संपादकीय

गरीबी में बढोतरी

भारत में गरीबी विगत एक वर्ष में और बढ गई है. विश्व संपत्ति रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. देश की संपत्ति 4.4 फीसदी कम हुई है. इससे देश में गरीबों की संख्या में इजाफा तो हुआ ही है. साथ ही अनेक मध्यमवर्गीयों के गरीब होने का खतरा बढ गया है. स्पष्ट है जब बिगडी अर्थव्यवस्था के कारण मध्यमवर्गीय संकट में आने लगे है.वहा ंपर जो लोग पहले से ही निर्धनता का अभिशाप झेल रहे है की स्थिति क्या होगी. निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था अब बुरी तरह डगमगा गई है. जिसके चलते आनेवाले समय में कुछ लोगों को छोडकर अधिकांश लोग गरीबी का जीवन यापन करने के लिए मजबूर रहेंगे. बीते वर्ष से जारी लॉकडाउन तथा अनेक बार कर्फ्यू की घोषणा से अनेक गरीब परिवारों को रोजी रोजगार से वंचित होना पडा. जिसके कारण आज वे अत्यंत दयनीय अवस्था में पहुंच गये है. वैसे देखा जाए तो विश्व की संपत्ति में 7.7 की राशि की वृध्दि हुई है. लॉकडाउन सहित अन्य कारणों से विचलित अर्थव्यवस्था के कारण देश पर भी अप्रत्यक्ष रूप से सभी वर्ग के लोग परेशान नजर आ रहे है. क्रेडिट सुईसने द्वारा घोषित की गई वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट में भारत की संपत्ति 14 फीसदी की कमी आयी है. प्रतिव्यक्ति की संपत्ति में 4.4 फीसदी की कमी आयी है.
वर्तमान मेें कोरोना संक्रमण के भय के कारण कई बार लॉकडाउन लगाना पडा. अनेक बार रात्रकालीन संचारबंदी भी की गई. जिसके चलते शहर के लोगों को घर पर रहना पड रहा है. अपने आय के संसाधन खोने के बाद अनेक लोग परेशानियों से जूझ रहे है. सरकार द्वारा 1 जून से अनलॉक की प्रक्रिया आरंभ कर दी थी. जून का माह समाप्त होेने में अभी लगभग 5 दिन शेष है. सरकार की ओर से डेल्टा प्लस के खतरे को देखते हुए फिर से श्रेणी-3 अंतर्गत राज्य के सभी जिलों में निर्बंध लगाये गये है. हालांकि करीब दो माह का लॉकडाउन झेलने से अनेक परिवारोें की हालत अत्यंत गंभीर हो गई है. यदि उन्हे योग्य सहायता दी जाती है तो वे अपना उत्थान कर सकते है. लेकिन फिर से लॉकडाउन की यह नौबत प्रभावी होने लगी है. यदि फिर से लॉकडाउन जैसा कदम उठाते है तो व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र के सभी लोग प्रभावित होंगे. ऐसे में गरीबों की संख्या बढेगी. जिससे अनेक परिवार परेशान हो जायेंगे. सरकार की ओर से इस बारे में योग्य चिंतन करना जरूरी है.
वर्तमान में भारत में गरीबी बढने के साथ अनेक नये प्रश्न भी उत्पन्न होंगे. लोगों के सामने यह प्रश्न भी आ रहा है कि जब संभावित तीसरी लहर का खतरा भी देश के सामने आ रहा है इसके लिए अभी से ही प्रयास आरंभ करने होंगे. तभी इस लहर से बचा जा सकता हैे. लेकिन सरकार के पास केवल एक ही प्रयास है. बीमारी का संक्रमण बढता है तो लॉकडाउन जारी करे. बीते एक वर्ष में संबंधित सरकार की ओर से करीब 6 माह लॉकडाउन में गये. उसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया आरंभ हुई है.लेकिन इसके बाद फिर से संक्रमण की स्थिति निर्माण होने के कारण अनेक निर्बंध कडक हो सकते है. लोगों को आनेवाले समय में अपना कार्य करना भी कठिन हो जायेगा. जरूरी है कि देश में बढती गरीबी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. अर्थव्यवस्था में किस तरह सुधार किए जा सकते है. इस बारे में भी चिंतन जरूरी है तथा योग्य कदम अभी से उठाए जाने चाहिए.

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