संपादकीय

आलोचनाआें में ना उलझे दुष्कर्म

हाथरस में कथित रुप से युवती के साथ दुष्कर्म पश्चात उसकी हत्या की घटना का शोर अभी थमा ही नहीं था. पंजाब के होशियारपुर में ६ वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या की गई. इस घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब सरकार की आलोचना की है. वित्तमंत्री सीतारमन ने कहा है कि, पंजाब की घटना को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कब पंजाब जायेंगे. बेशक घटना अपने आप में अत्यंत जघन्य है. इस घटना की जांच हो इस मांग को लेकर अब तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से इस स्थल को भेंट नहीं दी गई. जिसके चलते वित्तमंत्री ने तंज कसते हुए कहा है कि, हाथरस की घटना के बाद राजनीतिक दलों द्बारा घटनास्थल पर भेंट देना, पीडित परिवार से चर्चा करना जैसे अनेक कार्य किये जाते है. लेकिन मामले की जांच को प्रभावी ढंग से किया जाए. इस मांग को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे है. जबकि हाथरस की घटना होने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका घटनास्थल नहीं पहुंचे. क्योकि पंजाब में कांग्रेस की सरकार है. हाथरस में घटना होने के बाद वहां पर राजनीतिक दलों का ताता लग गया था. बात इतनी बढ गयी थी कि, आरोप प्रत्यारोप का दौर भी आरंभ हो गया. इससे भले ही एक-दूसरे को नीचा दिखाया जा सकता है. लेकिन दुष्कर्म की घटना को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया गया है. हाथरस जाने के लिए जब सभी आदेशों को ठुकराकर कांग्रेस के नेता अब तक पंजाब क्यों नहीं पहुंचे. यह ठीक है कि, संबंधित प्रांत के नेता को दुष्कर्म पीडितों को सात्वना दें. दुष्कर्म की घटनाएं किसी भी राजनीतिक दल से जुडी नहीं होनी चाहिए. ऐसी घटना होने के बाद तत्काल पुलिस व प्रशासन की ओर से कई प्रयत्न किये जा रहे है. किन्तु प्रयत्नों को सफलता नहीं मिल पा रही है.

परिणाम स्वरुप घटनाओं का सिलसिला निरंतर जारी है. दुष्कर्म जैसी अमानवीय घटना को देखते हुए उस घटना की व्यापक जांच की जानी चाहिए. लेकिन पाया जाता है कि, पुलिस प्रशासन की अनदेखी होने के कारण इस तरह की घटनाएं हो रही है. हर शहर में इस तरह की घटनाएं बढने लगी है. दुष्कर्म की घटना को रोकने के लिए जरुरी है कि, पुलिस प्रशासन एवं कानून अध्ययनकर्ता की मदद से ऐसे आरोपियों को खोज निकाला गया है. इससे यह तो स्पष्ट है कि, पुलिस प्रशासन यदि योग्य कदम उठाये तो असामाजिक तत्वों के हौसले टूटेंगे. वर्तमान में राजनीति ऐसी हो गयी है कि, दुष्कर्म जैसी घटनाओं को २४ घंटे हाईलाइट किया जाता है. लेकिन जब आवश्यकता महसूस होती है तब पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई न होने की शिकायतें सामने आती है. खास कर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता इन मामलों को लेकर हंगामा मचाते हुए दिखाई देते है. जबकि हर किसी को चाहिए कि, वह ऐसे मामलों की सर्वांगिण जांच के निर्देश दें.

संबंधित राज्य सरकार चाहे जिस भी पार्टी के हो, उसे मामले को गंभीरता से लेना अतिआवश्यक है. यदि व्यवस्थित जांच कर चार्जशीट दाखिल होती है और उसपर मुकदमा होने के बाद दोषियों को कडी सजा मिलती है, तो यह बात देश में असामाजिक तत्व के मन में डर पैदा कर सकती है. लेकिन पाया जाता है कि, किसी भी घटना का फैसला यदि देर से होता है तो पीडित परिवार को उसका कोई लाभ नहीं मिलता देर से मिली सजा को इंसाफ न मिलने जैसा माना जाता है. इसलिए जरुरी है कि, दुष्कर्म की घटनाओं को केवल आलोचनाओं में न उलझाकर रखें. बल्कि दोषियों पर कडी कार्रवाई की मांग के लिए धरणा आंदोलन जैसे कदम उठाये जा सकते है. आलोचना यह राजनीतिक स्तर पर भले ही की जाये, लेकिन आलोचना के कुचक्र में पीडित को न्याय दिलाने की बात हाशिये पर चली जाती है. इसके लिए जरुरी है कि, अपराध चाहे जहां भी हो, सत्ता में चाहे जो भी दल हो वह ऐसे मामलों को गंभीरता से ले ताकि, दोषियों को योग्यदंड मिल सके.

आपसी आलोचनाएं भले ही विषय को चर्चा में ला देता है. लेकिन सही न्याय दोषियों को दंड मिलने के बाद भी प्राप्त हो सकता है. कुलमिलाकर यह जरुरी है कि, अब दुष्कर्म जैसे अपराध को मानवीय अपराध मानकर उसे बेमतलब की चर्चा में अटकाने की बजाय दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है इस पर ध्यान देना चाहिए. राजनीतिक दल जो घटना के बाद एक-दूसरे के अलोचनाओं में उलझ जाते है. उन्हें भी चाहिए कि वे ऐसे अपराधों को रोकने के लिए दोषियों को कडा दंड दिलाने में मदद करें. प्रशासन को भी चाहिए कि, वह ऐसे मामलों को गंभीरता से ले.

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