संपादकीय

सुशांत मामले में जांच को मिली गति

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से सुशांतसिंग राजपूत की मृत्यु के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाने के बाद सीबीआई सक्रिय हो गई है. इस मामले में अनेक तथ्योंं के जुटाया जा रहा है. ताकि न्याय मिलने का मार्ग प्रशस्त हो. निश्चित रूप से जांच को अब गति मिली है. हालाकि जांच के दौरान अनेक बाते सामने आ रही है. जिसमें यह माना जा रहा है कि मुंबई पुलिस ने जांच के मामले में काफी लापरवाही बरती है. इसके चलते सीबीआई की एसआई की टीम जांच के लिए मुंबई पहुंच गई है तथा जांच भी आरंभ कर दी है. इस संबंध में मुंबई पुलिस से सीबीआय ने अनेक दस्तावेज हासिल किए है. खासकर घटनास्थल पर जाकर सुशांत ने जिस हरे कपड़े से फांसी लगी दिखाई गई थी वह कपड़ा भी जप्त किया गया है. अभिप्राय यह सीबीआय की जांच अब तीव्र गति से हो रही है इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि मामले की जांच यथासंभव पूर्ण कर दोषियों को सजा निर्दोषों को मुक्तता हो सकती है. जिस तरह आंरभ में बिहार पुलिस ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कर जांच आरंभ की थी. लेकिन महाराष्ट्र सरकार की ओर से योग्य सहयोग नहीं मिल पाया. इतना ही नहीं बिहार से आए अधिकारी को भी क्वारेंटाईन कर दिया गया. जाहीर है राज्य सरकार की ओर से योग्य सहयोग नहीं मिल पाया था. जिसके कारण जांच में देरी हो रही है.इससे प्रमाण नष्ट होने का भी खतरा रहता है. हालांकि सीबीआय का भी मानना है कि इस मामले में फॉरेंसिक रिपोर्ट ज्यादा मायने रखती है. जिससे पता चल पायेगा कि मृत्यु में जांच के कुछ प्रमाण मिलते है क्या? इस रिपोर्ट का जांच में अत्याधिक महत्व है. जिसके लिए जरूरी है कि रिपोर्ट एवं उससे जुडे कागजात सीबीआई के पास हो.
सुशांतसिंह राजपुत की संदिग्ध मृत्यु के बाद से भी यह मामला चर्चा में है. मुंबई पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला कहा है. जबकि सुशांत के परिवार के लोगों का मानना है कि, सुशांत किसी भी हाल में आत्महत्या नहीं कर सकता तथा आत्महत्या न होकर उसकी हत्या की गई है. इस संबंध में सुशांत के पिता ने पटना (बिहार) में एफआईआर दर्ज करायी. जिसके कारण बिहार पुलिस ने जांच आरंभ की. लेकिन मुंबई पुलिस की ओर से उन्हें न तो कागजात दिये गये और ना ही सहयोग दिया गया. जिसके चलते यह भ्रम और तीव्र हो गया था कि, क्या कारण है कि, महाराष्ट्र पुलिस सीबीआई जांच का विरोध कर रही है. यह मामला सर्वोच्च अदालत में जाने के बाद चर्चा में आ गया. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार महाराष्ट्र पुलिस को सीबीआई को सभी दस्तावेज जांच में सहयोग देना होगा. सर्वोच्च अदालत के इस निर्णय के बाद अब मुंबई पुलिस के पास सहयोग करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है. इससे हजारों देशवासियों को राहत महसूस हुई है. क्योंकि सुशांत के परिवार को न्याय मिले, यह हर किसी की चाह थी. हालांकि अनेक लोग इसके पक्ष में नहीं थे. सीबीआई ने जांच का सिलसिला आरंभ कर दिया है. जांच कब तक पूरी होगी इस बारे में अभी नहीं कहा जा सकता. लेकिन एक सच अवश्य है कि अब जांच का मार्ग खुल गया है. जिससे दिवंगत सुशांत राजपूत के परिवार को न्याय मिल सकता है.
जांच में आगे क्या आता है, यह तो समय बताएंगा. लेकिन इतना स्पष्ट है कि, इस जांच में अनेक खुलासे होगे. सुशांत राजपुत की मृत्यु को जिस रुप में आत्महत्या करार देने का प्रयास किया जा रहा था उसे अब नई दिशा मिलेगी. मृत्यु के कारणों का भी खुलासा होगा व सुशांत जैसे होनहार कलाकार की मृत्यु के प्रति कौन जिम्मेदार है यह बात भी सामने आएंगी. सुशांतसिंह राजपुत की मृत्यु का मामला यह एक ऐसा मामला है, जिसके लिए दो राज्यों के पुलिस के बीच जांच को लेकर अंतर्विरोध था. लेकिन अब अदालती आदेश के बाद सारे संभ्रम समाप्त हो चुके है.
कुलमिलाकर सुशांतसिंह राजपुत की मृत्यु को लेकर अनेक संभ्रम कायम है. जिनका खुलासा होना अतिआवश्यक है. यह सब तभी संभव था जब जांच बिना किसी के प्रभाव में हो, मुंबई पुलिस पर राज्य सरकार का प्रभाव रहने के कारण जांच को लेकर सुशांत के परिवार को संदेह था. जिसके चलते उन्होंने बिहार के राजधानी पटना पुलिस थाने में अपनी रिपोर्ट दर्ज करायी. जिसके आधार पर जांच आरंभ हुई है. यह एक विशेष बात है कि सुशांतसिंग राजपूत की मृत्यु के मामले में एफआई आर भी दर्ज नहीं की गई थी. जिसे बिहार पुलिस ने दर्ज किया है तथा सीबीआई की ओर से जांच जारी हो गई हैे लोगों को प्रतीक्षा है कि इस जांच को यथाशीघ्र पूरा किया जाए. ताकि दिवंगत के परिजनों को न्याय मिल सके. हालाकि अभी जांच आरंभ हुई है. इसके हर पहलूओं पर गौर किया जायेगा तभी अनेक बाते सामने आ सकती है. सीबीआई की एसआईटी टीम ने जिन लोगों को शामिल किया गया है वे सब अपने आपमें काफी महत्व रखते है. उनके मार्गदर्शन में अनेक जटिल मामले सुलझाए गये है. निश्चित रूप से इस मामले में भी वे अपने कौशल्य का इस्तेमाल कर सच को सामने लाने का सार्थक प्रयास कर रहे है. जिसके चलते यह माना जा सकता है कि इस मामले की भी जांच यथाशीघ्र पूरी होकर दोषियों के खिलाफ योग्य कार्रवाई होगी.

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