संपादकीय

समर्थन मूल्य की सुनिश्चतता जरूरी

राज्य के खाद्यान्न आपूर्ति मूर्ति छगन भुजबल ने कहा है कि किसानों को फसलों का योग्य समर्थन मूल्य मिले. इसलिए सरकार को योग्य कानून बनाना जरूरी है. केवल आश्वासन ही इस मामले में पर्याप्त नहीं है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्बारा संसद में किसान कानून पर चर्चा करते हुए कहा गया कि समर्थन मूल्य सदैव से कायम रहा है. भविष्य में भी कायम रहेगा. किसानों की भी यही मांग है. लेकिन इस मुद्दे पर केवल आश्वासन योग्य नहीं इसके लिए कानून बनाना अति आवश्यक है. आश्वासन देना व कानून बनाना दोनों अलग-अलग बाते है. उन्होंने मांग भी की है कि सरकार समर्थन मूल्य के बारे में कानून बनाए. यह सच है कि किसानों का हित केवल समर्थन मूल्य से ही हो सकता है. समर्थन मूल्य का आधार पर भी लागत के अनुरूप होना चाहिए. आमतौर पर किसानों की पीडा यही है कि हजारों रूपये की लागत के बाद भी उनकी उत्पादित फसल को योग्य समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता. जिसके कारण किसानों की आर्थिक हालत अत्यंत कमजोर होने लगी है. किसी भी फसल का उत्पादन करते समय किसान को अनेक कठिनाईयों से गुजरना पडता है. बीज की उपलब्धता से लेकर फसल बोने, उसका जतन करने,जंगली पशुओं से फसल का बचाव करने जैसी जटिल स्थितियां उसके सामने रहती है. इतना ही नहीं इन सबसे यदि निजात मिल भी गई तो मौसम की अनुकूलता भी उसके लिए जरूरी है. कई बार पाया जाता है कि सूखा या अतिवृष्टि किसान के मनसूबों को नष्ट कर देती है, ऐसे में यदि उसे योग्य समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता है तो किसानों के स्वप्न चूर चूर हो जाते है. लगभग यही स्थिति सभी प्रांतों के किसानों की है. हर बार उन्हें किसी भी संकट का सामना करना पडता है. सभी संकटों से जुझने के बाद जब उसकी फसल बाजार पहुंचती है तो पाया जाता है कि किसान को उसकी अपेक्षा क अनुरूप मूल्य नहीं मिल पाता. परिणामस्वरूप उसे अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है.
बेशक सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति सजग है. किसानों को समय-समय पर सरकार की ओर से भरपूर सहायता भी मिलती है. लेकिन यह सहायता किसानों के लिए पर्याप्त नहीं रहती. क्योंकि सहायता का एक मापदंड होता है. उसी के अंतर्गत यह सहायता प्रदान की जाती है. जबकि नुकसान का कोई मापदंड नहींं. कभी बरसात तो कभी ओलावृष्टि से समूची फसल नष्ट हो जाती है. ऐसे में किसानों की हालत का आकलन नहीं किया जा सकता. यही कारण है कि किसान हरदम योग्य समर्थन मूल्य का ही पक्षधर रहा है. समय समय पर सरकारों की ओर से किसानों को योग्य समर्थन मूल्य देने की बात कही जाती है. लेकिन अनेक बार पाया जाता है कि इसका पालन नहीं हो पाता. किसानों की मांग भी यही है कि उन्हें समय-समय पर सहायता देने की बजाय योग्य समर्थन मूल्य दिया जाए. जिससे किसान आत्मनिर्भर हो सके. यदि किसानों को हर फसलों का योग्य समर्थन मूल्य देने की बात सुनिश्चित हो जाए तो किसानो की आधी चिंता मिट जायेगी. बेशक सरकार इस बात को स्वीकार कर रही है कि वे हर किसान को योग्य समर्थन मूल्य देंगे. समर्थन मूल्य का क्रम पहले भी जारी था. भविष्य में भी जारी रहेगा. यह बात आश्वासन की श्रेणी में ही आती है. बीते कुछ वर्षो में राजनीति में आश्वासनों व घोषणाओं का प्रमाण बढा है. लेकिन कई बार आश्वासन की पूर्तता न होने से लोगों का विश्वास कमजोर हुआ है. यही कारण है कि किसान योग्य समर्थन मूल्य क कानून बनाने पर जोर दे रहे है. सरकार को भी इस बारे में योग्य चिंतन कर कदम उठाना चाहिए. आश्वासन और कानून दोनों स्वतंत्र विषय होने के कारण कानूनी द़ृष्टि से भी इस बात का आकलन किया जाना चाहिए.
कुल मिलाकर किसानों की योग्य समर्थन मूल्य की मांग उचित है. इस पर योग्य विचार होना चाहिए. यदि कानून बनने की संभावना है तो उस दिशा में भी कदम उठाए जाना चाहिए.

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