संपादकीय

महंगाई का कुचक्र

एक ओर लॉकडाउन कोरोना संक्रमण जैसी स्थितियों के कारण अनेक लोग बेरोजगारी के शिकार हो चुके है. इतना ही नहीं अनेक लोग जो कुछ कारोबार कर भी रहे है. उनके समक्ष भी आर्थिक संकट कायम है, ऐसे में महंगाई का कुचक्र आम नागरिको के लिए कमर तोडनेवाला साबित हो रहा है. हाल ही में तेल कंपनियों ने एलपीजी सिलेंडर की कीमत में बढोतरी की है. ओआईसी द्बारा दी गई जानकारी के अनुसार 14.2 एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत में 50 रूपये बढोतरी की गई है. 19 किलो का गैस सिलेंडर अब 36.50 रूपये से तथा 5 किलो का सिलेंडर 18 रूपये की दर से बढ गया है. महाराष्ट्र मुंबई में अब यह सिलेंडर 644 रूपये हो गया है. 1 दिसंबर को इस सिलेंडर का मूल्य 594 रूपये था. इसी तरह सभी क्षेत्रों में भी बढोतरी हो रही है. बढती महंगाई के कारण आम नागरिक का जीवन जटिल होने लगा है. यदि सबके पास रोजगार होते तो उन्हें इस महंगाई का असर नहीं होता.लेकिन जब समूचे क्षेत्र में इसका विशेष असर होता है. वर्तमान काल में अनेक कारणों से लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. इस पर यदि सामान्य नागरिक को महंगाई की मार झेलनी पडे तो यह चिंता की बात है. सरकार को चाहिए कि जिस तरह विपरित स्थितियों का मुकाबला किया जा रहा है. उसे अनुकूल बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए जाने चाहिए. अनेक लोगों द्बारा महंगाई का विरोध जारी है. इसके चलते चाहिए कि दरों में स्थिरता रह जाए. इस बात पर ध्यान देना अति आवश्यक है. आज की तारीख में सब्जियों की दरे उंचाई पर है. इसी तरह अन्य खाद्य सामग्रियां भी अपना तेवर दिखाने लगी है. इस हालत में अति आवश्यक है कि दरों पर नियंत्रण करने के लिए सरकार की ओर से सार्थक प्रयाए किए जायेंगे.
बेशक वर्तमान दौर आपदा से परिपूर्ण है. क्योंकि चारों ओर कोरोना संकट है. कोरोना से बचाव के लिए अनेक प्रतिबंध लगाए गये है. अनेक शासकीय कार्यालयों के खर्च में कटौती की जा रही है. जिससे राज्य सरकार की फिजूल खर्ची न हो. अभिप्राय यह कि सरकार आर्थिक स्थिति को योग्य रूप से हल करना चाहती है. लेकिन पाया गया कि देश में आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है. लोगों के पास आज रोजगार का अभाव है. जिस रूप में बडी संख्या में भर्तीया होनी चाहिए थी वह नहीं हो पायी है. तथा सरकारी कार्यालय में भी नये रूप से लोगों की नियुक्तियां नहीं हो रही है. जाहीर है कि सरकार के पास भी इस समय धनराशि पर्याप्त नहीं है. ऐसे में महंगाई का बढना स्वाभाविक है. महंगाई के कारण आम नागरिक का जीवन जटिल होता जा रहा है. इसलिए सरकार को चाहिए कि घरों में स्थिरता लाने के लिए प्रयास करें. कोरोना संकट के कारण केवल आवश्यकता की वस्तुएं ही खरीदता है. क्योकि उसके पास जो धनराशि है वह अब खर्च होने लगी है. इस हालत में यदि सरकार चाहे तो फिर से लोगों का जनजीवन समृध्द कर सकती है. जिससे सामान्य नागरिक अपनी मर्जी की वस्तुएं बाजार में यदि महंगी दरों में मिलती है तो वह खरीदी के विषय में कई बार सोचता है. क्योंकि वर्तमान जीवन की जटिलता इतनी बढ गई है कि जरूरत की चीजे ही खरीदी जा सकती है. लेकिन इसकी दरें भी महंगी हो जाती है तो सामान्य नागरिक के लिए चिंता की स्थिति निर्माण हो सकती है. इसके लिए अति आवश्यक है कि सरकार स्वयं इस बात पर ध्यान दें. बढती महंगी दरों की की समीक्षा करे. इसे कैसे कम किया जा सकता है. इस बारे में भी चिंतन करे.क्योंकि जिस क्षेत्र में रोजगार के अवसर है. उन्हें विकसित करने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए. यदि लोगों के पास रोजगार रहे तो वे आर्थिक रूप से भी सबल हो सकते है. आर्थिक रूप से होनेवाली सबलता निश्चित रूप से क्रयशक्ति के लिए पोषक साबित होंगी. जिससे व्यापार में भी बढोतरी होगी, ऐसी स्थिति में महंगाई की समस्या को गंभीरता से लेना जरूरी है तथा इस पर विचार कर सरकार को चाहिए कि वह मूल्यों को स्थिर रखे व जनसामान्य के लिए कुचक्र बनती महंगाई को नियंत्रित करे.
बाल विवाह रोकने के लिए पोषक निर्णय
बाल विवाह पर रोक के लिए जिलाधीश ने नए निर्देश जारी किए है. इसमें वर-वधु की आयु का प्रमाणपत्र जांचने के बाद ही विवाह के लिए सेवा देनेवाले घटक अपनी सेवाए प्रदान करें. भविष्य में मंगल कार्यालय कॅटरर्स, पुरोहित बिछायत केन्द्र, विवाह पत्रिका छापनेवाले मुद्रक आदि अपनी सेवाएं देते समय इस बात को सुनिश्चित करे कि जिस विवाह प्रयोजन में वे अपनी सेवाएं दे रहे है उसमें विवाह करनेवाले वर-वधु क्या विवाह योग्य है. इस बात का पता तभी लगाया जा सकता है जब आयोजक की ओर से वर-वधु की आयु का प्रमाणपत्र दिया जायेगा. बाल विवाह यह सामाजिक दृष्टि से भी उचित नहीं है. अत: जरूरी है कि बाल विवाह रोकने के लिए हर कोई अपने स्तर पर प्रयास करे व सरकार को योगदान दे. बाल विवाह रोकने के लिए ही सरकार की ओर से शारदा एक्ट लागू किया गया था. जिसमें बाल विवाह को अपराध माना गया था. इसमें बाल विवाह करनेवाले वर वधु के अलावा पुरोहित पालकगण के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान रखा गया था. बावजूद इसके सामाजिक जागरूकता के अभाव में बालविवाह का क्रम जारी है. हर वर्ष अक्षय तृतीया पर हजारों बालविवाह होने की खबरे प्रकाशित होती रहती है. अब जरूरी है कि ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए सार्थक कदम उठाए जाए. जिलाधीश द्बारा जारी किए गये निर्देशों का यदि सभी सेवा देनेवाले घटक पूरी जांच के बाद ही विवाह समारोह में अपनी सेवाए प्रदान करे. बाल विवाह समाज के लिए उचित नहीं है. बीते काल में पालक पुरानी परंपराओं का निर्वहन करते हुए यह कार्य कर रहे थे. लेकिन अब समय में परिवर्तन आया है. हर युवक-युवती विवाह से ज्यादा अपने कॅरिअर पर ध्यान देना चाहते है. वे इसमें विवाह को बाधक मानते है. जो कि सही भी है. यदि पालकगण भी इस मामले में जागरूकता का परिचय दे तो निश्चित रूप से बाल विवाह को रोका जा सकेगा.

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