कष्ट के बीच स्वावलंबन का सबक
वर्ष 2020 अब समाप्त होने की ओर है. आगामी दो दिनों बाद नये वर्ष की शुरूआत हो जायेगी. लेकिन बीते वर्ष ने जो गहरे जख्म दिए है. उसकी पीडा संभवत 2021 में महसूस होती रहेगी. क्योंकि पूरे वर्ष भर देश में कोरोना संक्रमण कायम रहा. बेशक इसका प्रभाव मार्च माह के बाद दिखाई दिया. लेकिन वर्ष 2020 के आरंभ होने के बाद से ही इस महामारी की चिंता सभी को सताने लगी थी. जिसका असर यहां के सामाजिक सांस्कृतिक, अध्यात्मिक एवं व्यवसायिक कार्यक्षेत्र पर बुरी तरह पडा. यही कारण है कि तब से डगमगाई व्यवस्था अब तक संभल नहीं पायी है व आनेवाले दिनों में भी सबकुछ यथावत हो जायेगा. यह कहा नहीं जा सकता. वर्ष के आरंभ में जहां संसद में पारित कुछ बिलों को लेकर हंगामा हुआ तथा देश के अधिकांश इलाको में दंगे की लहर पहुंची. प्रशासन ने इन दंगों को प्रभावी ढंग से निपटा. लेकिन कुछ विधेयको को रद्द करने की मांग को लेकर एक समुदाय का काफी लंबा आंदोलन चलता रहा. होली के अवसर पर कोरोना का संक्रमण होने की बात सामने आयी. जिसके कारण स्वयं प्रधानमंत्री ने भी होली का पर्व सादगीपूर्ण तरीके से मनाया. तब से कोरोना के अनेक मरीज सामने आने लगे. परिणामस्वरूप मार्च के अंतिम सप्ताह में संक्रमण की कडी तोडने के लिए जनता कर्फ्यू लगाया गया. लेकिन इससे बात नहीं बनी तो समूचे देश में लॉकडाउन घोषित किया गया. इसके पीछे उद्देश्य यही था कि कोरोना का संक्रमण न फैले. पर कोरोना ने तब तक अपने पांव पसार लिए थे. जिसका असर तेजी से देश में देखने मिला. हर प्रांत में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से सामने आने लगी. यह सिलसिला अभी तक जारी है. बेशक इस बीच अर्थव्यवस्था को लोगों की सुविधा के हिसाब से लॉकडाउन में ढील दी जाने लगी. अनलॉक प्रक्रिया के तहत अनेक उद्योगों को आरंभ करने की छूट दी गई. इससे लोगों का कारोबार आरंभ अवश्य हुआ है . लेकिन जिस रूप में बाजार में गति मिलनी चाहिए कि वह नहीं मिल पा रही है. इसका खामियाजा सभी क्षेत्रों में भुगतना पड रहा है. कोरोना के कारण एक बार जो व्यवसाय ठप्प हुआ है. उसे उभरने में समय लग रहा है.ः
कोरोना काल का सर्वाधिक असर सामाजिक सांस्कृतिक व अध्यात्मिक गतिविघिया प्रभावित हुई है. समय-समय पर आयोजित होने वाले सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रोक लगी है. यही कारण है कि अनेक कार्यक्रम रद्द किए गये. विशेष बात यह है कि सभी धार्मिक स्थल बंद रहने से पूरे वर्ष में कार्यक्रमों का अभाव रहा. कुछ कार्यक्रम हुए भी तो वे सीमित संख्या में हो पाए. जाहीर है कोरोना के संक्रमण के बचाव के लिए इस तरह कार्यक्रमों में भी प्रतिबंधात्मक उपाय योजनाओं का ध्यान रखा गया. वर्तमान में भी इस बात का ध्यान रखा जा रहा है. क्योंकि इस बीमारी का पुनर्रागमन न हो. क्योंकि इस बीमारी से जो देश की अर्थव्यवस्था थी वह डगमगा गई है.भले ही सरकार ने लोगों को राहत के लिए अनेक पैकेज आरंभ किए है. लेकिन जनसामान्य इस नये पैकेज से अपने आपको अलग रखे हुए है. अर्थव्यवस्था जो चरमरा गई है उसे सुधार के लिए काफी ध्यान देना होगा. करीब 8 माह तक कोरोना के कारण सब कुछ यथावत नहीं हो पाया है. इस पर अब नये रूप से कोरोना के आगमन को लेकर लोगों में चिंता है. हालांकि सरकार ने कोरोना के खिलाफ वैक्सीन निर्मित की है. लेकिन यह कहा तक कारगर साबित होगी यह नहीं कहा जा सकता.
कोरोना के संक्रमण को लेकर अनेक नकारात्मक बाते सामने आयी है. लेकिन इसका एक साकार स्वरूप भी देखने मिला. लोगों ने जीवन अत्यंत निकटता से देखा है. जिसके अंतर्गत लोगों द्बारा स्वावलंबी होने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है. आम तौर पर हर व्यक्ति का खर्च अनावश्यक वस्तुओं पर होता था. लेकिन कोरोना के संक्रमण के बाद आम नागरिक यह समझ गया है कि जीवन में आवश्यक वस्तुओं का ही महत्व है. विलासिता की वस्तुएं न भी रही तो चल सकता है. यही कारण है कि जनसामान्य जीवनावश्यक वस्तुओं की ओर विशेष ध्यान देने लगा है. बीते वर्ष में लोगों में स्वावलंबन की जो भावना जगी है वह देश के हित में है. इस भावना को कायम रखना आवश्यक है. क्योंकि आडंबरपूर्ण जीवन जीना तकलीफदेह रहता है. इसलिए जीवन में जो चीज महत्वपूर्ण है. उसका ही ध्यान रखा जाना चाहिए. वर्ष के अंत में किसान आंदोलन का सिलसिला जारी है.34 दिन बीतने बाद भी अभी कोई हल नहीं निकल पाया है. हालाकि किसानों एवं सरकार के बीच छठवे दौर की वार्ता 30 दिसंबर को होनेवाली है. इस वार्ता से उम्मीद की जा रही है . कि आंदोलन को समाप्त करने की दिशा में कार्य होगा. इसकी सही जानकारी तो आनेवाले दिन में ही मिलेगी. लेकिन जनमानस चाहता है कि यह आंदोलन यथाशीघ्र समाप्त हो. यदि वर्ष 2020 मे ही इसका हल निकल जाता है तो यह एक विशेष उपलब्धि रहेगी. बीता वर्ष अनेक कडवी यादे छोड रहा है. लेकिन इसका एक सकारात्मक पहलू भी यह है कि कोरोना लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग होने का मंत्र दे गया है. साथ ही लोगों में स्वावलंबन की भावनाओं का विकास किया है.