संपादकीय

किसानों को मिले आवश्यक मदद

अमरावती जिले में बेमौसम हुई बरसात एवं ओलावृष्टि के कारण फसले पूरी तरह नष्ट हो गई है. खरीफ सीजन में हुई बेमौसम बरसात व ओलावृष्टि के कारण हजारो एक्टर भूमि पर संतरा सहित खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ है. कीट रोग के कारण हजारो हेक्टेयर भूमि की फसले नष्ट हुई है. इतना भारी नुकसान होने के बाद भी सरकार की ओर से अब तक पंचनामा नहीं किया गया है. जिससे किसानों को समय पर मदद मिलना भी कठिन हो गया है.
कृषि क्षेत्र में हर वर्ष किसी न किसी आपदा के कारण किसानों की हालत दयनीय हो रही है. इस वर्ष किसानों को खरीफ की फसल से भारी उम्मीद थी. लेकिन बीते सप्ताह आयी बेमौसम बरसात ने फसल को नष्ट कर दिया. इससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड रहा है. संतरा, गेहूं, चना, हरी सब्जियां सहित अनेक फसलों को इस बेमौसम बरसात के कारण क्षतिग्रस्त होना पडा है. विशेष यह है कि फसल अपने चरम पर पहुंच गई थी. फसल की कटाई की तैयारी में किसान जुटा था कि बेमौसम बरसात ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी. बरसात का स्वरूप तीव्र रहने के कारण फसलों के नुकसान का आकलन होना जरूरी है. इसके लिए शासकीय स्तर पर तत्काल पंचनामा किया जाए. जिससे किसानों को भविष्य में योग्य राहत मिल सके. हर वर्ष इसी तरह फसल कटाई से पूर्व फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इस हालत में सरकार का दायित्व है कि सारी फसलों का पंचनामा किया जाए. इससे किसानों को मदद मिलने में आसानी होगी. किसानों के पास की आर्थिक स्थिति बिगड जाने के कारण उन्हें तत्काल योग्य सहायता दी जानी चाहिए. इससे किसानोें को राहत मिल सकेगी.
वर्तमान में पूरे देश में कोरोना संकट कायम है. इस हालत में समूची यंत्रणा इस संकट को टालने के लिए लगाया गया है. जिससे संभव है किसानों की क्षतिग्रस्त फसलों का योग्य मुआवजा मिल सकेगा. हालाकि सरकार की ओर से यह कार्य आरंभ नहीं हुआ है. इस कार्य के लिए सरकार को स्वतंत्र व्यवस्था करनी होगी. हर वर्ष इस तरह की समस्या आने से किसानों को उभरने का अवसर नहीं मिल रहा है. कृषि के लिए आध्ाुनिक तंत्र की अति आवश्यकता है. क्योंकि परंपरागत कृषि को केवल मानसून पर निर्भर रहना पडता है. इसलिए किसानों को स्वयं के लिए कठिनाई से बचने का अवसर नहीं मिलता है. जरूरी है कि सरकार अपनी ओर से स्वयं स्फूर्त होकर निर्णय ले. यदि ऐसा किया जाता है तो किसानों को राहत मिल सकती है.
आनेवाले दिनों में ग्रीष्मकाल आ रहा है. इस हालत में जल का संवर्धन भी अति आवश्यक है. सरकार को चाहिए कि वह किसानों की इस पीडा को समझे तथा बेमौसम बरसात के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई दे. इस वर्ष अमरावती जिले के अनेक स्थानों पर बेमौसम बरसात भी जिसमें हजारों रूपया का संतरा नष्ट हो गया है. निश्चित रूप से इसका खामियाजा किसानों को भुगतना होगा. इसके लिए फसल बीमा योजना के माध्यम से किसानों को सुरक्षा दी जाती है. इस वर्ष भी बडे पैमाने पर फसल बीमा की सुरक्षा दी गई है. इसलिए जरूरी है कि सरकार सभी फसलों के नुकसान का आकलन करे. जिससे किसानों को योग्य मुआवजा मिल सके.

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