संपादकीय

किसानों का आंदोलन

किसानों द्वारा जारी आंदोलन के तहत ८ दिसंबर को भारत बंद रखा गया. बंद को अनेक स्थानों पर योग्य प्रतिसाद मिलने के कारण यह कहा जा सकता है कि देश के नागरिक भी किसानों की पीड़ा को समझने लगे है.यही कारण है कि उन्होंने भी अपनी सहभागिता दर्शायी. अन्नदाता यह नाम किसानों को दिया गया है. निश्चित रूप से अनेक संघर्ष के बाद यह अन्नदाता देश के नागरिको के लिए अनाज उत्पन्न करता है. लेकिन उसे दो समय का भोजन भी नसीब नहीं हो पाता है. हर वर्ष कभी मौसम के दगा देने से तो कभी अतिवृष्टि के कारण किसानों को भारी दुर्दशा का सामना करना पड़ता है. कई बार तो किसानों की फसल की बरबादी हो जाती है. इसके कारण किसानों पर दिनोंदिन कर्ज बढ़ता जा रहा है. आर्थिक हालत अत्यंत दयनीय होने के कारण वे अंतत: आत्मघाती कदम उठा लेते है. वर्तमान में सत्ता एवं विपक्ष किसान के मुद्दे पर चर्चाओं का दौर चल रहा है. लेकिन कोई सार्थक हल न निकलने के कारण आंदोलन अभी भी जारी हैे. हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सभी सीमावर्ती क्षेत्र पर डेरा डाले हुए है. अब तक अनेक वार्ताओं के दौर हो चुके है. लेकिन कोई सार्थक हल नहीं निकल पाया. किसान केन्द्र द्वारा पारित कृषि कानूनों को लेकर नाखुश है. उसका कहना है कि इस कानून से किसान हाशिए पर आ जायेगा. किसानों की आरंभ से ही यह मांग रही है कि उन्हें सहायता देने की बजाय किसानों को योग्य समर्थन मूल्य दिया जाए. यह सच भी है कि यदि किसानों को योग्य समर्थन मूल्य मिलता है तो उन्हें मोहताज होने की आवश्यकता नहीं. लेकिन सरकार की ओर से गाहे-बगाहे किसानों की मदद तो की जाती है लेकिन उनकी वर्षो से प्रलंबित योग्य समर्थन मूल्य की मांग अभी भी अधूरी है. वर्तमान में किसान द्वारा जो भारत बंद उसमें भी मुख्य मांग यही है कि सरकार समर्थन मूल्य का लिखित आश्वासन दें. सरकार ने इस बारे में अपना रूख स्पष्ट नहीं किया है जिसके कारण यह आंदोलन अभी भी जारी है. किसानों की पीड़ा यह हर कोई समझ रहा है. दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्र जो शीतकाल में अत्यंत जटिल बन जाते है. बावजूद इसके किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए है. इस ठंड भरे माहौल में किसान न केवल खुले आसमान के नीचे रह रहे है. किसानों की यह पीड़ा निश्चित रूप से हर किसी को सोचने को मजबूर कर देगी.
किसानों द्वारा घोषित बंद को देश में अनेक स्तर पर समर्थन प्राप्त हुआ है. जहां वालीवुड के अनेक कलाकारों ने बंद को समर्थन दिया है.वहीं पर वकीलों ने ही किसानों के प्रति अपने भाव व्यक्त करते हुए भारत बंद को समर्थन दिया है.वालीवुड में समर्थन देनेवालों में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, सोनम कपूर, प्रीति जिंटा, तापसी पन्नू ने किसानों के साथ होने की बात कही व आंदोलन को समर्थन दिया. कृषि कानून भले ही किसानों के हित में लेकिन उसमें कुछ महत्वपूर्ण संशोधन होना जरूरी है. खासकर किसानों को योग्य समर्थन मूल्य मिलता रहे. यह मांग की जा रही है. किसानों के आंदोलन का बुधवार को १४ वां दिन है. यानी दो सप्ताह से लगातार आंदोलन जारी है. निश्चित रूप से जन सामान्य किसानों की पीड़ा को समझ रहा है. यही कारण है कि जन सामान्य का समर्थन मिल रहा है.
किसानों की समस्या को सरकार को गंभीरतापूर्वक हल करना होगा. खासकर किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो इस दृष्टि से प्रयास करने चाहिए. सरकार ने सत्ता में आने से पूर्व कहा था कि वे किसानों की आय दुगनी कर देंगे. लेकिन यहां जो हो रहा है. उससे नहीं लगता कि सरकार की ओर से किसानों के हित में कदम उठाए गये है. यही कारण है कि किसान आजादी के बाद से लगातार अपनी समस्याओं में उलझा है. सबसे मुख्य कारण उसकी मौसम आधारित खेती है. कुल मिलाकर किसानों की समस्या अत्यंत गंभीर है. सरकार को चाहिए कि वह किसानों के साथ व्यापक चर्चा करे व मिलकर योग्य मार्ग निकाला जाए. किसानों को अपनी फसल देने के बाद भी न्यायोचित राशि नहीं मिल पाती. जिससे उनकी लागत भी नही निकल पातीा हे. किसानों की पीड़ा खेत में बीज बोने से लेकर आरंभ हो जाती है. बीज बोने के बाद अंकुरित पौधों को जंगली पशुओं से बचाने का कार्य करना पड़ता है.इसके लिए कई बार रात रात जागना भी पड़ता है. इन सबसे बचने के बाद यदि फसल बचती है तो उसे योग्य समर्थन मूल्य मिलना जरूरी है.यदि योग्य मूल्य नहीं मिला तो किसानों की सारी मेहनत बेकार हो सकती है. अत: यह जरूरी है कि किसानों की समस्या को हल करने के लिए सरकार को भी पहल करनी चाहिए. बेशक कुछ बाते ऐसी भी सामने आ रही है जिसमें कहा जा रहा है कि किसानों को विदेश से फंडिग हो रही है. लेकिन इन बातों में उलझने की बजाय किसानों की समस्या को समझने का यह समय है. अत: सभी को चाहिए कि वे किसानों के साथ मिलकर योग्य चर्चा करे. आंदोलन को लंबा खींचना न तो किसानों के हित में और ना ही सरकार के हित में अब जरूरी हो गया है कि इस मुद्दे का योग्य हल निकाला जाना चाहिए.इस बीच समूचा विपक्ष राष्ट्रपति से भेंट करनेवाला है. राष्ट्रपति चर्चा के बाद क्या हल निकल सकता है इस ओर भी सबका ध्यान है. अभिप्राय यह कि किसानों की समस्या अत्यंत दयनीय है. उनकी समस्याओं का हल होना चाहिए.

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