अनलॉक प्रक्रिया में बढ़ते अपराध
लॉकडाऊन के दौरान (During lockdown) राज्य में अपराध के मामलों में अत्यंत कमी आयी थी. लेकिन अनलॉक प्रक्रिया के बाद अपराधों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसका मुख्य कारण यह भी है कि समूचे पुलिस यंत्रणा का ध्यान वर्तमान में जारी कोरोना संक्रमण (Corona infection) में लगा हुआ है. जिसके चलते असमाजिक तत्वों पर पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा है.यही कारण है कि अपराधों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी है. अपराध के मामलो में सबसे धक्कादायक बात यह है कि बीते दो माह में नाबालिग लड़कियों के शोषण व अत्याचार के मामले में दो गुना बढ़ोतरी हुई है. राज्य में करीब १०० लड़कियों का अपहरण हुआ है जिसमें ५३ को खोज लिया गया है. जबकि ४७ का कोई अता-पता नहीं है. इन घटनाओं से यह बात स्पष्ट हुई है. महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से चिंतित होना जरूरी है. अनेक शहरों में महिलाओं का उत्पीडऩ, अत्याचार, चोरी,सेंध लगाना, हत्या, लूटपाट सहित अनेक गंभीर अपराध की खबरे आए दिन सुर्खियों में रहती है. लॉकडाऊन के आरंभिक कुछ समय को छोड़ दिया गया है तो मुख्य रूप से अप्रैल मई माह में शहरों के अपराध में काफी गिरावट आयी थी. लेकिन अब अपराध की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. यह सच है कि वर्तमान समय काफी जटिलता भरा है. अनलॉक प्रक्रिया के तहत जहां अनेक परिवारों के पास आजीविका के साधन नहीं है वहीं पर कई परिवारों पर भूखमरी की नौबत भी है. हर शहर में इन दिनों भींख मांगनेवालों की संख्या भी बढ़ गई है. अनेक क्षेत्रों में लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है. लाखों की संख्या में कर्मचारियों को सेवा से मुक्त किया गया है. ऐसी हालत में अपराधों का बढऩा स्वाभाविक है. आर्थिक संकट से लगभग हर परिवार जूझ रहा है. लेकिन अनेक लोगों ने अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर स्वयं को संभालने का कार्य किया है. लेकिन हौदो से गई बूंदों से नहीं आती की स्थिति उनके सामने है. इस हालत में संभव है अनेक लोग अपराध की ओर प्रवृत्त हो. लॉकडाऊन के कारण कई दिनों तक लोगों के सभी आर्थिक व्यवहार प्रभावित हुए है,ऐसे में उनके सामने अनेक समस्याएं आ रही है. बावजूद इसके यह जरूरी है कि हर शहर में जरूरतमंदों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाए. यदि ऐसा नहीं होता है तो अपराध की दर बढ़ सकती है.
प्रशासन की ओर से वर्तमान महामारी की स्थिति तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है. लोगों के व्यवसाय सुचारू हो. इसलिए अनलॉक प्रक्रिया के तहत सभी व्यवसाय आरंभ किए गये है. खासकर शनिवार-रविवार का जनता कफ्र्यू भी समाप्त कर दिया गया है.इन सबसे बावजूद सबसे बड़ा सच यह भी है कि कोरोना का संक्रमण दिनों दिन तीव्र हो रहा है. इस हालत में समूचे यंत्रणा को परस्पर समन्वय के साथ सक्रिय होना जरूरी है. जिस रूप में अपराध के मामले बढ़ रहे है. यह एक चिंताजनक स्थिति है. इस पर नियंत्रण के लिए प्रशासन को ठोस भूमिका अपनानी होगी. खासकर बीते दो माह में लड़कियों के अपहरण के मामले बढ़े है. असमाािजक तत्वों को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को विशेष रूप से ध्यान देना होगा. विशेषकर अपहरण के जो मामले सामने आ रहे है. उनकी व्यापक विवंचना कर सही अपराधियों को खोज निकालना जरूरी है. जो लड़किया अभी भी लापता है. उनकी भी तेजी से तलाश की जानी चाहिए.
कुल मिलाकर लॉकडाऊन के बाद व्यवसाय को गति देने के लिए सरकार की ओर से अनलॉक प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है. जिसके तहत दुकानदारों को अपनी दुकान खोलने के भी निर्देश दिए गये है. इस हालत में प्रशासन को चाहिए कि हर शहर में कानून व्यवस्था कायम रहे.
खेल यह स्वास्थ्य की आवश्यकता है
भले ही कुछ वर्षो पूर्व तक माता-पिता बच्चे को सबक देते समय कहते थे कि पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे, कुदोगे होंगे खराब. लेकिन अब क्रीडा का अत्यंत महत्व बढ़ गया है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक खिलाडिय़ों ने अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया है. निश्चित रूप से इन खिलाडिय़ों ने खेल के प्रति अपनापन रहा है. हालांकि शाला में खेल को जिस रूप में प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए था. वह नहीं हो रहा है. क्योंकि अनेक शालाओं के पास अपने मैदान नहीं है. राज्य सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व शालाओं में खेल का मैदान अनिवार्य हो इस आशय का कानून बनाने की भी चर्चा की थी. लेकिन पाया गया है कि आज भी अनेक शालाओं में क्रीड़ा के लिए योग्य संसाधन नहीं है. प्राथमिक स्तर पर खेल स्पर्धाए लगभग बंद हो गई है. भारतीय खेल जैसे कबड्डी, खो-खो आदि को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ नागरिक संगठन प्रयत्नशील रहे है. लेकिन योग्य प्रोत्साहन न मिलने के कारण वे भी अब अपना ध्यान हटा रहे है. इस हालत में सरकार को चाहिए कि क्रीड़ा संबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहन दे ताकि देश को अनेक खिलाडिय़ों का निर्माण हो. इससे न केवल शहर का, कस्बे का नाम रोशन नही होगा बल्कि देश की भी गरिमा बढ़ेगी. शालास्तर पर ही विद्यार्थियों ने क्रीडा के प्रति रूचि पैदा की जा सकती है. इसके लिए सभी शाला प्रबंधन को चाहिए कि वे शिक्षा के साथ साथ क्रीडा संबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने की दिशा में कार्य करे. क्रीडा को प्रोत्साहित करने का संकल्प करे तभी क्रीडा दिन की सार्थकता रहेगी. २९ अगस्त को समूचे देश में क्रीडा दिवस मनाया जाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए सभी संस्थाओं को चाहिए कि वे क्रीडा संबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहित करे.