जानलेवा लापरवाही
नाशिक महानगरपालिका द्वारा संचालित डॉ. जाकीर हुसैन कोविड अस्पताल में बुधवार की दोपहर ऑक्सीजन टैंक में रिसाव होने से ऑक्सीजन आपूर्ति का दबाव कम हो गया व वेंटिलेटर पर इलाज करा रहे 25 मरीजों की मृत्यु हो गई. 67 से अधिक संक्रमितों की हालत गंभीर बताई जाती है. यह दर्दनाक हादसा बुधवार की दोपहर 12 बजे कोविड सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में हुआ. कोविड सेंटर में जहां हर मरीज पर पूरा ध्यान रखा जाना जरूरी रहता है वहां पर यदि कोई लापरवाही हो जाए तो उसे माफ नहीं किया जा सकता. महाराष्ट्र में अस्पतालों में दुर्घटना होने का यह तीसरा प्रसंग है. इससे पूर्व भंडारा के शासकीय अस्पताल के शिशु वार्ड में अचानक लगी आग से अनेक बालको की मृत्यु हो गई थी. इसी तरह मुंबई में भी एक अस्पताल में इस तरह का हादसा हुआ. नाशिक की घटना अपने आप में अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. इस घटना में जिन मरीजों की हालत अत्यंत खराब थी. यह उपचार ऐसे ही जटिल स्थिति तक पहुंचे मरीजों पर किया जाता है. ऐसे में उन्हें एक सेकंड भी ऑक्सीजन की आपूर्ति का खंडित होना घातक साबित होता है. लेकिन बुधवार की दोपहर 12 बजे गैस का रिसाव होने के कारण करीब 45 मिनिट तक वेंटिलेटर पर उपचार करा रहे मरीजों को ऑक्सीजन न मिलने के कारण उनकी तड़फ तड़फ कर मृत्यु हो गई. इसमें कुछ ऐसे भी मरीज थे जिन्हें उपचार का लाभ मिलने के कारण वे शीघ्र ही डिस्चार्ज किए जानेवाले थे. लेकिन आकस्मिक घटना ने उनके जीवन से खिलवाड़ कर लिया.
राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. सभी मृतको के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पास शोक व्यक्त करने के लिए शब्द ही नहीं है. सभी मृतको के परिजनों को महानगरपालिका की ओर से 5 लाख और सरकार की ओर से 5 लाख ऐसे 10 लाख रूपये की सहायता घोषित की गई है. बेशक यह घोषणा सरकार की ओर से की गई हो लेकिन जिन लोगों के परिजन इस गैस ऑक्सीजन लिक मामले में खो गये है उनकी पीड़ा को कम नहीं किया जा सकता. इस मामले में उच्चस्तरीय जांच के भी आदेश दिए गये है. जांच में यह स्पष्ट हो जायेगा कि किसकी लापरवाही से यह दुर्घटना हुई. सरकार को चाहिए कि इस मामले की गंभीरतापूर्वक जांच हो. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि ऑक्सीजन की रिफिलिंग करते समय लिकेज की वजह से हुए इस हादसे की जांच की जाए. उनके अनुसार पिछले दो माह में राज्य में यह आठवी घटना है.
इस घटना की जांच तो होने के साथ साथ इस बात पर भी ध्यान देना आवश्यक हो गया है कि अन्यत्र इस तरह की घटना न हो इसलिए पूरी सावधानी बरतना जरूरी है. एक ओर कोरोना संक्रमितों को बचाने के लिए राज्य सरकार भरपूर प्रयास कर रही है. लेकिन यदि लापरवाही के कारण निर्दोष की जान जाती है तो इसके लिए विशेष सावधानी बरतना जरूरी है. सरकार की ओर से मामले की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए जाने के बाद घटना कैसे हुई इसका पता लगाया जाना जरूरी है. खासकर यह मामला केवल दुर्घटना का है. मामले की सर्वागीण जांच के बाद इस बात का पता लग सकता है. सरकार को चाहिए कि दोषियों का पता लगाकर योग्य कार्रवाई करे ताकि भविष्य में इस तरह की घटना के पुनरावृत्ति न हो.
जरूरी है कि अस्पताल में भर्ती होनेवालों की पूरी सुरक्षा की जाए. इसके लिए अतिरिक्त स्टॉप भी रखा जा सकता है. आज राज्य में ऐसे अनेक अस्पताल है. जहां पर कर्मचारियों की संख्या अत्यंत सीमित है. जिससे मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को पूरा ध्यान रखना आवश्यक है. आज पॉजिटीव निकलने के बाद मरीज को कोरोना अस्पताल में लाया जाता है तब परिजन भी मरीज के स्वस्थ होेने की कामना को लेकर अस्पताल भेज देते है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन का दायित्व रहता है कि वह सुरक्षा पर पूरा ध्यान दे. निश्चित रूप से नाशिक में हुई यह घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. इस घटना के मामले में सरकार को तत्काल व्यापक जांच करनी चाहिए. साथ ही दोषियों पर कडी कार्रवाई का होना भी आवश्यक है. ऐसा किया जाता है तो लापरवाही का सिलसिला समाप्त हो सकता है.