संपादकीय

जानलेवा निर्माणकार्यों की हो जांच

धामगणगांव रेलवे के समृद्धि महामार्ग के निर्माणकार्य में एक सीमेंट का स्लैब ढह गया. अचानक हुई इस घटना में किसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचा. किंतु यह स्पष्ट हो गया कि, जल्दबाजी में किया गया कार्य किस तरह घातक हो सकता है. महामार्ग का स्लैब गुरुवार को सुबह 7 से 8 बजे के बीच एकाएक ढह गया. इस घटना में कोई जनहानी नहीं हुई. लेकिन यहीं दुर्घटना दोपहर के समय होती है, तो संभव था. अनेक लोग इस दुर्घटना के शिकार होते. निश्चित रुप से यह घटना कईयों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती थी. हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियावाद के समय मुराद नगर में एक स्मशान की दीवार ढह जाने से करीब 25 लोगों की मृत्यु हो गई थी. इस समय देशभर में यह मुद्दा तेजी से गुंजा. लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई. लेकिन फिर से स्थिति जस की तस है. निर्माणकार्य में होने वाली लापरवाही के कारण कई बार लोगों को जान से हाथ धोना पडता है. लेकिन इस कार्य में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है, इस बात का संभवत पता ही नहीं चलता है. समृद्धि महामार्ग यह महाराष्ट्र के अनेक प्रकल्पों में से एक है. यह प्रकल्प राज्य के परिवहन को न केवल गति प्रदान करेगा, बल्कि समय की भी बचत होगी. अनेक विकासात्मक कार्यों को लेकर बन रहे इस समृद्धि महामार्ग से लोगों को अनेक आशाएं है इसके चलते हर कोई इसे महत्वपूर्ण प्रकल्प के रुप में मान रहा है. लेकिन इसका भी निर्माणकार्य यदि कमजोर है, तो भविष्य में इस प्रकल्प को लेकर अनेक आशंकाएं उत्पन्न हो सकती है. प्रकल्प स्लैब क्यों गिरा. इस बात को लेकर चिंतन होना आवश्यक है. खासकर मामलें की भी जांच की जानी चाहिए. इसके अलावा पूरे परिसर की गुणवत्ता का भी पता लगाया जाना चाहिए. आने वाले समय में इस महामार्ग से हजारों वाहन गुजरेंगे. इस हालत में यदि दुर्घटना होती है, तो निश्चित रुप से कई लोगों की जान जा सकती है. इसलिए जो कार्य जनसामान्य से जुडे हुए है, उसकी गुणवत्ता की जांच निश्चित रुप से होनी चाहिए. विगत दिनों श्मशानभूमि में दीवार ढह जाने का कारण कमजोर निर्माण कार्य ही था. क्योंकि श्मशान की दीवार फरवरी माह में पूर्ण हुई थी, जो एक वर्ष के भीतर ही ढह गई. जाहीर है इस तरह का निर्माणकार्य जानलेवा हो सकता है. इसलिए ऐसे कार्य करने वाले ठेकेदार व अधिकारियों के खिलाफ भी कडी कार्रवाई होनी चाहिए. क्योंकि अपने स्वार्थ के लिए औरों की जान दाव पर लगाना कहीं की समझदारी नहीं है. लेकिन स्वार्थ अनेक निर्माता अपने कार्य में इतनी लापरवाही बरतते है कि वह जानलेवा साबित हो सकती है.
समृद्धि महामार्ग यह नागपुर-मुंबई को जोडने वाला महत्वपूर्ण महामार्ग है. इसके आरंभ होने के बाद से ही इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए था कि कार्य में कोई लापरवाही न हो. लेकिन इस बारे में ध्यान नहीं रखा गया. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है जो इस स्लैब का निर्माण भी दो-तीन दिनों पूर्व हुआ था. अत: कार्य की गुणवत्ता होती, तो वह कम से कम कुछ माह तो टिका रहता. लेकिन चार दिनों के भीतर ही स्लैब का ढह जाना आश्चर्य जनक है. इस बात का पता लगाने के लिए संबंधित यंत्रणा को कार्य करना चाहिए. उन्हें इस बात की पुष्टी करनी चाहिए कि, इस कार्य में कितनी लापरवाही बरती गई है. यदि इस बात का पता चलाया जाता है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
कुलमिलाकर इस निर्माणकार्य में लापरवाही का होना महत्वपूर्ण है. यह लापरवाही किन कारणों से हुई है. इसकी सर्वांगीण जांच होना आवश्यक है. जांच के पश्चात यह पता चल सकेंगा कि, लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है. विशेष यह अभी यह मार्ग बनना जारी है. इसके भीतर और कहां-कहां कमजोर स्थितियां है. इसका भी पता लगाये जाना आवश्यक है. यदि महामार्ग कमजोर रहा तो, भविष्य में और भी दुर्घटनाएं हो सकती है. इसलिए अब संपूर्ण महामार्ग ही संदेह के घेरे में है. इसकी जांच अतिआवश्यक है. कार्य की गुणवत्ता का पता लगाये जाना भी जरुरी है. यदि ऐसा किया जाता है तो भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है. बहरहाल यह मार्ग दुर्घटनाग्रस्त क्या हुआ.

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