अवैध मतों का होना चिंतनीय है
हाल ही में हुए शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में १०८९ मत अवैध रहे. इस चुनाव में ३५ हजार ६२२ मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया. जिसमें १०८९ मत अवैध साबित हुए. चूकि इस निर्वाचन क्षेत्र में शिक्षक ही मतदाता है ओरो को जो लोग ज्ञानदान करते है वे अपने अधिकारों के प्रति कितने उदासीन है. क्योंकि शिक्षक की ओर से विद्यार्थियों को राष्ट्रीय कर्तव्य के बारे में जानकारी दी जाती है. उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने का ज्ञान दिया जाता है. मताधिकार का प्रयोग करना यह उनका दायित्व है. लेकिन शिक्षक जैसे मतदाता भी अपने कर्तव्य में भूल कर जाते है. यही कारण है कि चुनाव में इतने अधिक मतदान अवैध साबित हुए. शिक्षक वैसे भी उच्चशिक्षित रहता है उसके हाथ से इस तरह की भूल होना अपने आप में चिंतनीय बात है. वर्तमान में यह चुनाव हुआ जिसकी मतगणना होने के बाद पाया गया कि एक हजार से अधिक मत अनवैलिड रहे. इससे पूर्व जब मतदान बैलेट पेपर पर करवाया जाता था तब भी इस तरह की स्थितियां निर्माण होती थी. कई स्थानों पर तो उम्मीदवारों की लीड के अंतर से ज्यादा अनवैलिड वोट की संख्या अधिक रही है. इन सबको देखते हुए सरकार ने सभी प्रांतों में चुनाव में इवीएम का प्रयोग आरंभ किया है. इसका अनुकूल परिणाम भी सामने दिखाई देता है. जरूरी है कि मतदान की महिमा को हर किसी को समझना चाहिए. इससे हम अपनी मर्जी का जनप्रतिनिधि चुन सकते है. बेशक ऐसी प्रक्रिया लंबी है. पहले चुनाव में घंटो का समय चुनाव परिणाम आने में लग जाता था. लेकिन अब इवीएम मश्ीान से मतगणना में समय नहीं लगता. इस बार शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का मतदान बैलेट पेपर से हुआ. जिसकी मतगणना के लिए २६ फेरिया हुई. बेहतर यह होता कि ऐसे मतदानों की प्रक्रिया में ईवीएम मशीन का इस्तेमाल किया जाता ताकि चुनाव परिणाम आने में जो ४८ घंटो से अधिक समय लगा. बहरहाल अमरावती के चुनाव परिणाम घोषित हो चुके है. इस बार चुनाव में लोगों ने एड. सरनाइक को विजयी बनाया. राज्य में भी भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त का सामना करना पड़ा. केवल दो स्थानों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. इस चुनाव में महाविकास आघाडी को अपनी एकजूटता दिखाने का अवसर मिला. निश्चित रूप से यह चुनाव अपने आप में विशेष महत्व रखनेवाले नवनिर्वाचित नेता सरनाइक इस चुनाव में निर्वाचित हुए है. उम्मीद की जा सकती है कि आनेवाले दिनों में शिक्षको के हित में वे योग्य कदम उठायेंगे. हालाकि उन्होंने अपने वक्तव्यों में भी इस बात को दोहराया है.
चुनाव में जहां उम्मीदवार उच्च शिक्षित है. वहीं पर मतदाता भी कहीं न कहीं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े है.जब दोनों ओर ही जानकार है तो फिर १०८९ मतों का अनवैलिड रहना अपने आप में आश्चर्यजनक है. बहरहाल यह एक सुखद पहलू है कि मतदान का प्रतिशत संतोषजनक रहा था. लोगों में जनजागृति आ रही है. लेकिन जनजागृति का जो स्वरूप अपेक्षित था वह नहीं हो पाया. चुनाव में २७ प्रत्याशी बड़ी-बड़ी डिग्रीयां के सरताज है. लेकिन मतदान करते समय उनके द्वारा जो मताधिकार का प्रयोग किया गया वह किसी के पक्ष में न जाकर अनवैलिड रहा. यह एक दुखद पहलू है. इस तरह मत का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए. हर मतदाता को जिम्मेदारी के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग करना आवश्यक है. इसके लिए निर्वाचन आयोग को भी चाहिए कि वह मतों का उपयोग हो. इस तरह लोगों में जनजागृति करे. खासकर शिक्षक यह समाज को दिशा देता है. इस चुनाव में शिक्षक ही मतदाता थे.ऐसे में इस तरह मतों का उपयोग न होना चिंता की बात है. भविष्य में जरूरी है कि इस तरह मत अनवैलिड न हो. इसकी सावधानी हर कोई बरते. कुल मिलाकर देश की जनता जब विकास की नई संकल्पनाओं को साकार करने में जुटी है तब शिक्षा से जुड़े लोगों का मतदान के प्रति इस तरह लापरवाह रवैया चिंता का विषय है. ऐसी स्थिति भविष्य में न हो इस बारे में सभी को ध्यान रखना होगा. मतदान यह प्रजातंत्र की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. इसका सही उपयोग होना चाहिए.
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सावधानी आवश्यक
वर्तमान में शीतकाल आरंभ हो गया है तथा वातावरण में भारी प्रमाण में नमी आयी है. इसके साथ ही अनेक बीमारियां भी उभर रही है. हर मौसम में जब बदलाव होता है तो कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याए भी निर्माण हो जाती है. इसके लिए जरूरी है कि आरंभ से ही स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरती जाए. विशेषकर शीतकाल में यह सावधानी बरतना आवश्यक है. पूरे विश्व में कोरोना का संकट कायम है. कोरोना के आरंभिक लक्षण शीतकाल के कारण उत्पन्न होनेवाली बीमारियों समकक्ष है. इसलिए शीतजन्य रोग उभरते ही उस पर उपचार आवश्यक है. साथ ही ठंड से बचाव के लिए भी हर किसी को योग्य सावधानी बरतनी चाहिए. हालाकि शीतकाल का मौसम स्वास्थ्य की दृष्टि से पूरक है. यदि स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों एवं खानपान इस मौसम में पूरक साबित होता है. अत: बीमारी से बचाव करते हुए हर किसी को स्वयं के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए.