संपादकीय

एक देश एक चुनाव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केवडिया में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा है कि वन नेशन वन इलेक्शन होना चाहिए. यह समय की मांग है. प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया यह बयान अपने आप में बहुत मायने रखता है. क्योंकि भारत जैसे देश में आए दिन कोई न कोई चुनाव रहने के कारण काफी धन का अपव्यय होता है. इसके कारण आर्थिक बजट प्रभावित होता है. भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ चुनाव को माना जाता है. चुनाव से ही मतदाता अपनी मर्जी का जनप्रतिनिधि चुनते है. भारत यह विश्व में सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है. यहां की प्रजातांत्रिक व्यवस्था को विश्व में आदर्श उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है. देश में पंचायत राज से लेकर राष्ट्रपति पद तक के सभी पदों पर निर्वाचन प्रक्रिया का अवलंब किया जाता है. यही कारण है कि प्रजातंत्र में हर किसी को समान अधिकार मिले है. इसका उपयोग कर हर कोई अपनी मर्जी की सरकार चुनकर लाता है. देश में अनेक कारणों से चुनाव एकसाथ नहीं हो पाते. लोकसभा, विधानसभा, पंचायत राज आदि सभी क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते है. इससे कई बार कार्य बाधित होते है. सबसे पहले चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता जारी रहती है. इसके कारण अनेक विकास कार्य रूक जाते है. जब चुनाव हो जाते है तब विकास कार्यो को गति मिल जाती है. लेकिन जब तक चुनाव का समय रहता है तब तक सारे कार्यो को योग्य दिशा नहीं मिल पाती है. इस हालत में यदि एक देश एक चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाए तो जन सामान्य को ही इसका लाभ मिलेगा. इसमें बार-बार होनेवाले चुनाव पर रोक लगेगी. आमतौर पर सभी राजनीतिक दलों की कोशिश रहती है. इसके लिए जरूरी है कि वन नेशन, वन इलेक्शन की प्रक्रिया आरंभ हो. हर बार चुनाव चाहे छोटा हो या बड़ा अनेक प्रतिबंध अपने आप जारी हो जाते है. खासकर आचार संहिता के चलते विकास कार्य प्रभावित होते है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहले से ही चाह रही है कि वन नेशन वन इलेक्शन हो. क्योंकि बार-बार चुनाव होने से अर्थव्यवस्था पर उसका असर होता है. यदि चुनाव का लाभ जनसामान्य को देना है तो निश्चित रूप से वन नेशन वन इलेक्शन की प्रक्रिया को शुरू किया जाए. हालांकि यह बात अभी प्राथमिक स्तर पर है. लेकिन आनेवाले समय में इसे कानून का रूप देने की कोशिश की जा सकती है. हालाकि इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों में भिन्न भिन्न मत है. लेकिन विषय इतना महत्वपूर्ण है कि इस पर चिंतन होना चाहिए. देश में यदि सारा तंत्र व निधियां यदि चुनाव के कारण रूके रहे तो विकास कार्यो का पिछडऩा स्वाभाविक है. वन नेशन वन इलेक्शन जारी रहने पर यह स्थिति बदल सकती है. वर्तमान में स्थिति में सुधार होना अति आवश्यक है. बार-बार चुनाव न हो इसलिए उठाए जानेवाले इस कदम को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से योग्य चिंतन किया जाना चाहिए. बेशक यह मुद्दा केन्द्र सरकार की ओर से प्रस्तुत किया जा रहा है. लेकिन मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए अति आवश्यक है कि हर किसी ने इसका समर्थन करना चाहिए. देश में अनेक स्तर पर चुनाव होते है. उनकी प्रक्रिया संभालने के लिए समूचा तंत्र उलझा रहता है. यदि एक बार में ही विधानसभा लोकसभा के चुनाव हो जाते है तो भले ही कुछ दिन लोगों को यह उचित न लगे. लेकिन प्रयासों को निरंतर जारी रखा जाए तो निश्चित रूप से जन सामान्य के समझ में यह मुद्दा आयेगा. वर्तमान में कोरोना का संघर्ष जारी है इसलिए सभी यंत्रणा उस कार्य में व्यस्त है. बार-बार आनेवाले चुनाव के कारण स्थिति और दयनीय हो सकती है. वन नेशन वन इलेक्शन किए जाने से चुनाव यंत्रणा का अनावश्यक खर्च रूकेगा. इस बात को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कहीं है. जन सामान्य को भी इस मामले को समझना होगा. बार-बार आनेवाले चुनाव के कारण लोगों का अनावश्यक धन का भी अपव्यय होता है. सरकारी यंत्रणा भी चुनाव में व्यस्त रहती है. जिसके कारण जनसामान्य के कार्य भी प्रभावित होते है. इन सब बातों को ध्यान में रखकर एक देश एक चुनाव की संकल्पना को साकार किया जाना चाहिए.
देश में चुनाव का विशेष महत्व है. साथ ही प्रजातंत्र ने भी चुनाव को अहम स्थान दिया गया है. पाया जाता है कि कई बार मतदाता अपने मताधिकारों का प्रयोग नहीं करते. हर चुनाव में पाया जाता है कि ६० से ८० प्रतिशत के बीच मतदान होता है. अनेक नागरिक बार-बार चुनाव आने से मतदान के प्रति उदासीन हो जाते है. लेकिन जब एक देश एक चुनाव की संकल्पना आरंभ हो जायेगी तो हर व्यक्ति मताधिकार को अपना अधिकार मानकर स्वयं मतदान के लिए उपस्थित रहेगा.चुनाव के लिए जो केन्द्र निर्माण करने पड़ते है. उसका भी खर्च बच सकता है. क्योंकि बार-बार मतदान केन्द्र बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. एक ही चुनाव में मतदाता अपनी मर्जी के उम्मीदवार को चुन सकते है. अभिप्राय यह भारत जैसे विकसनशील देश में अनावश्यक रूप से समय व पैसा केवल चुनाव में खर्च नहीं होना चाहिए. चुनाव की प्रक्रिया एक ही साथ होनी चाहिए. इससे लोगों को बार बार चुनाव की समस्या से नहीं जुझना
पड़ेगा व कार्यो को गति मिलेगी.

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