विकास संग पर्यावरण संवर्धन जरुरी
देश के अनेक क्षेत्रों में राज्य महामार्ग के काम जारी है. सडको के विस्तारीकरण के लिए मार्ग में आने वाले हरे-भरे पेडो को काट दिया गया. विकास कार्यों में यह सब जरुरी भी है लेकिन विकास करते समय पर्यावरण का संवर्धन भी होना आवश्यक है. आम तौर पर किसी भी निर्माण में जो पेड-पौधे नष्ट होते है, वहा पर पर्यावरण संवर्धन के लिए नये रुप से पौधारोपण किया जाना जरुरी रहता है. qकतु पाया जा रहा है कि, देश में जहां-जहां भी नये मार्गों का निर्माण हो रहा है, या जहां पर मार्गों को चौडा करने का काम हो रहा है. वहा पर अनेक हरे-भरे पेड नष्ट हो रहे है. चूंकि विकास कार्य बदलते समय के अनुसार आवश्यक भी है. ऐसे में पेड की कटाई को स्वभाविक प्रक्रिया के रुप में लिया जा सकता है. लेकिन यहा अतिआवश्यक है कि, नये रुप से पौधे विकासित किये जाये ताकि पर्यावरण का संतुलन बना रहे. पर्यावरण संतुलन के लिए हर वर्ष महाराष्ट्र में मानसून के दौरान करोडो की संख्या में पौधारोपण होता है. इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण सर्वत्र लॉकडाउन रहा. जिससे इस वर्ष पौधारोपण की कोई संकल्पना नहीं रखी गई. लॉकडाउन के बाद विकास कार्य फिर से आरंभ हो गये है. ऐसे में जरुरी है कि विकास कार्यों के साथ पौधारोपण भी किया जाए. हालाकि पर्यावरण को लेकर अनेक सामाजिक एवं नागरिक संगठन हर दम गंभीर रहे है. अनेक संस्थाओं ने पौधारोपण कर पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने का प्रयास भी किया है. हालांकि राजाश्रय न मिलने के कारण अनेक संस्थाओं के प्रयास रुक गये है. अब फिर से सडकों का कार्य आरंभ हुआ है, तो उसे देखते हुए कई पेड जो नष्ट हो गये है. उनके ऐवज में नये रुप से पौधारोपण किया जाए. आम तौर पर यह कार्य निर्माण कार्य ठेकेदार को ही दिया जाता है. लेकिन इस बात का पता नहीं लगाया जाता है कि, कितने पौधे रोपित किये गये तथा कितने पौधे और अधिक लगाने की संभावना है. इस वर्ष वृक्ष सलागार समिति के पदाधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री गडकरी को पत्र लिखकर कहा है कि, मार्ग चौडाईकरण काटे के पेडों के कारण उत्पन्न अनुशेष को पूरा करने के लिए नये रुप से पौधे रोपित करना आवश्यक है, लेकिन इस बारे में लापरवाही बरती जाती है. ऐसे में पौधा रोपन के लिए सामाजिक संगठन सामने नहीं आ रहे है. सरकार को चाहिए कि, सडको पर वृक्षों की कटाई करने के बदले में विभिन्न उद्यानों व जगहों पर पौधे रोपित किये जाये. जिससे पर्यावरण का संतुलन कायम रहे. सडक चौडाईकरण के लिए विकास कार्य का लक्ष साध्य हो सकता है. पर पर्यावरण की जो हानि होती है. उसकी पूर्तता की जानी चाहिए. पर्यावरण जतन के लिए सामाजिक संगठनों का विशेष योगदान रहा है. इस बार भी सेवाभावी संस्थाओं को आगे आना चाहिए. सरकार को भी चाहिए कि, वह पर्यावरण के जतन के लिए नागरिक संगठनों व सेवाभावी संगठनों को प्रोत्साहित करें. यदि संगठना को योग्य संसाधन उपलब्ध कराये जाते है तो वे निश्चित रुप से पर्यावरण में अपना योगदान दे सकते है. कुछ वर्ष पूर्व तक शहर में अनेक पर्यावरण जतन करने वाली संस्थाएं कार्यरत थी. लेकिन योग्य प्रतिसाद न मिलने तथा स्वयं के पैसे लगाकर भी लक्ष को साध्य कर सकते है. इस बार पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में पर्यावरण संबंधी किसी योजना को साकार नहीं किया गया. जबकि हर वर्ष पर्यावरण मंत्रालय की ओर से अनेक स्थानों पर करोडों की संख्या में पौधे रोपित किये जाते है. इस वर्ष न तो पर्यावरण की दिशा में कोई बडा कदम उठाया गया. ्नयोंकि पर्यावरण दिवस के अवसर पर पूरे भारत में लॉकडाउन जारी था. जिसके कारण लोग घरों में ही रहे है. हर वर्ष पर्यावरण दिवस के अवसर पर कार्य करने वालों की कमी रही. सरकारी स्तर पर जो पौधारोपण होता है. वर्तमान में पर्यावरण का संतुलन बिगड रहा है. लोगों में ऑ्िनसजन की मात्रा कम पाये जाने की वजह से जरुरी है कि, पर्यावरण का जतन किया जाये. इस बारे में सभी नागरिकों को भी आगे आकर पहल करना अतिआवश्यक है. कुलमिलाकर पर्यावरण की होती क्षति को रोकने के लिए बडे पैमाने पर पौधारोपण किया जाना चाहिए. इससे हमे व सभी लोगों पर्यावरण का लाभ मिले. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भले ही सरकार की ओर से पौधारोपण का कार्य बडे पैमाने पर नहीं हुआ है. लेकिन इस कार्य को गति देने के लिए सार्थक पहल भी सरकार को ही करनी पडेगी. इसलिए जरुरी है कि, एक पर्यावरण जतन के लिए स्वतंत्र यंत्रणा विकसित की जाए व यह यंत्रणा पौधारोपण से लेकर उसके संवर्धन तक की सारी जिम्मेदारी उठा सकती है. समय की मांग को देखते हुए पौधारोपण का होना अतिआवश्यक है. अन्यथा आने वाले समय में पौधों के अभाव में लोगों को सांस लेना कठीन हो जाएगा. यदि अभी से ध्यान दिया जाता है, तो आने वाली पीढी को इसका लाभ मिल सकता है तथा वर्तमान में जिस तरह पर्यावरण की क्षति बढी है. उसे काफी हद तक पूरा किया जा सकता है.