संपादकीय

मनोबल बढ़ानेवाला परीक्षाफल

इस वर्ष कक्षा १० वीं का परीक्षाफल बुधवार को घोषित हुआ. अनेक परीक्षाएं कोरोना संक्रमण के कारण रद्द कर दी गई है. बावजूद इसके ९५.३० फीसदी विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की. यह विद्यार्थियों की एकाग्रता का ही परिणाम है कि वे इतने अच्छे अंक हासिल करके ला सके है. विद्यार्थियों के इस सफल अभ्यासक्रम एवं परीक्षाफल को देखते हुए न केवल विद्यार्थी बल्कि पालक भी खुश है. कक्षा १०वीं की इस सफलता को लेकर विद्यार्थियों द्वारा अपना कॅरियर चयन करने में सावधानी बरती जा रही है. जिसके कारण हर विद्यार्थी अब ऐसे कॅरियर का नियोजन करना चाहता है जिसमें उसका रोजगार हो. इससे पूर्व विश्वविद्यालय मेें रोजगारमूलक शिक्षा दी जाती थी. खासकर अनुवाद आदि विषय विद्यार्थियोंं के लिए जारी किए गये थे. उसका कई लोगों ने लाभ भी उठाया. यदि शिक्षा का क्रम नियमित जारी रहता है तो निश्चित रूप से सफलता मिल जाती है. लेकिन पढ़ाई में खंड पड़ता है तो उन्हें चिंतन करना जरूरी होता है. पालको का दायित्व हैकि वे बालको को योग्य मार्गदर्शन करें.
इस बारे में समुपदेशक डॉ.अपर्णा अष्टपुत्रे ने कहा है कि इस वर्ष विद्यार्थी अपने कॅरियर के विषय में थोड़ा अलग विचार कर सकते है. क्योंकि विद्यार्थियों को इस बार जिस तरह सफलता मिली है यह उनके मनोबल को ऊंचा करनेवाली है. यही कारण है कि शहर में जगह-जगह विद्यार्थी अपने कॅरियर के प्रश्न को लेकर चिंता में है. कक्षा १०वीं व १२ वीं यह विद्यार्थी जीवन में एक टर्निंग पाइंट के रूप में आता है. इस समय विद्यार्थी जो निर्णय लेते है उनके जीवन में काम आता है. यह निश्चित है कि विपरित स्थितिया होनहार विद्यार्थियोंं के कार्यक्षेत्र में बाधा नहीं बन सकती. इस वर्ष यह माना जा रहा था कि कोरोना संक्रमण के कारण विद्यार्थियों की मनोस्थिति सामान्य नहीं रहेगी. परिणामस्वरूप उनका परीक्षाफल प्रभावित होगा. लेकिन विद्यार्थियों ने लॉकडाऊन की स्थिति का परवाह किए बिना अपनी पढ़ाई जारी रखी. इसका सार्थक परिणाम सामने आ रहा है.अनेक शालाओं मेें प्रवेश के लिए विद्यार्थियों ने हलचल आरंभ कर दी है. लेकिन पहले शिक्षा महंगी थी. अब शिक्षा इतनी जटिल नहीं रह गई है. विद्यार्थियों को चाहिए कि अब वे कॅरियर के बारे में सोचे. क्योंकि शिक्षा का दौर वैसे भी प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर पा रहा है. कुल मिलाकर विद्यार्थियों ने इस परीक्षा में अपने प्रयासों से अध्ययन किया. जिससे यह समस्या हल हुई है. हालांकि यह परीक्षाफल ने सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंचा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि विद्यार्थियों एवं पालक अपने शिक्षा के क्रम को नियमित रूप से जारी रखे. सफलता के मार्ग में कक्षा १०व १२ वीं की परीक्षा भले ही पूरी तरह महत्व न रखती हो लेकिन औपचारिक रूप से उसे शिक्षा का एक पड़ाव माना जा सकता है. यह पड़ाव भविष्य की दृष्टि से अत्यंत महत्व रखनेवाला है. यहां पर विद्यार्थी भविष्य की दृष्टि से चिंतन आंरभ कर देता है. इतना ही नहीं जब किसी स्पर्धा परीक्षा मेें अंको का तालमेल बैठाया जाता है तो निश्चित रूप से कक्षा १०वीं और १२वीं के अंकों की भी गनना की जाती है. अत: कक्षा १०वी व १२वीं का परीक्षाफल मायने रखता है.
इस वर्ष विद्यार्थियों ने अपने प्रयासों के जरिए सफलता हासिल की है. पूरे राज्य में कक्षा १०वीं का परीक्षाफल प्रभावी रहा है. यही कारण है विद्यार्थियों में अपनी सफलता को लेकर आत्मविश्वास कायम है. आत्मविश्वाास का यह सिलसिला उन्हें और सफलता के करीब ला सकता है. अभिप्राय यह कक्षा १०वीं का परीक्षाफल विद्यार्थियों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. पालको का भी दायित्व हैकि वे विद्यार्थियों की इस सफलता को नजर अंदाजन न करे. उन्हें अपना कॅरियर चुनने का पूरा अवसर प्रदान करे. हर बार की तरह इस परीक्षाफल मे भी एक बात सामने आयी विद्यार्थियों से ज्यादा सफलता कन्याओं की रही है. लडक़ों की अपेक्षा लड़कियों ने ज्यादा फीसदी अंक हासिल किए है. हर बार पाया जाता है कि पढा़ई के मामले मेें लड़कियां लडक़ो से हर दम आगे रही है. कुल मिलाकर कक्षा १०वीं का परीक्षाफल जिस रूप में लगा है वह शिक्षाक्षेत्र के लिए अनुकूल स्थिति है. इसका लाभ विद्यार्थियों को मिलना चाहिए. इसके लिए संबंधित शालाएं, छात्रों के पालकगण भी विद्यार्थियों को कॅरियर के चयन के लिए योगदान दे. ताकि आनेवाले समय में भी विद्यार्थी सफलता के नये मापदंड स्थापित करे.

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