संपादकीय

बढता बेरोजगारी का संकट

देश में बेरोजगारी का संकट अब कोरोना विषाणु से भी ज्यादा घातक बनता जा रहा है. विगत लॉकडाउन के बाद लगातार बेरोजगारी का सिलसिला आरंभ हुआ था जो रोजाना बढते-बढते काफी ऊंचाईयों तक पहुंच गया है. मार्च माह में बेरोजगारी की दर 6.5 फीसदी तक पहुंच गई. बेरोजगारी का संकट इसलिए भी जटिल बनता जा रहा है कि लॉकडाउन के कारण अनेक लोगों को अपने रोजगार खोने पडे. बेशक अनलॉक प्रक्रिया में बाजार पेठ आरंभ हुई है. लेकिन वहां भी रोजगार का अभाव है क्योंकि भले ही सबकुछ अनलॉक हो गया हो. किंतु रोजगार की संभावनाओं पर अभी भी ताला जडा हुआ है. इस हालत में अनेक युवा बेरोजगारी के संकट से जूझ रहे है. कईयों का आत्मविश्वास खोने लगा है. वे हाल ही में एक ही तहसील में दो युवको द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना हाल ही में हुई है. लॉकडाउन से पूर्व भारत के युवाओं पर सरकार को गर्व था. उम्मीद थी कि युवा वर्ग देश में बिगडी व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास करेगा. लेकिन युवा वर्ग ही अब निराशा की गर्त में जा रहा है. उसे भविष्य में कोई भी संभावना नजर नहीं आ रही है. यही कारण है कि अनेक युवक निराशा की गर्त में फंसते जा रहे है. केन्द्र में सरकार ने सत्ता में आते समय यह बात कही थी कि हर किसी को रोजगार मुहैया कराया जायेगा. लेकिन हो रहा है इसके विपरित. रोजगार का अभाव देश की महत्वपूर्ण समस्या बनती जा रही है. इस हालत में हर वर्ग में लाखों युवक रोजगार की तलाश में दर-दर भटकने को मजबूर है.
किसी भी क्षेत्र का विकास वहां पर उपलब्ध रोजगार के संसाधनों से ही संभव है. शिक्षा के क्षेत्र में देश लगभग आत्मनिर्भर बन गया है. इसलिए अब रोजगार के संसांधनों पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है. इन दिनों महाराष्ट्र में कोरोना का संक्रमण तेजी पर है. जिसके कारण कई लोगों की मृत्यु भी हो गई है. कोरोना के बारे में रोजाना नये दिशानिर्देश जारी हो रहे है. लेकिन इसमें रोजगार की संभावनाए कहीं से नजर नहीं आती. बल्कि कडक प्रावधानों के कारण रोजगार ही लोगों से दूर हो रहा है. इसलिए अति आवश्यक है कि रोजगार के विषय में लौचिकता होनी चाहिए. बेशक बीमारी रोकने के लिए कुछ कडे नियमों का पालन जरूरी हो गया है. लेकिन पाया जाता है कि अनेक लोग आज भी कोरोना बचाव के उपक्रमों पर ध्यान नहीं दे रहे है. इसका घातक परिणाम अब आने लगा है. राज्यभर में 25 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित एक दिन में पाए जा रहे है. यह आंकडा अपने आप में महत्व रखता है. क्योंकि इन आंकडों के अनुसार बीमारी से निपटने की व्यवस्था भी की जा रही है. लेकिन आंकडे कम होने का नाम नहीं ले रहे है. इसलिए जरूरी है कि कोरोना रोकने संबंधित प्रतिबंधों का पालन किया जाना चाहिए. पाया गया है कि कोरोना का संकट ही बेरोजगारी का कारण है.
पूर्व के लॉकडाउन में अनेक श्रमिक पैदल यात्रा करते हुए अपने गांव जाने को मजबूर हो गये थे. क्योंकि उन्हें इस बात पर विश्वास था कि यहां आनेवाले कुछ माह तक रोजगार की स्थिति ढंग की नहीं रहेगी. इसके चलते उन्होंने पलायन किया. इस बार ऐसी कोई स्थिति नहीं है. लेकिन सावधानी नहीं बरती गई तो बीमारी और जटिल हो सकती है. अत: जरूरी है कि रोजगार के साधन कैसे बढे इस ओर हर किसी को ध्यान देना चाहिए. बेरोजगारी के कारणों की समीक्षा की जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि अनेक कर्मचारियाेंं के कार्यक्षेत्र ही बंद हो रहे है. ऐसे में उन्हें अपने व परिवार के उदरपोषण के लिए रकम की आवश्यकता पड़ेगी. लेकिन रोजगार के अभाव में यह सब नहीं हो पा रहा है. आज सभी कुछ कार्य थमा हुआ है. रेल्वे स्टेशन पर कुली का कार्य करनेवाले श्रमजीवी वर्ग से लेकर अनेक प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को या तो पद से हटना पडा है या फिर जो रोजगार कर रहे है उन पर कार्यक्षेत्र में कार्य खोने की तलवार लटक रही है. इसलिए अब जरूरी है कि बीमारी तथा रोजगार के बीच समन्वयित मार्ग खोजा जाए जिससे युवावर्ग का आत्मविश्वास बना रहे. हालाकि बीमारी का संक्रमण इतना तीव्र है कि उसके लिए अनेक प्रतिबंध लगाना जरूरी है. इन प्रतिबंधों के कारण कई लोग रोजगार से वंचित हो रहे है. देखा जाए तो यह देश के लिए परीक्षा की घडी है. इसमें सभी को सोचसमझकर कदम उठाना पडेगा. कई युवको की मानसिकता यह बन गई है कि यह संक्रमण का दौर कभी खत्म नहीं होगा. ऐसे में उनकी निराशा बढती जा रही है. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में योग्य चिंतन करे. साथ ही युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो इस द़ृष्टि से विभिन्न कार्यक्षेत्र को नियमित रूप से शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए. कुल मिलाकर बीमारी का संक्रमण अत्यंत कठिन दौर में चल रहा है. ऐसे में युवाओं को आत्मविश्वास के साथ जटिल स्थितियों का सामना करना जरूरी है. लेकिन युवाओं की भी हिम्मत कहां तक साथ देगी. क्योंकि बिना रोजगार के वे स्वयं का व परिवार का उदरपोषण नहीं कर पायेंगे. इस हालत में जरूरी है कि योग्य मार्ग निकाला जाए. जिससे संक्रमण पर भी रोक लगाए व रोजगार के अभाव में बढती निराशा दूर हो. इसके लिए नागरिको को भी जिम्मेदारी के साथ कार्य करना जरूरी है. पाया जाता है कि जरा सी ढील मिलने पर लोग बाजारों में अंधाधुंद घुमने लगते है. कोरोना संक्रमण रोकने के उपायो पर ध्यान नहीं देते. यही कारण है कि बार-बार सभी को लॉकडाउन का सामना करना पडता है. अत: सभी को इस जटिल स्थिति में समन्वय बनाकर मार्ग निकालना होगा.

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