संपादकीय

किसानों के लिए हितकारी निर्णय

केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया किसानों के लिए कृषि संबंधी विधायक रविवार को राज्यसभा में पारित हो गया है. इससे पूर्व लोकसभा में भी यह विधेयक पारित हो गया था. राज्यसभा में इस विधेयक को लेकर तीखी नोकझोक व हंगामा हुआ. बावजूद इसके यह विधेयक पारित हो गया है. हालांकि इस विधेयक को गलत बताते हुए केन्द्रीय कृषिमंत्री एवं अकाली दल नेता …ने अपने पद से त्यागपत्र भी दे दिया है. जिसे मंजूर कर लिया गया है. विधेयक के विषय में अलग-अलग राय है. लेकिन एक बात तो सच है कि इस विधेयक से किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी. देश में किसान आरंभ से ही शोषित रहा है कभी उसे आर्थिक संकट के कारण नुकसान उठाना पड़ा तो कभी वह बेमौसम बारिश एवं समय पर मानसून का रूठना आदि कारणों से अपने कृषि कार्य में सफल नहीं हो पा रहा था. यहां तक कि कई बार आर्थिक विंवचना के चलते किसानों को आत्मघाती कदम भी उठाना पड़ता था. इसके लिए किसानों की फसल को योग्य मूल्य न मिल पाने का सबसे बड़ा कारण था. किसान सीजन में जो फसल व्यापारियों को बेचता था. उस फसल का दाम उसे अपर्याप्त मिलता था. क्योंकि अनेक बिचौलियों के बीच से गुजरते हुए यह व्यवहार होता था. लेकिन अब किसान अपनी मर्जी की कहीं भी अपनी फसल को बेच सकता है. यह पाया गया है कि जिस समय कोई फसल का उत्पादन होता है तब उसका मूल्य अत्यंत सीमित रहता है. कई बार तो नौबत ऐसी आती है मिलनेवाले मूल्य से किसान की लागत भी वसूल नहीं हो पाती. परिणामस्वरूप उसे आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है. हालांकि सरकार की ओर से किसानों को सहायता भी प्रदान की जाती है. लेकिन योग्य समर्थन मूल्य न मिलने से किसानों का मनोबल काफी प्रभावित हुआ है. इसलिए जरूरी था कि किसानों के हित में कृषि विधेयक पारित किया जाए. यदि किसानों को योग्य समर्थन मूल्य मिलता है तो वे अपनी फसल औने-पौने दाम पर नहीं बेचेंगे जिससे उनका आर्थिक पक्ष मजबूत हो सकेगा. देश में किसान की हालत अत्यंत दयनीय है. जिसके चलते अनेक किसान इन दिनों संघर्षपूर्ण स्थितियो में जी रहे है. जरूरी है कि किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिल सके.
कृषि विधेयक में प्रावधान है किसान कहीं भी अपना माल बेच सकता है. पहले किसानों को सीमित विकल्प थे. अब विकल्प का दायरा बढ़ गया है जिसके चलते किसान अपनी वस्तुओं को अपनी मर्जी के मुताबिक बेच सके. कई बार पाया गया है कि विदर्भ में संतरा का उत्पादन इतना अधिक होता है कि उसे बाजार नहीं मिल पाता. परिणामस्वरूप कई बार किसानों को अपना संतरा सड़कों पर फेंकना पड़ा था. जाहीर है कि अब उन्हें बाजार मिलेगा. वे अपनी मर्जी के मुताबिक अपनी फसलों को बेच सकेंगे. विदर्भ में उत्पादित होनेवाला संतरा उत्तर भारत में अधिक मूल्य में बिकता है. अब किसान कहीं भी अपनी वस्तुओं को बेचने के लिए स्वतंत्र है. जिससे वह अपनी फसल अन्य प्रांतों में भी बेच सकता है. जाहीर है जब विकल्प अधिक है तो किसानों को भी अपनी वस्तुओं का मूल्य योग्य रूप में प्राप्त हो सकेगा. पहले सीमित दायरे में फसल बेचना किसानों की मजबूरी थी. कई बार पाया गया है कि उत्पादित फसल योग्य बाजार न मिलने के कारण किसान द्वारा उसे व्यापारी को कम दरों में बेच देना पड़ता है. बाद में जब किसान को बुआई के बीज की जरूरत होती है तो व्यापारी से उसे दुगनी दरों में वहीं अनाज प्राप्त होता है. अभिप्राय यह जगह-जगह किसानों का शोषण केवल इसलिए हो रहा था कि उनके पास उत्पादित फसल बेचने के लिए विकल्प कम थे. लेकिन अब अनेक विकल्प प्राप्त हो गये है. निश्चित रूप से उसका किसानों को लाभ मिलेगा. किसी भी नये प्रयोग का परिणाम तत्काल नहीं मिलता. आज विधेयक के विरोध में जो लोग सामने आ रहे है. आनेवाले समय में वे भी इस किसानों की स्वतंत्रता को सम्मान की दृष्टि से देखेंगे व किसानों को योग्य मूल्य मिलेगा. विशेष बात यह है कि सरकार ने कृषि मंडियों में फसल लाने के बाद उसे बेचना किसानों की मजबूरी हो गई थी. लेकिन अब किसान योग्य मूल्य मिला तो उसे बेच सकता है. यदि उसे योग्य मूल्य नहीं मिलता है तो वह अन्यत्र जाकर अपनी फसलों का वारा न्यारा कर सकता है.
कुल मिलाकर भारत का किसान आरंभ से ही समस्या में रहा है. कभी आसमानी तो कभी सुलतानी संकट से कमजोर करता रहा है. इस हालत में अब किसानों को आर्थिक आजादी मिल सकती है. उन्हें अपनी फसल को कहीं भी बेचने का अवसर मिलेगा. निश्चित रूप से यह बात किसानों के हित में है. बेशक आज इस तरह की व्यवस्था किसानों के लिए जटिल लग रही हो. लेकिन आनेवाले समय में इस व्यवस्था का महत्व अपने आप बढ़ जायेगा. आज व्यापार के क्षेत्र में अनेक बदलाव आरहे है. ऐसे में किसानों को भी अपनी कृषि प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता है. जो फसल आर्थिक आधार बन सकती है. उन फसलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. बहरहाल सरकार द्वारा कृषि के हित में लाए गये विधेयक पारित हो गये है. इन विधेयको के माध्यम से किसानों ने राहत महसूस की है. हालाकि अभी इसका तत्काल लाभ नहीं मिल पायेगा. लेकिन आनेवाला समय किसानों के लिए प्रभावी साबित होगा. इस विधेयक के माध्यम से किसानों के हित में अनेक प्रावधान तय किए गये है. जो किसानों को बिचौलियों की चुंगल से आजाद करेंगे.

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