अपूरणीय क्षति
पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न प्रणब मुखर्जी का सोमवार की शाम राजधानी दिल्ली के एक सैन्य अस्पताल में निधन हो गया. ८४ वर्षीय प्रणब दा. भारत के एक ऐसे qचतनशील नेता थे, जिन्होंने अपने कर्तव्य के बल पर सफलताएं हासिल की है. राष्ट्रपति होने से पूर्व प्रणब दा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के रुप में सम्मानित हुए है. कांग्रेस में वे वाणिज्य अर्थ विदेश मंत्री तथा सुरक्षा मंत्रालय सहित अनेक महत्वपूर्ण पदों को विभूषित कर चुके है. राष्ट्रपति के रुप में उनका कार्यकाल जुलाई २०१२ से जुलाई २०१७ तक रहा. अपने कार्यकाल में उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये. देश के प्रति वे सदैव निष्ठावान रहे. पांच दशकों तक संसदीय करियर रखने वाले प्रणब मुखर्जी सर्वप्रथम १९६९ में कांग्रेस से सांसद के रुप में राज्यसभा पहुंचे. १९७५, १९८१, १९९३ व १९९९ वे निर्वाचित होते रहे. १९८४ में वे भारत के वित्तमंत्री के रुप में पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने आर्थिक सुधार के लिए विशेष प्रयत्न किये. जिनका असर अर्थव्यवस्था के लिए पोषक साबित हुआ. १९८४ में यूरोमनी पत्रिका के सर्वेक्षण में उनका विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रुप में मूल्यांकन किया गया था. स्पष्ट है उन्हें सभी क्षेत्र का व्यापक अध्ययन था. यहीं कारण है कि, राजनीति में एक निर्विवाद व्यक्तित्व के रुप में वे हरदम छाये रहे. उनका हर कार्य करते समय केवल एक ही लक्ष्य था कि, देश का हित सर्वोपरि है. इसीलिए उन्होंने जो भी कार्य किया है वे राष्ट्रहित के भावना के साथ किये गये कार्य है. वे अपने पीछे इंद्रजीत, अभिजीत, कन्या शर्मिष्ठा है. भारतीय राजनीति, स्वाधीनता संग्राम का इतिहास व भारतीय संविधान का विकास यह उनके विशेष रुचि के विषय थे. मूल रुप से प्राध्यापक रहे. प्रणब मुखर्जी की प्रतिभा को सर्वप्रथम इंदिरा गांधी ने मैसेज किया व उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में लाया. पश्चिम बंगाल के प्रणब मुखर्जी के मंत्रीमंडल में वे कनिष्ठ मंत्री थे. किन्तु कांग्र्रेस नेता इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को जानते हुए उन्हें राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी दी. राज्यसभा में प्रवेश करने के बाद सर्वप्रथम वे वाणिज्य विभाग में राज्यमंत्री रहे. इस समय आपातकाल रहने के कारण भारतीय राजनीति को एक अलग मोड मिला. किन्तु प्रणब दा. इंदिरा गांधी के प्रति एकनिष्ठ रहे. यही कारण है कि, उन्हें वित्त मंत्री पद दिया गया. उन्होंने देश के विकास के मार्ग पर अपनी अमिट छाप कायम की है. एक विधवान नेता के रुप में हर किसी ने जाना है. उन्हें एक आदर्श राष्ट्रपति के रुप में जाना जाता है तथा हर किसी के मन में उनके प्रति आदरभाव है. यहीं कारण है कि, आज उनके निधन पर पूरा देश शोक मना रहा है. यहा तक कि, उनके निधन पर सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. अनेक नेताओं ने उनके निधन पर प्रतिक्रियाएं दी है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तो कहा है कि, आज देश का एक महान सुपूत्र खो गया है. सार्वजनिक समाज कल्याण के लिए उनके द्बारा दिया गया योगदान अभूतपूर्व है. भारतमाता की सेवा में उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी संवेदना में कहा है कि, प्रणब मुखर्जी ने देश के विकास पर अपनी अमिट छाप छोडी है. देश के एक उत्कृष्ट राजनेता, उत्कृष्ट संसद सदस्य व विधवान नेता के रुप में उनकी ख्याति थी. उनका संपूर्ण कार्यकाल देश के लिए महत्वपूर्ण रहा है. प्रणब दा भारतीय राजनीति पर विशेष प्रभाव था. क्योंकि उन्हें हर चिज का अध्ययन था तथा वे सभी पहलूओं पर चिंतन करते थे. इसी चिंतन का उन्होंने अपने क्षेत्र में सफलता के अनेक कीर्तिमान स्थापित किये. मृत्यु यह जीवन का अटल सत्य है. लेकिन कुछ लोग की कृति इतनी प्रभावी रहती है कि, लोग उन्हें हरदम अपने दिल में संजोये रखते है. यही कारण है कि, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर सारा देश दुखी है. क्योंकि ऐसे सर्वगुण संपन्न नेता देश को हरबार नहीं मिलते है. उनकी योग्यता व सेवाभाव की भावना हरदम लोगों के मनों को छूती रहेगी. उनके निधन पर देशवासियों को दुख है. हर कोई उनके कार्यों को याद कर महसूस कर रहा है कि, उनके जाने से राष्ट्र की अपूरणीय क्षति हुई है.