने फिर अपना तीव्र स्वरुप आरंभ कर दिया है. बीमारी से बचाव के लिए प्रशासन ने अनेक कडे कदम उठाये है. खासकर दिल्ली में मास्क न लगाने वालों पर २ हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है. इसी तरह सार्वजनिक स्थानों पर थुंकने पर भी २ हजार रुपए जुर्माना वसूल किया जाएगा. इसका असर भी हुआ है. राजधानी में पहले जहां करीब १०० चालान मास्क न पहनने वालों के खिलाफ कटते थे. लेकिन अब इनकी संख्या सीमित हो गई है. कोरोना का संक्रमण फिर से इतनी तेजी से क्यों बढा. इस पर भी चिंतन किया जाना आवश्यक है. दीपावली के अवसर पर लोगों की भीड बाजार में उमड गई थी. जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाया. प्रशासन यदि इसी समय सक्रिय हो जाता, तो निश्चित रुप से आज जो नौबत निर्माण हुई है, उसे रोका जा सकता था. बिहार में चुनाव प्रक्रिया के दौरान हजारों संख्या में लोग जनसभा में पहुंचे थे. परिणाम स्वरुप सीमित समय में भरपूर भीड का आलम हर जगह दिखाई दिया. चुनाव जैसी प्रक्रिया होने के कारण देशवासियों ने अपना योगदान दिया. लेकिन आमसभाओं में जो भीड उमड रही थी. उससे बीमारी का खतरा बढ गया था. काफी हद तक बीमारियों ने अपना असर दिखाना भी आरंभ कर दिया है. इसी तरह अहमदाबाद व गुजरात के कुछ जिलों में नाईट कफ्र्यू आरंभ किया गया है. लेकिन रेलवे स्टेशनों पर लोगों को जाने की योग्य व्यवस्था चाहिए थी वह नहीं है. यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं हो पा रहा है. परिणाम स्वरुप बीमारियों ने अपना स्वरुप दिखाना आरंभ कर दिया है. ऐसे में यह प्रश्न भी उठता है केवल लॉकडाउन ही क्या इस बीमारी का हल है. इसके लिए जनजागृति की भी आवश्यक है. लोगों को प्रशासन पर विश्वास भी होना चाहिए. चुनाव हो या पर्व की खरीददारी के समय उमडती भीड की ओर कोई ध्यान न देना आदि लापरवाहियां भी हुई है. इन लापरवाहियों का खामियाजा है कि, बीमारी ने फिर से अपना स्वरुप दिखाना आरंभ कर दिया है. बीमारी अपने चरम पर पहुंचे इससे पूर्व देश के सभी क्षेत्र में योग्य सावधानिया बरतना आवश्यक है. साथ ही लोगों में जनजागृति भी जरुरी है. राजधानी दिल्ली में एक दुकानदार से पूछा गया कि आपने मास्क लगाया है क्या यह कोरोना का डर है, या फिर २ हजार रुपए जुर्माने का. उसने स्पष्ट कहा कि, बीमारी से ज्यादा जुर्माने का डर है. केवल भय उत्पन्न करने से बीमारी को रोका नहीं जा सकता. इसके लिए लोगों को भी जागरुक करना होगा. कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टंqसग, मास्क लगाना, साबून से हात धोना जैसी बातों का प्रचार किया जा रहा है. लेकिन कोरोना रोकने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है आंतरिक शक्ति (इम्यूवनिटी) का मजबूत होना. लेकिन इस विषय को नजरअंदाज किया जाता है. प्रशासन को चाहिए कि, आंतरिक शक्ति बढने के लिए कौनसे उपाय किये जा सकते है.
इस बारे में भी लोगों को जानकारी दे. बीतें दिनों मालेगांव में पॉजिटिव के मामले कम हुए थे. इसके लिए काढा विशेष तौर पर लाभकारी रहा. सरकार ने उस समय अनेक स्थानों पर मालेगांव पैटर्न का प्रचार भी किया था. लेकिन इसे जिस रुप में प्रचारित किया जाना था वैसा नहीं किया गया. जरुरी है कि, जो साधन आंतरिक शक्ति बढाते है उन्हें भी प्रकाश में लाना चाहिए और प्रचारित करना चाहिए. निश्चित रुप से इससे बीमारी का न केवल प्रकोप कम होगा बल्कि लोगों में भी बीमारी से लडने का एक आत्मविश्वास निर्माण होगा. जरुरी है कि, बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए नियमों का पालन आवश्यक है ही लेकिन आंतरिक शक्ति बढाने के उपर भी जोर देना चाहिए. तभी इस समस्या से निजात मिल सकती है.