संपादकीय

पर्यटन मानचित्र पर मेलघाट

मेलघाट परिक्षेत्र में धारणी व चिखलदरा तहसील को प्रकृति ने मनोरम उपहार दिए है. यहां पयर्टन की अनेक संभावनाए है. यह बात जल संपदा राज्यमंत्री बच्चू कडू ने कही. इस बात पर भी उन्होंने जोर दिया कि मेलघाट के प्राकृतिक सौंदर्य का जनसामान्य लाभ उठा सके व पर्यटन को बढावा दिया जाए. जिससे यहां रोजगार के अवसर पर भी निर्माण होंगे. अमरावती जिले में अनेक ऐसे स्थल है जहां पर्यटन की अपार संभावनाए है. विशेषकर मेलघाट परिसर यह प्रकृति के बीच रचा बसा क्षेत्र है. यहां की पर्यटन की संभावनाए है. हर बार तलाशी जाती है. अब तक अनेक पर्यटन मंत्रियों ने मेलघाट के पर्यटन को विकसित करने की बात कही है. इसके लिए अनेक विकल्प भी सुझाए गये है. लेकिन यहां के पर्यटन को बढावा देने की द़ृष्टि से कोई कदम नहीं उठाए गये. यही कारण है कि जिस मेलघाट को पर्यटन के मानचित्र पर प्रमुखता से स्थान मिलना चाहिए था वह आज भी माथे पर कुपोषण का कलंक लेकर जी रहा है. हर वर्ष कुपोषण के कारण बालमृत्यु के समाचार सुर्खियों में आते रहे है. हालाकि मेलघाट का कुपोषण दूर करने के लिए सरकार की ओर से अनेक योजनाए जारी की गई है. हर वर्ष करोडो की निधि मेलघाट में शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए उपलब्ध कराई जाती रही है. बावजूद इसके मेलघाट में हरदम कुपोषण, संक्रमक बीमारियों के समाचार सामने आते रहे है. आज भी अंधविश्वास इतना प्रबल है कि अनेक पर्वतपुत्र बीमारियों में चिकित्सक की राय लेने की बजाय भूमका की शरण लेते है .हाल ही में राज्यमंत्री बच्चू कडू ने मेलघाट का दौरा किया तथा वहां पर हुई अधिकारियों की सभा में मेलघाट में पर्यटन की संभावनाओं के विषय में विचार विमर्श किया. स्वास्थ्य सेवा मेलघाट में आरंभ से ही महत्वपूर्ण रही है . इस सेवा को मजबूत करने के लिए उन्होंने अनेक उपाए सुझाये है. खासकर अधिकारियों को मुख्यालय पर रहने के निर्देश दिए. पाया जाता है कि मेलघाट में स्वास्थ्य एवं शिक्षा के लिए सरकार की ओर से अनेक कदम उठाए जाते रहे है. इसके लिए भरपूर नियुक्तिया भी की गई है. साथ ही अनेक शासकीय उपक्रम में रिक्त स्थानों पर तत्काल नियुक्तिया के निर्देश भी बच्चू कडू ने दिए है. बावजूद इसके पाया जाता है कि यहां के अधिकांश अधिकारी मुख्यालय पर रूकने की बजाय अपने गांव से जाना आना करते है. ऐसे में रात बेरात कोई मरीज उपचार के लिए अस्पताल पहुंचता है तो उसे योग्य व्यवस्था नहीं मिल पाती है. यही कारण है कि सरकार ने आरंभ से ही यह भूमिका रखी है कि मेलघाट के शासकीय कर्मचारी इस आदेश का योग्य रूप से पालन नहीं करते. परिणाम स्वरूप उन्हें रोजाना अपडाउन करना पडता है. यदि अधिकारी मुख्यालय पर उपस्थित रहे तो लोगों को कठिनाईयों से बचाया जा सकता है.
हर क्षेत्र की अपनी पहचान होती है. लेकिन मेलघाट की पहचान एक पर्यटन क्षेत्र के रूप में हो सकती थी. लेकिन यहां पर पर्यटन संबंधी गतिविधियों को बढावा नहीं दिया गया. यही कारण है कि यहां का पर्यटन विकसित नहीं हो पाया है. यहां पर पर्यटन विकसित करने के लिए मेलघाट की खूबियों को लोकाभिमुख करना होगा. किस दृष्टि से मेलघाट पर्यटन का क्षेत्र बन सकता है. इसकी जानकारी देना जरूरी है. जिससे सैलानी पर्यटन के लिए आकर्षित हो सकते है. यदि मेलघाट में पर्यटन के लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए. यदि क्षेत्र में सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती है तो निश्चित रूप से यहां का पर्यटन विकसित हो सकता है. मेलघाट में वन संपदा है. इसके अलावा वन्य पशु भी यहां का हरदम से आकर्षण रहे है. अभयारण्य में पशुओं का वितरण लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. सेमाडोह में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने भी भेट दी थी.
स्पष्ट है मेलघाट की वनसंपदा व वन् य पशुओं की उपस्थिति न केवल जिले के बल्कि देशभर के सैलानियों का आकर्षण बन सकती है. इसके लिए प्रबल इच्छाशक्ति व योग्य प्रयास अति आवश्यक है. राज्यमंत्री बच्चू कडू अमरावती जिले से संबंध रखते है. उन्हें यहा कि पर्यटन की संभावना का पूरा अंदाज है. ऐसे में वे इस क्षेत्र का विकास कर सकते है. उन्होंने भले ही पर्यटन की संभावना जताई है. लेकिन वे इस क्षेत्र को पर्यटन के मानचित्र पर प्रमुखता से स्थान दिलाने के लिए प्रयत्न करना चाहिए. इससे न केवल मेलघाट पर कुपोषण का कलंक मिटेगा बल्कि इस पर्वतीय क्षेत्र को विकास का मार्ग भी उपलब्ध होगा.

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