संपादकीय

घटता भूजल स्तर

मार्च माह के आरंभ होते ही जहां गर्मी का अहसास बढ़ने लगा है, वहीं पर भूजल स्तर भी गहराने लगा है. अनेक तहसीलों में भूजल स्तर घटने के कारण जल संकट की भारी संभावना नजर आ रही है. अचलपुर तहसील में तो भूजल स्तर के कारण 198 हेन्ड पंप बंद पड़ गये है. हर वर्ष जिले में जल संकट गहराता है. जिसके चलते यह जरुरी है कि जल संसाधनों की समीक्षा की जाये तथा कहां-कहां पर पानी की किल्लत संभव है, इस बारे में भी पता किया जाना चाहिेए. हालांकि इन दिनों कोरोना संक्रमण अत्यधिक तीव्र होने के कारण प्रशासन का सारा ध्यान इस संक्रमण को रोकने में लगा हुआ है. ऐसे में आने वाले समय में उत्पन्न होने वाली पानी की समस्या के विषय में कही कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. एकाएक जब जल संकट तीव्रता के साथ गहराएगा,तब प्रशासन भले ही सक्रिय हो जाये. लेकिन पानी की समस्या का निराकरण एकाएक संभव नहीं है. जिससे जल संकट और भी तीव्रता के साथ फैल जायेगा. जाहीर है कि इस समय लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए जरुरी है कि जल संकट की समस्या को लेकर नजरअंदाज न किया जाये. बल्कि भविष्य में यह संकट न गहराये, इसलिए अभी से उपाय योजना की जानी चाहिए.
अमरावती में पानी की समस्या विगत अनेक वर्षों से है. इस समस्या के निराकरण के लिये जल संकट गहराता है. संबंधित प्रशासन समस्या को लेकर व्यापक चिंतन कर समस्या के निराकरण का प्रयास करता है. विशेष यह प्रयास केवल ग्रीष्मकाल तक ही कायम रहता है. जल संकट के स्थायी हल की दिशा में कोई कदम नहीं उठाये जाते हैं. पानी की समस्या के निराकरण के लिये जिले में बड़े पैमाने पर जल संधारण के उपक्रमों को आरंभ करना आवश्यक है. यदि अभी से ही कोई रुपरेखा नहीं तय की गई तो भविष्य में पानी की किल्लत बढ़ सकती है. इससे पूर्व अमरावती में गहराये हुए संकट को रोकने के लिये अस्थायी प्रयास किये जाते रहे हैं. लेकिन अनेक स्थानों पर प्रयास सार्थक नहीं हो पाते. इसलिए जरुरी है कि अभी से ही इस समस्या के निराकरण के लिये कदम उठाये जाये. कोरोना संक्रमण के कारण अनेक कार्य अभी थमें हुए हैं. जिसके लिये जरुरी है कि समय-समय पर अमरावती के जल संकट की समीक्षा होनी चाहिए तथा विशेष उपाय योजना के जरिए इस समस्या से निजात पायी जा सकती है.
जलसंकट यह अब केवल अमरावती तक ही नहीं है, शहर व ग्रामीण क्षेत्र में जलसंकट की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. इसके लिये यह भी चिंतन आवश्यक है कि किन क्षेत्रों में पानी की समस्या निर्माण होती है. जिले की तहसीलें आज भी पानी की समस्या से जूझ रही है. भले ही प्रशासन का दावा है कि वह जलसंकट को निपटने के लिये तैयार है लेकिन जब प्रत्यक्ष में जलसंकट गहरायेगा, आने वाले समय में पानी की किल्लत की संभावना को देखते हुए जरुरी है कि इस बारे में व्यापक स्तर पर कार्य किया जाना चाहिए. बहरहाल अभी यह संकट कुछ स्थानों पर ही पाया जा रहा है. भविष्य में इसकी तीव्रता अधिक हो जायेगी. जिससे लोगों को पानी के लिये दर-दर भटकना पड़ेगा. आज भी मेलघाट में पानी का संकट गहराने लगा है. इसलिए जरुरी है कि पूरे जिले में जलसंकट से निराकरण करने के लिये जनप्रतिनिधि व प्रशासन को योग्य कदम उठाना अति आवश्यक है.

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