संपादकीय

भीख मांगने की कानूनी वैधता

भीख मांगने को दंडनीय अपराध घोषित करनेवाले कानूनी की वैधता पर सुप्रीमकोर्ट ने तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस तरह के कानून जीवन के अधिकार का हनन करनेवाले है. 10 फरवरी को कोर्ट ने मामले में 5 राज्य पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और बिहार को नोटिस जारी किया गया था. राज्य की ओर से जवाब न आने के चलते शुक्रवार को इसकी सुनवाई डाल दी गई. याचिकाकर्ता विशाल पाठक पंजाब प्रिवेन्सन ऑफ बेगरी एक्ट 1971 बॉम्बे प्रिवेन्सन ऑफ बेगिंग एक्ट 1959 समेत 5 राज्यों में इस मसले पर बनाये गये कानून की धाराओं को चुनौती दी गई है. इस कानून के अनुसार भीख मांगते पकड़ाए जाने पर तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है. बेशक भीख मांगने का कार्य तभी किया जाता है जब मनुष्य सभी ओर से निराश हो जाता है उसे कहीं से तो सहयोग नहीं मिलने के कारण वह भीख मांगने जैसे कार्य को करता है. ऐसे में भीख की वैधता को लेकर भी कई सवाल उठते जा रहे है. मजबूरी में भीख मांगना एक शर्मनाक स्थिति रहती है. लेकिन अनेक क्षेत्र में लोगों ने भीख को एक व्यवसाय बना लिया है. जिससे भिखारियों के प्रति मानवीय संवेदनाए भी आहत हुई है. इस हालत में यह जरूरी हो गया है कि भीख मांगने की अनुमति किस तरह के लोगों को देनी चाहिए यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है. सच तो यह है भीख मांगने की स्थिति जीवन में अत्यंत दयनीय स्थिति मानी जाती है. जन सामान्य भी अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान धर्म में खर्च करना चाहते है, ऐसे में भिखारियों को पैसा दान स्वरूप दिया जाता है. इसलिए लोगों की भावनाओं का लाभ उठाते हुए अनेक लोग भीख मांगने के क्षेत्र मेें आगे आये है तथा अपने-अपने तरीके से भीख मांगते है. लोगों की भावनाए जरूरतमंदों को मदद की रहती है. इसके चलते वे भिखारियों को दान देकर अपनी भावनाओं को साकार रूप देेते है. यह भी सच है कि भीख मांगना यह सबसे निकृष्ट कार्य है. लेकिन आज भीख के माध्यम से अनेक घर परिवार को भी भीख मांगते हुए देखा जा सकता है. वर्तमान में स्थितिया भी कुछ इस तरह जटिल हो गई है कि आर्थिक अभाव से जुझने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. कोरोना संक्रमण के बाद अनेक क्षेत्रों में बेरोजगारी का संकट गहराया है. जिसके चलते लोगों के सामने आय के साधन बंद हो गये है. इस हालत में कई परिवार के लोग भीख पर ही अपना गुजारा कर रहे है. स्पष्ट है भीख को अत्यंत मजबूरी में किया जाने वाला कार्य माना जाता है. लेकिन कुछ लोगों की भावनाओं का दुरूपयोग कर इस कार्य को अपनी आजीविका का माध्यम बनाने लगे है. ऐसे में आवश्यक है कि ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. देश में अनेक राज्य ऐसे है जहां जबरन भीख मांगनेवाले का गिरोह सक्रिय रहता है. ऐसे तत्व अनेक नौनिहालों का अपहरण कर तथा उन्हें प्रताडित कर भीख मांगने के लिए मजबूर कर देते है. चूकि इस तरह का कृत्य गलत है, लेकिन लोगों की भावनाए दान पुण्य की रहने के कारण भीख का क्रम जारी रहता है.
भिखारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह जरूरी है कि लोग अपने विवेक से जिस व्यक्ति को जरूरतमंद समझे उसे सहायता प्रदान करे. इस तरह का कार्य करने से जरूरतमंदों को सहायता मिल सकती है. लेकिन उन तत्वों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जो लोगों की भावनाओं का लाभ लेेते हुए जबरन भिखारी बनकर पैसे एठते है, ऐसे तत्वों पर रोक लगना आवश्यक है. खासकर उन गिरोह के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जो नन्हे बालको का अपहरण कर उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर करते है. इस तरह के गिरोह समय-समय पर प्रकाश में आते रहे है. पुलिस द्वारा इनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई है. लेकिन आज भी अनेक स्थानों पर नन्हे बालक भीख मांगते हुए दिखाई देते है. इस क्रम को रोकने के लिए लोगों को स्वयं जागरूक होना होगा. नागरिक चाहे तो भीख मांगनेवाले बालको को भीख न दे. हो सकता है मन को यह बात कचोटती है कि जरूरतमंद बालक को भीख देने से मना कर दिया गया. पर इस तरह का कार्य करने से हम नौनिहालों के शोषण को रोक सकते है. अनेक व्यापारिक क्षेत्रों में इन नौनिहालों को भीख मांगते हुए देखा जा सकता है. यहां तक की उन्हें इतना प्रशिक्षित किया गया रहता है कि वे तब तक भीख मांगते रहते है जब तक भीख नहीं मिल जाती.
भिखारियों की सहायता करना आवश्यक है. लेकिन जो सचमुच में लाचार है उन्हेेंं सहायता दी जा सकती है. लेकिन जो स्वस्थ होने केे बाद भी भीख मांगने का कार्य कर रहे है उन्हें स्पष्ट रूप से मदद करने से इनकार कर देना ही उचित है. भीख के जरिए मिलनेवाली आय अनेक लोगों के ध्यान में आती रही है. इस कार्य मेें इजाफा करने के लिए अनेक तत्व नन्हें बालको को भीख मांगने के लिए मजबूर करते है. इसके चलते जिस उम्र में नौनिहालों को पढ़ाई लिखाई करना चाहिए. इस उम्र में वे भीख मांगने के लिए मजबूर है. इस बात को न केवल शासन बल्कि सामान्य जनता को भी ध्यान देना होगा. भिक्षावृत्ति को प्रोत्साहन देना कहीं से भी उचित नहीं. इसके लिए जरूरी है कि अनावश्यक रूप से भीख मांगनेवालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. भिक्षावृत्ति विरोधी कानून में एक प्रावधान यह भी है कि भिखारियों का पुनर्वास किया जाए. लेकिन यह भी सच है कि कोई भी भिखारी पुनर्वास के पक्ष में नहीं रहता है. क्योंकि उसे भीख में खाने भर के पैसे मिलने के साथ-साथ अपने व्यसन के लिए भी पैसा उपलब्ध हो जाता है. इस हालत में लोगों को स्वयं जागरूक होना होगा. बेशक भावनात्मक स्तर पर भिखारियों को सहायता करने की हमारी रीति है. लेकिन जब कोई भावनाओं का दुरूपयोग करता है तो उसके खिलाफ कडी कार्रवाई की जानी चाहिए. भीख मांगना किसी भी द़ृष्टि से उचित नहीं. लेकिन कुछ स्थितिया लोगों को इस कार्य के लिए मजबूर करती है. अत: जरूरी है कि भीख के नाम पर जो लोग धोखाधडी करते है उन्हें उपेक्षित रखा जाए व जरूरतमंद को ही भीख दी जाए. विशेषकर बालको को भीख न दी जाए जिससे उनका शोषण नहीं हो पायेगा.

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