संपादकीय

कोरोना में स्वास्थ्य की महत्ता

शारीरिक स्वास्थ्य की द़ृष्टि से कसरत का विशेष महत्व है. यह केवल शरीर स्वस्थ रखने के लिए कारगर उपाय है. बल्कि कसरत व्यक्ति के मनोबल को बढ़ाती है साथ ही उसकी रोग प्रतिकारक क्षमता में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है. एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि फिजिकल एक्सरसाईज न करनेवाले लोगों को कोरोना के गंभीर संक्रमण का खतरा बेहद ज्यादा होता है.कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पता चला है कि जो लोग लगातार दो वर्ष से एक्सरसाईज नहीं कर रहे है उनके संक्रमित होने, अस्पताल में भर्ती होने तथा संक्रमण से जान गंवाने का खतरा ज्यादा है. ब्रिटिश जनरल ऑफ स्पोटर्स मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अस्पतालों में भर्ती जिन लोगों पर अध्ययन किया गया. उनमें 48,440 ऐसे थे जो दो वर्षो से फिजिकल एक्टीविटी नहीं कर रहे थे. ऐसे लोगों के संक्रमित होने पर आयसीयू व वेंटिलेटर पर जाने की दर ज्यादा रही है. कसरत न करनेवालों की तरह कोरोना का खतरा उम्रदराज लोगों को तथा अंग प्रत्यारोपण करवा चुके मरीजों में भी होता है. रिसर्च के अनुसार धुम्रपान, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग और कैंसर जैसे संक्रमण के लिए जोखिमवाली बीमारी की तुलना में शारीरिक निष्क्रियता ज्यादा खतरनाक है. स्पष्ट है कि हमारी प्राचीन परंपरा के अनुसार स्वास्थ्य ही धन है कि संकल्पना को विशेष महत्व दिया गया था. यही कारण है कि उस समय लोगों की आयु सीमा अधिक रहती थी. एक सामान्य व्यक्ति जीवन के चारों आश्रमों को पूर्ण करता था. लेकिन आज लोगों का जीवन पूरी तरह नहीं हो पाता है. एक उम्र के बाद अनेक व्याधियां घेर लेती है. ऐसे में स्वास्थ्य को बनाए रखना यह हर व्यक्ति के हाथ में है. लेकिन वर्तमान में विलासितापूर्ण जीवन में हर कोई खो गया है. जिससे अनेक संसाधन के माध्यम से उसका कार्य चल रहा है. परिणामस्वरूप शारीरिक गतिविधियां कम हो गई है.
व्यायाम का जीवन में विशेष महत्व रहा है. व्यायाम से न केवल शरीर सुगठित रहता है बल्कि प्रतिरोधक क्षमता में भी भारी इजाफा होता है. इससे मनोबल में भी वृध्दि होती है. आज की स्थिति में कोरोना के संक्रमण के लिए लोगों की शारीरिक क्षमता ही अधिकांश तौर पर जिम्मेदार पायी जा रही है. क्योंकि अब तक सुविधाओं के आधार पर जीवन जीनेवाले का प्रत्यक्ष मिट्टी से कोई संपर्क नहीं आता है. जिससे शरीर की सक्रियता प्रभावित होती है. एक बात और है व्यायाम से मानसिक तनाव भी दूर होता है. व्यायाम की इस महत्ता को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्वस्तर पर स्थापित किया. जिसके चलते 21 जून को विश्वयोग दिवस मनाया जाता है. इसी तरह अप्रैल माह में भी विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.स्पष्ट है कि विश्व ने भी व्यायाम की महत्ता को समझा है. लेकिन वर्तमान में हर कोई सुविधाभोगी हो गया है. परिणामस्वरूप उसकी शारीरिक सक्रियता प्रभावित होने लगी है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे है. शिकार होनेवाले में अनेक उच्चवर्गीय तथा मध्यमवर्गीय की संख्या अधिक है. दिनभर श्रम कर अपनी आजीविका चलानेवाले को इस बीमारी ने राहत दी है. उनकी संख्या कम पायी जा रही है. जबकि ज्यादा से ज्यादा लोग जो सुविधाभेागी बनकर जीवन जी रहे है. उन्हें यह बीमारी अपनी चपेट में ले रही है.
चूकि अब अध्ययन में यह बात सामने आने लगी है तो लोगों को इस बारे में सक्रिय हो जाना चाहिए. प्राणायम, योगासन के माध्यम से शरीर के सभी अवयवो का पोषण होता है तथा वे मजबूत बनते है. जिससे बीमारियों का आक्रमण आसानी से झेल लेते है. यही कारण है कि भविष्य में स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए अभी से ही योगासन व कसरत को जीवन का अंग बना लेना जरूरी है. बीते एक वर्ष में कोरोना का संक्रमण के बाद अनेक लोगों ने स्वास्थ्य के ऊपर ध्यान देना आरंभ किया है. जिसके चलते अनेक बस्तियों में योगासन, प्राणायम पर ध्यान दिया जा रहा है. वर्तमान प्रतिस्पर्धा वाले युग में हर कोई धन कमाने की चाह में अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर दे रहा है. स्वास्थ्य के अनेक संसाधन उपलब्ध है. उसका लाभ लिया जाना चाहिए तभी बीमारी के संक्रमण को रोका जा सकता है. व्यायाम यह बीमारी का प्राकृतिक उपचार है. इसलिए लोगों में व्यायाम के प्रति जनजागृति का होना जरूरी है. कुल मिलाकर स्वास्थ्य ही धन है यह कल्पना हर किसी के मन में होनी चाहिए तभी स्वास्थ्य के प्रति योग्य कदम उठाया जा सकता है. लोग यदि स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे तो निश्चित रूप से विषाणुओं के आक्रमण को रोका जा सकता है.

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