संपादकीय

स्वदेशीयत को दे प्रोत्साहन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूवार को भारतीय जनतापार्टी के विचारक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर पार्टी सांसदो से कहा कि हर कोई अधिकाधिक स्वदेशीयत का पालन करे. उन्होंने कहा कि देशवासी एक लिस्ट बनाए तथा उसमें दिनभर में कितने स्वदेशीय उत्पादो का उपयोग किया है. बेशक इस लिस्ट का बाह्य जीवन के लिए कोई उपयोग न हो. लेकिन लिस्ट के माध्यम से हम आत्मावलोकन कर सकते है. प्रधानमंत्री का पहले से ही लक्ष्य रहा है कि देश को आत्मनिर्भर बनाया जाए. यह तब संभव होगा जब हम देश में ही निर्मित वस्तुओं का उपयोग करे. इससे देश का पैसा देश के ही काम आयेगा. अब तक पाया गया है कि अनेक लोगों को विदेशी वस्तुओं के प्रति आकर्षण रहा है. बल्कि कई लोग विदेशी वस्तुओं की चाह में स्वदेशी वस्तुओं को तरजीह नहीं देते. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी परिणाम हो सकता है. क्योंकि विदेश से आनेवाली वस्तुओं से विदेशी कंपनियों को लाभ मिलता है. जबकि स्वदेश में निर्मित वस्तुओं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है. इसलिए स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग न केवल समय की मांग है बल्कि यह बात राष्ट्रीयता को भी प्रेरित करती है. ऐसे में प्रधानमंत्री द्बारा यह आवाहन करना कि स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करे. निश्चित रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को इसका लाभ मिलेगा.
देश में बीते कुछ वर्षो में अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने का प्रयत्न किया है. आज देश में अधिकांश वस्तुएं निर्मित हो रही है. इसी वस्तुओं के लिए पहले से ही कहा जा रहा है.
राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव को लाने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर ध्यान दिया जाए. हमारे मन में आरंभ से ही स्वदेशी वस्तुओं के प्रति लगाव होना चाहिए. लेकिन पाया जाता है कि अपना वैभव दिखाने के लिए लोग इंम्पारटेड वस्तुओं की ओर अपना झुकाव रखते है. यही कारण है कि स्वदेशी वस्तुओ को उतना प्रोत्साहन नहीं मिल पाता. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इन वस्तुओं को प्रोत्साहित करने की दिशा में कार्य करे . निश्चित रूप से इससे देशी अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा व हमें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कार्य करने का अवसर मिलेगा.
भारतीय संस्कृति में स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल को हरदम स्थान दिया है. जिस समय देश पर ब्रिटिश हुकूमत थी तब भी देशवासियों ने विदेशी वस्तुओं की होली की थी. स्पष्ट है कि देशवासियों को इस बात का अहसास था कि जब तक विदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल जारी रहेगा. आजादी मिलना कठिन है. हालांकि उस समय देश में लोगेों के मन में राष्ट्र के प्रति अपनापन था. हर कोई चाहता था कि ब्रिटिश हुकुमत जल्द से जल्द यहां से जाए. सीमित साधनों के बावजूद लोगों ने स्वदेशीयत को प्राथमिकता दी. आज भारत के पास हर किस्म के संसाधन उपलब्ध है. देशवासी सभी क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रहे है. इन संसाधनों का उपयोग कर देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान हो रहा है. खासकर आज देश में हर वस्तुओं का निर्माण होने लगा है. यहां तक की समर क्षेत्र में काम आनेवाले विमानों की भी निर्मिति देश में होने लगी है. स्पष्ट है इससे देश में आत्मनिर्भरता का जज्बा जागा है . यह सिलसिला अब निरंतर जारी रहना चाहिए. इस बात को लेकर भविष्य में देश के पूरी तरह आत्मनिर्भर होने की संभावना बन रही है. कुल मिलाकर देश में आत्मनिर्भरता अति आवश्यक है. बेशक आरंभिक दौर में देश में निर्मित वस्तुए महंगी दरों में मिल सकती है .लेकिन जब उसका उत्पादन बडे पैमाने पर होगा तो योग्य दरे भी मिलना आरंभ हो जायेगी. अभिप्राय यह कि राष्ट्र को मजबूत करने के लिए स्वदेशीयत को प्रोत्साहन देना आवश्यक है. इसलिए हर किसी को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का संकल्प लेना चाहिए.

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