संक्रमण काल में गणेशोत्सव
इस वर्ष गणेशोत्सव का पर्व कोरोना संक्रमण के बीच आ रहा है. सरकार की ओर से कुछ दिशा-निर्देश दिये गये है. जिनका कडाई से पालन करना सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों के लिए अतिआवश्यक है. आम तौर पर विघ्नहर्ता का आगमन विघ्नो का विनाश करने के लिए होता है. लेकिन इस वर्ष कोरोना का संक्रमण तीव्र रुप में जारी है. बावजूद इसके जनसामान्य की जिम्मेदारी है कि वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें. गणेशोत्सव के दौरान मूर्तियां देखने के लिए बडी संख्या में शहरवासी एकत्र होते है.
इस बार मूर्ति देखने के लिए भीड जमा ना हो, इसके लिए संबंधित मंडलों द्बारा योग्य प्रबंध किये गये है. भक्तों की भीड न उमडे इसलिए सभी मंडलों को आवश्यक निर्देश दिये गये है. जिसका वे पालन भी कर रहे है. अमरावती में कोरोना की स्थिति दिनों-दिन बढ रही है. पहले जहां एक या दो लोग पॉजिटिव पाये जाते थे अब वहां संख्या बढ गई है. रोजाना ५० से अधिक व्यक्ति पॉजिटिव पाये जा रहे है. इस बीमारी को रोकने के लिए सरकार स्तर पर भारी प्रयत्न जारी है. लेकिन यह भी पाया जा रहा है कि, अभी मामले पूरी तरह से सुलझे नहीं है. जिसके चलते कोरोना का संक्रमण कायम है. किसी भी समस्यां से निपटने के लिए योग्य प्रयत्न जरुरी है. इस हालत में गणेश स्थापना के बाद यदि लोगों की भीड उमडती है, तो संबंधित मंडल के संचालकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, सोशल डिस्टन्सिंग का उल्लंघन ना हो. मास्क की अनिवार्यता हर किसी को मालूम है. बावजूद इसके अनेक लोग बिना मास्क के घूम रहे है. महाराष्ट्र में यहीं कारण है कि, मरीजों की संख्या बढ रही है. उस पर नियंत्रण करने के लिए सरकारी यंत्रणा ठोस कदम नहीं उठा रही है. जगह-जगह सैनिटाइजर का छिडकाव होना चाहिए लेकिन इस मामले में कोई ठोस रुपरेखा सामने नहीं आई है.
बीते कुछ माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर शहरवासियों ने २४ मार्च से जून के आरंभ तक लोगों ने लॉकडाउन का पालन किया एवं वर्तमान में भी लॉकडाउन से गुजर रहे है. हालांकि बिगेन-अगेन के अंतर्गत शहर में कुछ रोजगार आरंभ हो गये है. एसटी बस भी शुरु कर दी गई है. जाहीर है इससे भीड जगह-जगह दिखाई देगी. साथ ही लोग प्रशासन द्बारा दिये गये निर्देशों का पालन किये बिना अपना कार्य कर रहे है. निश्चित रुप से इससे संक्रमण का खतरा और हो जाएगा. प्रशासन ने भी इस बारे में जानकारी दी है. अत: जरुरी है कि, कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हर कोई स्वयं के स्तर पर प्रयत्न करें.
गणेशोत्सव के दौरान अनेक धार्मिक आयोजन भी होते है. जिसे मुख्य रुप से महालक्ष्मी (मंगला गौरी) का आयोजन रहता है. इसके अंतर्गत प्रसाद पाने के लिए बडी संख्या में लोग घरों के बाहर निकलते है व अपने परिजनों के यहा जाकर महालक्ष्मी का प्रसाद ग्रहण करते है. इसी तरह जलविहार शोभायात्रा भी गणेशोत्सव के दौरान रहती है. इन पर्वो को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को भी चौकन्ना रहना होगा. क्योकि यह समय संवेदनशील रहता है. बीमारियों का खतरा और भी बढ जाता है. इसी तरह धार्मिक पर्वो के बीच सामाजिक सौहाद्र बनाये रखना भी जरुरी है. इसके लिए भी प्रशासन को विशेष ध्यान देना होगा. हालांकि कोरोना संक्रमण देखते हुए जिले के ५०० गणेशोत्सव मंडलों ने गणेश स्थापना न करने का निर्णय लिया है. उन्होंने इस वर्ष सार्वजनिक गणेश मंडल में गणेश प्रतिमा स्थापित न कर साधे तरीके से गणेश पुजन का निर्णय लिया है. यह एक सुखद बात है क्योकि समय के अनुसार कुछ निर्णयों को बदलना पडता है. महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की पंरपरा बरसो पुरानी है. लोकमान्य तिलक ने यह पंरपरा आरंभ की थी. आज अमरावती में अनेक ऐसे गणेशोत्सव मंडल है जो आजादी पूर्व से ही गणपति की स्थापना कर रहे है. उन्हें भी इस वर्ष या, तो सादगीपूर्ण तरीके से गणेशोत्सव मनाना होगा. निश्चित रुप से वर्तमान की स्थिति जटील है. ऐसे में जनसमान्य का स्वास्थ्य भी संभालना जरुरी है. जिसके लिए स्वयं नागरिकों को पहल करनी होगी. खूद सावधानी बरतेंगे, तो उसका लाभ न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे शहर को भी हो सकता है.
अत: गणेशोत्सव के दौरान हर किसी को आवश्यक सावधानी बरतते हुए गणेशोत्सव सादगीपूर्ण तरीके से मनाना जरुरी है. कुलमिलाकर गणेशोत्सव का यह पर्व इस बार संक्रमण काल में आ रहा है. पर्व मनाते समय यदि संबंधित गणेशोत्सव मंडल व नागरिकों की ओर से योग्य सावधानी बरती जाती है, तो अनेक समस्याओं से बचा जा सकता है. इसके लिए प्रशासन ने अनेक दिशा-निर्देश भी तय किये है. जिसका कडाई से पालन होना अतिआवश्यक है.