संपादकीय

बढता प्रति व्यक्ति कर्ज

विगत 3 वर्ष में भारत के 13 बडे राज्यों का प्रति व्यक्ति कर्ज 16.4 फीसदी बढ गया है. एसबीआई रिसर्च द्बारा जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. इस अवधि में औसतन कर्ज 16.4 फीसदी से बढ गया है. इस कालावधि में प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 7.1 फीसदी से बढी है. प्रतिव्यक्ति कर्ज के राशि में हुई बढोत्तरी जनसामान्य को चिंतित करने वाली है. राज्य के कर्ज में सर्वाधिक वृद्धि हुई है. किसी समय महाराष्ट्र यह प्रगतिशील प्रांत के रुप में सामने आया था. महाराष्ट्र में ना केवल राज्य के लोगों को बल्कि विभिन्न प्रांतों से आये लोगों को भी रोजगार देने में सक्षम रहा. यह सक्षमता और भी मजबूत होती गई. बीते वर्ष कोरोना संकट के कारण अनेक कार्यक्षेत्रों में परिणाम हुआ है. जिसके कारण कई लोगों को अपने रोजगार से वंचित होना पडा. यह स्थिति आज भी कायम है. ऐसे में प्रति व्यक्ति आय का प्रभावित होना ही था. जो लगभग अपना क्रम जारी रखे हुए है. भले ही सरकार की ओर से अनलॉक प्रक्रिया आरंभ की जा रही है. लेकिन यह सच है कि, लोगों द्बारा योग्य सावधानी नहीं बरतने के कारण दोबारा इस बीमारी की नौबत आ गई है. इससे अनेक शहरों का जनजीवन अस्तव्यस्त हो रहा है. इस हालत में अतिआवश्यक है कि, लोगों के रोजगार प्रभावित ना हो, ऐसी व्यवस्था प्रशासन की ओर से की जानी चाहिए. हालांकि सरकार के पास इस कार्य के लिए अनेक उपक्रम छेडे जा रहे है. बीते दिनों फेरीवालों को अपना रोजगार करने के लिए सरकार की ओर से 10 हजार रुपए का कर्ज भी दिया गया था. जिसका अनेक लोगों ने लाभ उठाया. लेकिन बीमारी का संक्रमण जारी रहने के कारण कार्य की पूर्तता प्रभावित हो रही है. स्पष्ट है यदि निर्धारित कार्य निर्धारित समयावधि में करने की जब व्यवस्था हो, तो अधिकांश कार्य छूट जाते है. इसलिए जरुरी है कि, जो कार्य लंबित है, उन्हें पूरा किया जाये. लॉकडाउन व कहीं-कहीं पर लगे आंशिक लॉकडाउन के कारण लोगों को किसी कार्य पूरा करने में कठिनाई हो रही है. खासकर विद्यार्थियों का भारी नुकसान हो रहा है. गुरुवार को सरकारी आदेश के अनुसार एमपीएससी की परीक्षा स्थगित की गई है. विद्यार्थियों में इस बात को लेकर गुरुवार को भारी रोष देखा गया. अनेक विद्यार्थियों ने सडक जाम करने जैसे आंदोलन किये. उनका मानना है कि, जब तक सरकार की ओर से योग्य तिथी घोषित नहीं की जाती, तो उनका आंदोलन भी जारी रहेगा. अभिप्राय यह कि, कोरोना संक्रमण के कारण शिक्षा से लेकर रोजगार तक सभी प्रभावित हुये है. ऐसे में राज्य में प्रति व्यक्ति कर्ज बढ रहा है. हालांकि जनसामान्य अपनी मेहनत के बल पर राज्य के विकास की चाह रखता है, लेकिन आज उनके अपने कारोबारही ठप्प हो रहे है. ऐसे में वे योगदान नहीं दे पा रहे है.
आरंभिक दौर में जब कोरोना आया था तब यह कहा जा रहा था कोरोना से डरे नहीं लढे. उसके बाद यह संदेश प्रचलित हुआ कि, अब कोरोना के साथ ही रहना होगा. यदि यहीं स्थिति रही, तो यह नौबत भी आ सकती है कि, केवल कोरोना ही रहेगा. स्थिति चाहे जो भी हो, उसका मुकाबला हर किसी को करना है. ऐसे में यदि प्रशासन कोरोना के संक्रमण को लोगों को नहीं बचा पाता है, तो उन्हें कोरोना से हम झुजने का अवसर दिया जाए. यदि प्रति व्यक्ति आय निरंतर घट रही है तथा प्रति व्यक्ति कर्ज दिनों दिन बढता जा रहा है, तो जरुरी है कि, लोगों को उनको रोजगार पूरे समय करने का अवसर दिया जाए. बहरहाल यह शौकातीका है कि, राज्य में 3 वर्षों में प्रति व्यक्ति कर्ज बढ गया है. इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार को योग्य मार्ग बनाना होगा. कुलमिलाकर वर्तमान की स्थिति में राज्य के समक्ष अनेक संकट है. रोजगार एवं प्रति व्यक्ति आय का संकट बढ रहा है. इसलिए प्रशासन व सरकार को चाहिए कि, लोगों को किस तरह रोजगार के संसधन उपलब्ध कराये जा सकते है. इस तरीके से कार्य को अंजाम देना चाहिए. नागरिकों को चाहिए कि, वे स्वयं के स्वास्थ्य पर ध्यान दे, ताकि संक्रमण को दूर किया जा सके व सबकुछ पूर्ववत करने की दिशा में कार्य करना जरुरी है.

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