दुष्कर्मियों के लिए हैदराबाद पैटर्न ही सही
उत्तरप्रदेश में हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या की घटना की स्याही अभी सूखी ही नहीं थी कि, इसी प्रदेश के बलरामपुर में एक और सामूहिक दुष्कर्म की घटना हो गई है. इस घटना में भी पीडिता के साथ लगभग वहीं अत्याचार किया गया. जो १४ सितंबर को हाथरस में दुष्कर्म की शिकार १९ वर्षीय युवती के साथ किया गया था. उत्तर प्रदेश में दुष्कर्म की बढती घटनाआें से महिलाओं की सुरक्षा खतरे में आ गई है. इस बारे में विपक्ष ने सत्ताधारी योगी सरकार को आडे हाथों में लेने का कार्य आरंभ कर दिया है. बसपा नेता मायावती ने कहा है कि, उत्तर प्रदेश में बढती दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने में सरकार विफल है. इसके लिए अब वे मुद्दा केंद्र सरकार में उठाएंगी. यह अत्यंत दुख:द बात है कि, उत्तर प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाओं में तेजी आ रही है. उत्तर प्रदेश सरकार प्रांत के माफियाओं को नष्ट करने के लिए कडे कदम उठा रही है. उनकी संपत्ती कुर्क करने से लेकर अचल संपत्ति ध्वस्त करने का काम भी तेजी से कर रही है. इस कठोर कदम को उठाते समय इस बात की भी व्यवस्था आवश्यक थी कि, जनसामान्य को कठिनाई ना हो, सरकार को बडी मछलियों को नष्ट करने में व्यस्त देख असामाजिक तत्वों ने दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देना आरंभ कर दिया है. इन दोंनों घटनाओं से एक बार फिर निर्भयाकांड की घटना लोगों के दिलो- दिमाग में घूम रही है. जिस बर्बरता से हाथरस में इस घटना को अंजाम दिया गया. वह मानवता को शर्मसार करनेवाली है. इससे जहां यह बात सामने आ रही है कि निर्भया कांड के आरोपियों को फांसी की सजा दिए जाने के बाद भी अपराधी तत्वों के मन जरा भी खौफ नहीं है.
निर्भयाकांड के अपराधियों को जिस समय फांसी दी गई उस विषय को ज्यादा प्रकाश में आने का मौका नहीं मिला. क्योंकि उस समय कोरोना संक्रमण की चर्चाए सभी ओर थी तथा राजधानी के शाइन बाग में ज्यादा आंदोलन भी जारी था. जिसके शोरगुल में इस घटना को ज्यादा प्रभावी ढंग सो उजागर नहीं किया गया. जबकि हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक की सामूहिक दुष्कर्म पश्चात उसे जलाकर मार देने की घटना को पुलिस ने तत्काल सुलझा लिया व सभी आरोपियों को ऐनकाऊंटर कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया. इस बात से पूरे देश के नागरिकों में जो खुशी का माहौल देखने मिला वह इस बात को दर्शाता है कि सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ हर कोई इंसाफ चाहता है.देशभर में इस ऐनकाऊंटर को लेकर नागरिक संगठनों ने हर्ष जताया था. क्योंकि वर्तमान में जिस तरह दुष्कर्म की वारदाते बढ़ रही है. हर पालक के मन में चिंता समाने लगी है.क्योंकि ऐसे दुष्कर्मियों के मन में कोई भय नहीं रहा है. जिसके चलते वे अपनी मनमानियां करते जा रहे है. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि दुष्कर्मियोंं के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाए. इससे पहले भी हुए अनेक मामलों में समाज में दबंगई रखनेवाले लोगों की कारगुजारियां सामने आयी है. दुष्कर्म जैसा जघन्य अपराध करने के बाद सबूत मिटाने की दृष्टि पीिडता की हत्या कर देने जैसे कार्य इन तत्वों द्वारा किए जा रहे हैे ऐसी हालत में अति आवश्यक है कि दुष्कर्मियों के खिलाफ कडे से कडे कदम उठाए जाए. ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक अदालत में चलाकर दोषियों को तत्काल सजा दी जाए. क्योंकि स्वयं कानून भी मानता है कि देर से मिला न्याय, संबंधित के मन को राहत नहीं दे सकता. इसलिए दुष्कर्म जैसे मामलों में तत्काल न्याय की व्यवस्था होनी चाहिए. इससे अपराधी तत्वों में भय का वातावरण निर्माण होगा. उत्तर प्रदेश में बढती दुष्कर्म की घटनाओं को देखते हुए जनसामान्य चाहता है कि, ऐसे अपराधियों के खिलाफ भी ऐनकाउंटर की भूमिका अपनाई जाये. योगी सरकार के कार्यकाल में अनेक अपराधी सरगनाओं की संपत्तियां जप्त करने के साथ नामी गिरामी बदमाशों का ऐनकाउंटर किये जाने की भी घटनाएं सामने आयी है. माफियाओं द्बारा जनसामान्य पर अत्याचार की घटनाएं चिंता का विषय रहने से उनके साथ कडी कार्रवाई आवश्यक मानी जा रही है. लेकिन अब जिस रुप में दुष्कर्मियों का उत्पात मचा हुआ है, उसे देखते हुए सरकार को ऐसे तत्व का ऐनकाउंटर करना व उनकी संपत्तियों पर भी कार्रवाई किया जाना जरुरी समझा जा रहा है.
इस घटना को लेकर राजनीति भी हो रही है. विपक्ष ने इसे योगी सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है. लेकिन यह भी स्पष्ट है कि सरकार चाहे जो भी रहे. इस तरह की घटनाएं आमतौर पर हो रही है. इससे पूर्व कि सरकार के कार्यकाल में भी इस तरह की भीषण घटनाएं हुई है. जिसके चलते जनसामान्य यह मान रहा है कि, ऐसे तत्व के खिलाफ हैदराबाद पैटर्न अपनाया जाना चाहिए. दुष्कर्मियों का यदि ऐनकाउंटर किया जाता है, तो ना केवल असामाजिक तत्वों का सफाया होगा, बल्कि महिलाओं के प्रति बढते अपराध पर रोक लगेगी. कुल मिलाकर दुष्कर्म की इन घटनाओं से महिलाएं अपने आपकों असुरक्षित समझ रही है. ऐसे में दुष्कर्मियों के खिलाफ कडे कदम उठाना अत्यंत आवश्यक हो गया है. देश इन दिनों कोरोना संकट से लड रहा है. उसमें यदि कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड होता है तो निश्चित रूप से यह गलत है. ऐसे तत्वों के खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि ऐसे तत्वों का मनोबल कमजोर हो. कुल मिलाकर कुछ वर्षाे पूर्व देश में वे निर्भयाकांड के बाद इस तरह की घटनाएं होती रही है, लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया है. यदि सरकार दुष्कर्म की घटनाओं को गंभीरता से लेकर दोषियों को कडे से कडा दंड देती तथा दुष्कर्मियों को नेस्तनाबुद करने का अभियान छेडती, तो इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सकती है.
हाथरस व बलरामपुर की घटनाओं को लेकर जनमानस आहत है. वह चाहता है कि, इन घटनाओं की सर्वांगिण जांच के साथ-साथ मामला फास्ट ट्रैक अदालत में चलाया जाये, ताकि दुष्कर्मियों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जा सके. सरकार का यदि दुष्कर्मियों के प्रति कडा रुख रहता है, तो इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सकेगी. माफियाओं को नष्ट करने के साथ समाज में भेडिया बनकर महिलाओं का जीवन असुरक्षित करने वाले तत्वों के खिलाफ भी ठोस कदम उठाये जाये.