संपादकीय

मिठाईयों की भी एक्सपायरी डेट

भारतीय खाद्य अन्न प्राधिकरण द्वारा लिए गये निर्णय के अनुसार अब मिष्ठान्न भंडारों में रखी गई मिठाईयों की बनाने की तिथि व उसकी एक्सपायरी डेट का विवरण रखने की बाध्यता को मंजूरी दी हैे. इसमें दुकानदार को मिठाई के ट्रे पर मिठाई उत्पादन की तिथि व उसकी एक्सपायरी डेट के विषय में लिखना बंधनकारक किया गया है. यह निर्णय आगामी १अक्टूबर से लागू होगा. आरंभ में यह निर्णय १ जुलाई से लागू किया जाना था. लॉकडाऊन के कारण इसकी तिथि १ सितंबर तक बढ़ाई गई. अब यह निर्णय १ अक्तूबर से लागू किया जायेगा. निश्चित रूप से यह एक महत्वपूर्ण कदम है. उपभोक्ता की हर दम चाह रही है कि उसे ताजी वस्तु प्राप्त हो. लेकिन वर्तमान में जिस तरह लोग बाहरी खान-पान को नजर अंदाज कर रहे है. उसे देखते हुए स्पष्ट है कि अनेक विक्रेताओं द्वारा निर्मित मिठाई लंबे समय तक पड़ी रहने की संभावना है. इस हालत में कई बार मिठाई कालबाह्य भी हो जाती है. जिससे जनस्वास्थ्य को खतरा निर्माण हो सकता है, ऐसे में उत्पादन की तिथि तथा कब तक मिठाई चल सकती है. इसका विवरण दिया जाना जरूरी है. अब तक यह पाया गया है कि अनेक दुकानों में महिनों तक मिठाईया बनकर पड़ी रहती है. उसे कब तक रखना चाहिए इसकी कोई काल मर्यादा नहीं होने के कारण दुकानदार लंबे समय तक उन मिठाईयों की बिक्री करता रहता है. इस हालत में यदि मिठाई कालबाह्य हो जाती है तो उसका खामियाजा ग्राहको को भुगतना पड़ सकता है. कई बार स्वास्थ्य खराब होने की भी नौबत आ जाती है. वर्तमान में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है. बीमारियों से बचाव के लिए वह हर संभव प्रयत्नशील है, ऐसे में यदि कालबाह्य वस्तु के कारण उसे बीमारी का सामना करना पड़े तो यह उचित नहीं कहा जा सकता. विशेष यह कि खुद पीडि़त को इस बात का पता नहीं चल पाया कि उसे यह बीमारी किस कारण से हुई है. इस हालत में मिठाईयों के ट्रे पर एक्सपायरी डेट लिखा जाना जरूरी है. इससे उपभोक्ता को भी काफी राहत मिलेगी. क्योंकि अधिकांश तौर पर उपभोक्ताओं को दुकानदार से यह प्रश्न पूछते पाया गया है कि संबंधित वस्तु ताजी है या नहीं. जब तिथि का उल्लेख रहेगा तो उसे पूछने की भी आवश्यकता नहीं रहेगी. इसी तरह मनमाने समय तक मिठाई बेचने पर भी पाबंदी लगेगी.
मिठाई कालबाह्य होने की तिथि लिखने का निर्णय बंधनकारक करने के बाद भी यह संभावना है कि संबंधित व्यापारी अपनी सुविधा के हिसाब से तिथि बदल सकता है,ऐसे में उसकी जांच का क्या मापदंड रहेगा इसका भी खुलासा संबंधित यंत्रणा को करना चाहिए. तथा किस मिठाई को कितने दिन रखा जा सकता है. इसकी भी रूपरेखा तय की जानी चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि एक्सपायरी डेट के नाम पर व्यापार क्षेत्र में इन्सपेक्टर राज्य को बढ़ावा तो नहीं मिलेगा. सरकार द्वारा व्यापार क्षेत्र से जुड़े निर्णय लेते समय संबंधित क्षेत्र के व्यवसायियों को भी निर्णय लेने के लिए गाइड लाईन जारी करना चाहिए. हर मिठाई की अपनी-अपनी क्षमता होती है. बंगाली मिठाईया जहां शीघ्र उपयोग में नहीं लायी गई तो वह नष्ट हो सकती है. ऐसे में इस मिठाई की निर्मिति के बाद उसे कब तक रखा जाना चाहिए. इस बारे में भी दिशादर्शक रूपरेखा तय की जानी चाहिए. वर्तमान में पैकिंग वस्तुएं पर उत्पादन तिथि तथा एक्सपायरी डेट का विवरण रहता है. उपभोक्ता भी इस मामले में जागरूक होकर तिथि को ध्यान में रख वस्तुओं की खरीददारी करते है. वर्तमान में संक्रमण का दौर जारी है. इस हालत में स्वयं की सुरक्षा स्वयं को ही करनी होगी.े यह सब तभी संभव है जब किसी भी उत्पाद पर चाहे वह मिठाई हो या पैकिंग की गई वस्तु हो. हर उपभोक्ता को इस बात का पता लगाना जरूरी है कि संबंधित खाद्य पदार्थ को कब तक उपयोग में लाया जा सकता है.
बेशक खाद्य प्राधिकरण की ओर से इस तरह का निर्णय लिया गया है. पर इस निर्णय को स्वाभाविक रूप से लागू करने के लिए आवश्यक रूपरेखा तय करना जरूरी हैे. इस बारे में सरकार को निर्णय घोषित करने के पूर्व खाद्य पदार्थ के बारे में योग्य रूपरेखा तय करना आवश्यक है. निर्णय जनहित में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसका सही उपयोग होना चाहिए. वर्तमान में बीमारियों के संक्रमण को देखते हुए भी विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है. क्योंकि कुछ-कुछ मिठाईया अन्य प्रांतों से भी बिक्री के लिए आती है. अपने गंतव्यों से निकलकर उपभोक्ता तक पहुंचने में यदि संबंधित वस्तुओं को समय लगता है तो उसका असर सीधे उपभोक्ता पर ही जायेगा. सरकार की ओर से आगामी १ अक्तूबर के बाद निर्णय लागू करते समय सभी पहलुओं पर विचार करना आवश्यक है. इस बात में दो राय नहीं है कि यह निर्णय सोच समझकर लिया गया है. इसकी समय के अनुसार आवश्यकता भी है. लेकिन अमल करते समय क्या मापदंड अपनाए जायेंगे इस बात की भी जानकारी लोगों को देना आवश्यक है. अभिप्राय यह सरकार जनस्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कोई भी निर्णय ले तो उसका विवरण जन सामान्य तक भी पहुंचाने की व्यवस्था करे. इससे उपभोक्ता व दुकानदार के बीच विवाद की स्थिति निर्माण नहीं होगी. खाद्य प्राधिकरण ने जब यह निर्णय लिया ही है तो उसकी रूपरेखा भी व अमल में लाने के लिए मापदंड क्या रहेंगे. इसका विवरण जन सामान्य को दे. पाया गया है कि अधिकांश बीमारी की जड़ खाद्य पदार्थो से जुड़ी है. इसलिए खाद्य पदार्थो में दोष न रहे इसकी सावधानी स्वयं व्यापारी,उपभोक्ता एवं प्रशासन को बरतनी होगी. तभी इस नये नियम से प्रासंगिकता बढ़ जायेगी. प्रशासन द्वारा इसे लागू करने की चर्चा की गई है. आनेवाले समय में इसे लागू भी किया जा रहा है. अत: इससे जुड़े घटको को भी इस निर्णय की जानकारी दी जानी चाहिए.

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