संपादकीय

स्नेह का पर्व हो होली

होली का यह पर्व परस्पर सद्भाव की भावना से जुड़ा हुआ है. इस पर्व के समय लगभग फसलोें का कार्य पूर्ण हो चुका रहता है तथा ग्रीष्मकाल की शुरूआत रहती है. ऐसे में लोगों मेें उत्साह का माहौल रहता है. जिसके चलते होली के पर्व को लेकर हर किसी में उत्साह का संचार देखा जा सकता है. भारत में वैसे भी हर त्यौहार कोई न कोई संदेश लेकर आता है. होली का पर्व खुशियों के पर्व के रूप में देखा जाता है. यही कारण है कि इस पर्व को मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है. कहीं कहीं यह पर्व होलिका दहन के एक माह पूर्व से ही मनाना आरंभ हो जाता है. उत्तर भारत में होली के अवसर पर गांव की चौपाल पर सभी नागरिक एकत्र आकर होली के गीत जिसे फगुवा कहा जाता है का गायन करते है. रोजमर्रा के जीवन में अनेक समस्याएं कायम रहती है. इन समस्याओं से स्वयं को मुक्त रख अपनी कलात्मकता का परिचय देने की द़ृष्टि से इस तरह का आयोजन किया जाता था. बदलते परिवेश में अब यह आयोजन केवल कुछ गांवों तक ही सीमित रह गया है.शहरो में तो इसकी परछाई भी नहीं दिखाई देती है और अनेक स्थानों पर होलाष्टक के अवसर पर चंग बजाकर उत्साह का इजहार किया जाता था. लेकिन अब समय की सीमितता के कारण यह सब परंपराए समाप्त होने की ओर है. लेकिन होलिका दहन व रंगोत्सव का पर्व आज भी उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. इस दिन सभी लोगों द्वारा एक दूसरे पर रंग गुलाल डालकर अपनी खुशिया व्यक्त की जाती है. रंगोत्सव में उत्साह इतने चरम पर रहता है कि हर कोई अपने गमों को भूल जाता है. निश्चित रूप से यह पर्व एक दूसरे की खुशियों में शामिल होने का पर्व है. इतना ही नहीं ओरों को खुशियां बांटने का भी त्यौहार है. सिंधी समाज में इस त्यौहार पर गुलाल विधि का आयोजन किया जाता है. पिछली होली से इस होली तक जिन लोगों के परिजनों की मृत्यु हो गई है तथा जो परिजनों के होने के कारण सामाजिक उत्सव में शामिल नहीं हो पाते.उन्हें समाज की ओर से गुलाल विधि में शामिल किया जाता है तथा वे भी उत्साह के साथ पर्व से जुड़ जाते है. अनेक सामाजिक भावनाओं से जुड़ा यह पर्व बीते कुछ वर्षो में अपनी गरिमा को खोने लगा है. पर्व के नाम पर हुडदंग, मदिरादि का सेवन जैसी घटनाएं होने लगी है. इसमें कई बार आपसी तनाव निर्माण हो जाता है.यही कारण है कि अनेक वर्षो से होली के अवसर पर पुलिस का व्यापक बंदोबस्त रखा जाने लगा है. इस वर्ष समूचे विश्व में कोरोना महामारी के कारण इस पर्व पर अनेक प्रतिबंध लगा दिए गये है.क्योंकि पर्व के नाम पर लोग एक दूसरे के संपर्क में आयेंगे जिससे बीमारियां बढ़ सकती है. यही कारण है कि प्रशासन ने लोगों को पर्व अपने घरों में ही मनाने का निर्देश दिया है. सार्वजनिक तौर पर पर्व मनाने पर रोक लगी है. समय की मांग को देखते हुए नागरिको को भी चाहिए कि प्रशासन के आदेशों का पालन करें. यदि ऐसा किया जाता है तो बीमारी के संक्रमण को रोकने में भारी सहायता मिलेगी.
होलिका दहन के अवसर पर अनेक स्थानों पर हरेभरे पेड़ काटकर उन्हें जलाने का कार्य किया जाता है. यहां भी लोगों को अब समझना होगा कि पर्व का उद्देश्य मानवीय जीवन का संवर्धन है. मानवीय जीवन को कोई बात नुकसान पहुंचाती है तो उसे त्याग देना ही बेहत्तर है. वर्तमान में सभी ओर पर्यावरण का संकट जारी है. पर्यावरण संवर्धन के लिए हर वर्ष करोड़ो रूपये खर्च किए जाते है. पौधारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक उपक्रम भी छेडे जाते है. ऐसे में यदि हम पेड़ पौधें को काटकर उसका होलिका दहन करे तो यह पर्यावरण के साथ खिलवाड होगा. बल्कि होली के अवसर पर वॄक्ष की पूजा कर पर्व मनाया जा सकता या फिर आसपास का कूड़ा करकट जमा कर उसे जलाया जाता है. इससे पर्व की विधि पूर्ण हो जाती है. साथ ही परिसर में पौधारोपण जैसे उपक्रम भी आरंभ किए जा सकते है. होली के अवसर पर पानी की बरबादी आम बात है. यहां भी लोगों को विशेष ध्यान देना होगा. पानी का संकट हर वर्ष शहर और जिले में कायम रहता है. जिससे लेागों को तपती दोपहर में पानी की खोज में भटकना पडता है. जल संकट हर वर्ष अपने तीव्र रूप में सामने आता है. ऐसे में जरूरी है कि पानी का दुरूपयोग न हो. इस द़ृष्टि से कार्य किए जाए व पर्व मनाया जाए. होली के पर्व में जिन बातों के कारण विकृति ने प्रवेश किया है. उसके उच्चाटन के लिए हर किसी को पर्व की गरिमा का ध्यान रखना होगा. पर्व के नाम पर व्यसन से स्वयं को दूर रखना आवश्यक है. इससे पर्व की गरिमा बढ़ेगी. पर्व का जो मूल उद्देश्य है वह खुलकर सामने आयेगा तथा विकृति के कारण नष्ट होती पर्व की परंपरा को फिर से जागृत किया जा सकता है.
कुल मिलाकर होली का यह पर्व परस्पद सद्भाव एवं आपसी स्नेह को बढ़ाने वाला पर्व है. इस पर्व की गरिमा को कायम रखने के लिए हर किसी को ध्यान देना होगा. इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण प्रशाासन ने पर्व मनाने के लिए दिशा निर्देश दिए है. सभी को चाहिए कि वे इन निर्देशेां का पालन करे. सामाजिक दूरी बनाए रखने के साथ साथ कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए हर किसी को योगदान देना जरूरी है. पर्व हर वर्ष आयेंगे. लेकिन बीमारी का संक्रमण पर्व के नाम पर यदि फैलता है तो यह उचित नहीं है.

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